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अखिलेश यादव की साइकिल सज-धज कर तैयार, मजदूरों के शहर से करेंगे चुनाव का शंखदान

2012 में कानपुर से थामा था हैंडिल, करीब 10 हजार किमी दौड़ाई थी साइकिल

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Akhilesh Yadav Sp starts campaign for 2019 loksabha election in kanpur

अखिलेश यादव की साइकिल सज-धज कर तैयार, मजदूरों के शहर से करेंगे चुनाव का शंखदान

कानपुर। लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल जीत-हार के लिए रणनीति बना रहे हैं। बीजेपी को रोकने के लिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बसपा के साथ 2019 में उतरने का ऐलान कर कानपुर से चुनाव का शंखदान करने जा रहे हैं। साइकिल यात्रा का संयोजक कानपुर के निवासी प्रवीण सिंह यादव, मंजीत यादव और अर्पित यादव को बनाया गया है। प्रवीण ने बताया कि दो सितंबर को सरदार पटेल चौक बर्रा से साइकिल यात्रा का शुभारंभ होगा। इसके बाद अकबरपुर, झींझक, रसूलाबाद, बेला, अछल्दा, एरवा कटरा, छिबरामऊ, कन्नौज होते हुए दस सितंबर को तिर्वा होते हुए कानपुर देहात के रसूलाबाद में ही समापन होगा। इस यात्रा में अखिलेश कहां शामिल होंगे, यह निर्धारित नहीं है। वह किसी भी दिन साइकिल यात्रा में शामिल हो सकते हैं। प्रमीण बताते हैं कि साइकिल यात्रा पूरे प्रदेश में धूमेंगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के झूठ को जनता के समक्ष बेनकाब करेगी।

कानपुर के नेता बनाए गए संयोजक
भाजपा सरकार ने गांव, गरीब और किसानों के लिए जो योजनाएं लागू की हैं, सरकारी मशीनरी और संगठन के जरिये ग्राम चौपाल, रात्रि प्रवास कर जनता के बीच उनका प्रचार-प्रसार किया। अब उसी तर्ज पर सपा दोहरा दांव मारने की तैयारी में है। अपने शासन काल की उपलब्धियां जनता को गिनाने के साथ ही भाजपा सरकार की खामियों का जिक्र किया जाएगा। दो सितंबर से शुरू होने जा रही साइकिल यात्रा के संयोजक कानपुर के ही प्रवीण सिंह यादव, मंजीत यादव और अर्पित यादव बनाए गए हैं। प्रमीण बताते हैं कि बर्रा से साइकिल यात्रा की शुरूआत की जाएगी, जो पूरे प्रदेश में घूमेंगी। इस दौरान पीएम मोदी और सीएम योगी की जनविरोधी नीतियों को जनता के पास जाकर उजागर किया जाएगा।

2012 में कानपुर से की थी शुरूआत
2012 विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव ने कानपुर से साइकिल यात्रा निकाली थी। अखिलेश उस वक्त करीब दस हजार किमी की साइकिल यात्रा का नेतृत्व किया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश में एसपी की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी थी। एसपी इस इतिहास को एक बार दोबारा दोहराना चाहती है और कानपुर से अपने चुनावी अभियान की शुरुआत करने जा रही है। साइकिल यात्रा की शुरुआत 2 सितम्बर को कानपुर के बर्रा से होगी। जिसमें बड़ी संख्या में सपा कार्यकर्ता कानपुर, कानपुर देहात, औरैया, कन्नौज, ईटावा समेत कई जनपदों में भ्रमण करेंगे। यात्रा संयोजक प्रमीण यादव ने बताया कि जहां भी सपा कार्यकर्ता रात के वक्त रुकेंगे वहां पर संस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

किसी भी वक्त शामिल हो सकते हैं अखिलेश
सपा कार्यकर्ता गाँव-गाँव जाकर ग्रामीणों से मिलेगे और उनको अखिलेश यादव के कार्यकाल में किये गए विकास कार्यो से अवगत कराएंगे । बीजेपी के झूठे वादों और गलत, जनविरोधी नीतियों की जानकारी देंगे। इस साईकिल यात्रा की सबसे ख़ास बात यह रहेगी कि कही भी किसी भी वक्त सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गांव या फिर हाइवे पर साईकिल चलते हुए कार्यकर्ताओं को मिल सकते हैं.। इसके साथ ही अखिलेश यादव अचानक से किसी भी संस्कृतिक कार्यक्रम में पहुच सकते हैं। अखिलेश खुद भी गांव में चौपाल लगा सकते हैं और कार्यकर्ताओं के साथ साइकिल चलाकर इस अभियान में शामिल होंगे।

पीएम मोदी ने कानपुर से की थी शुरूआत
बीजेपी के लिए भी कानपुर से चुनावी अभियान शुभ माना जाता है। 2014 के लोकसभा चुनाव के अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कानपुर से की थी। कानपुर बीजेपी नगर इकाई ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर अवगत कराया था कि जिस प्रकार 2014 के लोकसभा चुनाव का आगाज कानपुर से हुआ था, उसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव की भी शुरुआत कानपुर से की जाए। जानकारों का मानना है कि कानपुर में लाखों की संख्या में आपपास जिलों के लोग नौकरी, कारोबार और अन्य तरीके से यहां रहकर अपना पेट पालते हैं। यहां से जिस दल के पक्ष में हवा बनती है, उसी की तरफ प्रदेश की जनता मुड़ जाती है। 2007 में बसपा तो 2012 में अखिलेश यादव ने यहां की कई सीटों में जीत दर्ज की थी। लोकसभा 2014 में बीजपी दोनों सीटों पर कब्जा कर विधानसभा की 10 में 7 पर फतह हसिल की थी।

कांग्रेस के लिए भी रहा है लकी
19 सितंबर 1978 में कांग्रेस आइकन इंदिरा गांधी ने कानपुर में एक रैली की थी। फूलबाग ग्राउंड में हुई रैली में इतनी भीड़ जुटी थी कि लोग पेड़ों पर चढ़कर इंदिरा को सुन रहे थे। इस रैली का ही असर था कि पूरे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए जोरदार माहौल बना और 1980 में कांग्रेस दोबारा सरकार में लौटी। इसके बाद लंबे वक्त तक सियासत खामोश रही। 90 के दशक में राम लहर आई और कानपुर बड़े आंदोलनों का गवाह बना। कांग्रेस की जिला कमिटी ने राहुल गांधी से मिलकर इस बात की जानकारी दी थी। उनसे यह आग्रह किया था कि लोकसभभा चुनाव का आगाज कानपुर से करें। जबकि बसपा नेता भी पार्टी हाईकमान से मिलकर कानपुर से इस बार चुनाव प्रचार की शुरूआत किए जाने की मांग कर चुके हैं।


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