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पुरूष डकैतों को पहली बार मिली चुनौती, पाठा के जंगल में उतरी खुंखार शेरनी

गया पटेल, ददुआ ने बनाए थे नियम, पाठा में महिलाओं के प्रवेश पर थी रोक, लेकिन अब बदल गए हालात, बबली कोल के बाद साधना के दस्तक से कांप उठा जर्रा-जर्रा

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पुरूष डकैतों को पहली बार मिली चुनौती, पाठा के जंगल में उतरी खुंखार शेरनी

कानपुर। कई दशकों तक बीहड़ और चंबल में महिला डकैतों के बूटों की आहट सुनाई देती रही, लेकिन पाठा के जंगल में बैंडिड क्वीन कभी नहीं दिखीं। इतना ही नहीं यहां के डकैतों के लिए बनाए गए नियम और कानून में साफ-साफ कहा गया है कि अगर गैंग में महिला पाई गई तो उसका वाहिष्कार कर दिया जाएगा। यही वजह रही कि तीन दशक तक बुंदेलखंड के कई जिलों में जंगल से बैठकर ददुआ पटेल ने सरकार चलाई। उसकी मौत के बाद ठोकिया, बलख्सड़िया औा बबिली कोल ने यहां पर राज किया पर किसी महिला को अपने गैंग में कभी जगह नहीं दी। पर पाठा में भी महिला महिला दस्यु सुंदरी साधना पटेल ने कदम रख दिया है, जिसके कारण पूर्व दस्यू भी नाराज बताए जा रहे हैं। ददुआ के गुरू गया पटेल कहते हैं कि हां सुनने में आया है कि साधना नाम की महिला गैंग का संचालन कर रही है, जो पाठा के नियमों के विरूद्ध है।

तीन दशक तक ददुआ की सल्तनत
एमपी और यूपी के कई जिलों में सैकड़ों किमी में फैले पाठा के जंगलों में आजादी के बाद से अब तक डकैतों की बूटों की आहट कायम है। 60 के दशक में एक 16 साल के लड़के ने अपने पिता की मौत का बदला देने के लिए बंदूक उठाई औैर 20 साल तक उसकी यहां हुकूमत चलती रही। उदेश्य पूरा होते ही गया पटेल उर्फ गया बाबा ने हथियार डाल दिए, लेकिन तब तक कई खुंखार डकैत पैदा हो गए। सरकारों ने इन्हें खत्म करने के लिए अभियान चलाया, ददुआ, ठोकिया, बलखड़िया को खात्मा कर दिया, लेकिन बबली कोल समेत कई नए गैंग फिर पाठा में सक्रिय हो गए। पर पाठा के इतिहास में कभी महिला डकैत के बारे में नहीं सुना गया। पर अब ऐसा नहीं रहा। बीहड़-चंबल के बाद पाठा में साधना पटेल नाम की डकैत ने कदम रख गैग की कमान संभाल ली है। पुलिस ने महिला डकैत पर दस हजार रूपए कर इनाम भी घोषित कर दिया है।

जंगल के गुर विरासत में मिले
साधना पटेल बीहड़ में कूदने के बाद से दस्यु सुंदरी फूलन देवी, सीमा परिहार और कुसमा नाईन की तरह काम कर रही है। पिता चुन्नीलाल पटेल खुद पाठा का इनामी डकैत था, इसलिए जंगल के गुर उसे विरासत में मिले हैं। साधना जेल में बंद इनामी डकैल नवल की प्रेमिका रही है। अब दस हजार रुपये के इनामी डकैत दीपक शिवहरे ने उसे अपने साथ कर लिया है। पुलिस के मुताबिक, वह हाल में पाल देव गांव के छोटू सेन अपहरण कांड की मास्टरमाइंड है। मध्य प्रदेश के सतना नया गांव थाने में उसके खिलाफ पहला मामला दर्ज हो चुका है।

शिवहरे गैंग की बनीं सरदार
भरतकूप क्षेत्र के बगैहा गांव की रहने वाली साधना पटेल के बारे में बताया गया है कि उसे डकैतों का सानिध्य बचपन से ही मिल गया था। डाकू नवल धोबी के साथ वह गैंग में रहती थी। सरगना के जेल जाने के बाद साधना पटेल का साथ दस हजार के इनामी डकैत दीपक शिवहरे गैंग से हो गया। गैंग में आधा दर्जन सदस्य हैं। जिसमें दीपक, अजय, जितेंद्र समेत छह लोग हैं। यह पाठा क्षेत्र में पहली बार हुआ है कि किसी महिला दस्यु सुंदरी का नाम सामने आया और उस पर दस हजार का इनाम घोषित हुआ है। पाठा के आसपास के गांवों में महिला डकैत ने दस्तक देना भी शुरू कर दिया है और ग्रामीणों को अपना शिकार बना रही है। चित्रकूट जिले के भरतकूप और आसपास के गांव में इनकी दहशत है।

गुरू के नक्खे कदम पर चल रहा बबली
चंबल और बीहड़ में पुतलीबई, फूलनदेवी, कुसूमा नाइम, सीमा परिहार से लेकर कई महिला डकैतों की यहां हुकूमत रही। इनके नाम से जर्रा-जर्रा कांपता था, पर पाठा का जंगल महिला डकैतों से अछूता रहा। गया पटेल, ददुआ, ठोकिया और बलखड़िया और बबली कोल की बूटों की आवाज से पाठा के जंगल में दगंल बदस्तूर चल रहे हैं। लेकिन इस दंगल में अब साधना पटेल ने दस्तक दे दी है। जिसका सामना सात लाख के इनामी व ददुआ के चेले बबलू कोल से होना तय माना जा रहा है। बबली कोल चित्रकूट जिले के डोंडा सोसाइटी के गांव कोलान टिकरिया के मजदूर रामचरन के घर में 1979 में हुआ था। उसे आयाराम-गयाराम की दुनिया का ककहरा ददुआ ने पढ़ाया था। ददुआ के मारे जाने के बाद बबली कोल बलखड़िया गैंग का सक्रीय सदस्य,शार्प शूटर बन गया। 2015 में एसटीएफ के साथ मुठभेड़ के दौरान बलखड़िया के मारे जाने के बाद बबली कोल ने गैंग की कमान संभाल ली और पिछले तीन सालों से एमपी-यूपी पुलिस के लिए सिरदर्द बना है।