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ग्रामीण अंचलों में अधिकतर बच्चे शिक्षा से हो रहे वंचित, योजनाएं महज दिखावा

शिक्षा का स्तर ऊपर उठाने के लिए सरकार की सभी कोशिशें नाकाम साबित हो रही है। सरकार की तरफ से बच्चों को स्कूल भेजने की कोशिश की जा रही है

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deepak dilliwar

Sep 25, 2016

Rural areas child away from education

Rural areas child away from education

राजकुमार कश्यप@नरहरपुर/कांकेर. शिक्षा का स्तर ऊपर उठाने के लिए सरकार की सभी कोशिशें नाकाम साबित हो रही है। सरकार की तरफ से बच्चों को स्कूल भेजने की कोशिश की जा रही है, लेकिन विभागीय लापरवाही और सुस्ती की वजह से योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। करोड़ों रुपए हर महीना खर्च करने के बाद भी शत-प्रतिशत बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। जबकि शिक्षा विभाग की ओर से कागजों और रजिस्टर पर शत-प्रतिशत बच्चों को शिक्षा देने की बात की जा रही है। बात की पुख्ता प्रमाण के तौर पर जिले के सरोना क्षेत्र के साल्हेभाट पंचायत अंर्तगत खल्लारी क्षेत्र की यह तस्वीर देखी जा सकती है, जिसमें बच्चा स्कूल यूनिफार्म में स्कूल नहीं बल्कि मवेशियों को लेकर चारा इंतजाम में जा रहा है।

जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर आज भी उठने के बजाय गिरता नजर आ रहा है। सरकार की तरफ से मिलने वाली योजनाओं के लोभ में बच्चों का नाम स्कूलों में दर्ज है, लेकिन बच्चे स्कूल पहुंच रहे हैं कि नहीं इसको देखने वाला कोई नहीं हैं।
जानकारों का कहना है की नाम दर्ज होने के बाद कुछ बच्चे तभी स्कूल जाते हैं। जब स्कूलों में कुछ वितरित किया जाता है। शेष दिनों में वे घरेलू कामों में व्यस्त रहते हैं। जानकारों का यह भी कहना है कि शिक्षक को भी इसकी कोई फिक्र नहीं होती की बच्चे स्कूल आ रहे हैं या नहीं।

यूनिफार्म में काम करने निकल जाते हैं
शिक्षा की गुणवत्ता अभियान के बावजूद शत-प्रतिशत बच्चे स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं। अंदरूनी क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर उठना असंभव प्रतीत हो रहा है। सरोना क्षेत्र के साल्हेभाट पंचायत अंर्तगत खल्लारी क्षेत्र का यह बालक स्कूल के दिन भी गाय बैल चराने के लिए जंग ले जाता दिखाई दे रहा है। यह तो बानगी मात्र है। ऐसा दृश्य क्षेत्र में आए दिन नजर आता है। विकासखंड के कई स्कूल एैसे है जहां पर शिक्षक विलंब से आते हैं तो इंतजार करने के बाद बच्चे यूनिफार्म में काम करने निकल जाते हैं। मवेशियों के अलावा खेतों-खलिहान और सड़क के किनारे समान बेचते नजर आते हैं।

शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं
साल्हेभाट ग्राम के ग्रामीणों का कहना है कि शाला में शिक्षक अक्सर विलंब से आते हैं। जिसकी शिकायत कई बार विभागीय उच्च अधिकारियों से की गई लेकिन उसका कोई असर नजर नहीं आया। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि जब शिक्षक देर से आएंगे तो बच्चें कहां जाए वे वापस आकर घर का काम संभालते हैं। जब शिक्षक समय से आते हैं तो उस दिन बच्चे पढ़ाई करने जाते हैं,वरना वापस आकर घर का काम संभालते हैं।