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आईआईटी का आरव बना देश का सबसे छोटा ड्रोन, करेगा सभी छोटे-बड़े काम

सिविल एविएशन विभाग से मिला प्रमाणपत्र, वजन सिर्फ दो किलोग्राम बड़ी बिल्डिंग निर्माण में आरव का बड़े स्तर पर हो रहा प्रयोग

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arav dron by iit kanpur

आईआईटी का आरव बना देश का सबसे छोटा ड्रोन, करेगा सभी छोटे-बड़े काम

कानपुर। आईआईटी छात्र विपुल सिंह के बनाए गए आरव को देश का सबसे छोटा ड्रोन बताया गया है। इसका वजन महज दो किग्रा है, पर इस ड्रोन की अनेक खूबियां हैं। देश के सिविल एविएशन विभाग के डायरेक्टर जनरल ने आरव को सबसे छोटा ड्रोन होने का सर्टिफिकेट दे दिया है। आईआईटी के पूर्व छात्र विपुल सिंह की कंपनी की शुरुआत भी संस्थान के स्टार्टअप इंक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (एसआईआईसी) से हुई है।

२०१२ में शुरू हुआ था सबसे छोटे ड्रोन पर शोध
२०१२ में आईआईटी छात्र विपुल सिंह ने ड्रोन का छोटे से छोटा आकार बनाने का शोध शुरू किया था। विपुल का लक्ष्य था कि ड्रोन का आकार और वजन छोटा हो, लेकिन उसके काम में कोई अंतर न आए। एक वर्ष दो माह के शोध के बाद विपुल ने आरव तैयार किया। इसके सरहद से लेकर व्यापारिक रूप से कई फायदे थे। सिविल एविएशन विभाग ने ड्रोन के महत्व, उसके आकार और वजन के बाद आरव को सबसे छोटे ड्रोन होने का प्रमाणपत्र दिया है।

छात्र ने खड़ी कर दी स्टार्टअप कंपनी
एक-एक ड्रोन बनाते बनाते विपुल ने एसआईआईसी में एक कंपनी शुरू कर दी। वर्तमान में ड्रोन के मामले में विपुल की वर्तमान में बड़ी और प्रसिद्ध कंपनी है। देश में छोटे आकार का ड्रोन बनाने में तीन कंपनियां काम कर रही है। आरव अनमैंड सिस्टम (एयूएस) का प्रयोग वर्तमान में देश की कई बड़ी कंपनियां अलग-अलग प्रोजेक्ट में कर रही हैं। आरव के कम भार से सर्वे जैसे काम आसानी से अधिक यथार्थता के साथ पूरा हो रहा है। बड़ी बिल्डिंग निर्माण में आरव का प्रयोग बड़े स्तर पर हो रहा है।

आरव के फायदे
आईआईटी में बने इस सबसे छोटे ड्रोन आरव का आज कई क्षेत्रों में इस्तेमाल हो रहा है। माइनिंग, अरबन डेवलपमेंट, सड़क (प्रोग्रेस मानीटरिंग, टोपोग्राफी सर्वे), रेलवे (सर्वे, प्रोग्रेस मानीटरिंग, टोपोग्राफी सर्वे), बाढ़ (राहत सामग्री, सर्वे, खाना पहुंचाना), निर्माण कार्य, बिजली लाइन, पाइपलाइन, सोलर एनर्जी में आरव से काफी मदद मिल रही है।