
घुसपैठियों ने कानपुर में दी दस्तक, खड़ा कर लिया मिनी बांग्लादेश
कानपुर। असम में 40 लाख अवैध प्रभावितों के लेकर पूरे देश में सियासत गर्म है। कई संगठन व राजनीतिक दल उनके पक्ष में खड़े हो गए हैं। केंद्र सरकार भी अब अवैध रूप से देश में दाखिल हुए बांग्लादेशियों की पहचान कर उन्हें बाहर करने के लिए कमर कस चुकी है। लेकिन यह घुसपैठियों ने असम में ही अकेले नहीं है, बल्कि देश के कई शहरों में अपने ठिकानें बना लिए हैं। कानपुर में इन्होंने एक मिनी बांग्लादेश खड़ा कर लिया है। सेंट्रल स्टेशन और उसके आसपास के एरिया में सैकड़ों बांग्लादेशी परिवार अवैध रूप से रह रही हैं, जो ट्रेनों के अलावा आमजन के साथ कई वारदातों को अंजाम भी दे चुके हैं। स्थानीय लोगों का कहना है ये लोग सुरक्षा व्यवस्था के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। इन्हें पकड़ कर बांग्लादेश की सीमा पर छोड़ा जाना चाहिए।
रेलवे स्टेशन के पास बनाया ठिकाना
कानपुर के एक नहीं र्दजनभर इलाकों में बांग्लादेशी अवैध रूप से मकान मनाकर रह रहे हैं। भौंती स्थित गोशाला की 9 सौ बीघे जमीन पर इन्होंने कब्जा कर वहां मकान, दुकानों का निर्माण के साथ खेती-बाड़ी भी करते हैं। 2013 में इन्हें बाहर किए जाने के लिए भाजपा नेताओं ने आवाज उठाई, लेकिन अखिलेश सरकार इनके पक्ष में खड़ी हो गई और तब से यह बांग्लादेशी आराम से वहां रहते हैं। कुछ दिन पहले खुफिया एजेंसी ने एक रिपोर्ट राजकीय रेलवे पुलिस को दी थी। रिपोर्ट के मुताबिक कानपुर सेंट्रल स्टेशन के बाहर फुटपाथ पर अवैध तरीके से कब्जा करके रह रहे करीब 100 परिवार बांग्लादेशी हैं। इतना ही नहीं सेंट्रल से करीब 2-3 किलोमीटर के दायरे में ऐसे ही अवैध कब्जे करके करीब 200 से ज्यादा परिवार और रहे ही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सेंट्रल स्टेशन के आसपास के एरिया में एक ’मिनी बांग्लादेश’ बस गया है। रिपोर्ट के मुताबिक यह सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरा हैं और शासन-प्रशासन को इन्हें पकड़ कर बांग्लादेश भेजने का सुझाव दिया गया है।
बिना दस्तावेज के कानपुर में ठहरे
रिपोर्टग् मिलने के बाद जीआरपी ने इनकी पड़ताल की तो आसपास के करीब तीन सौ परिवार ऐसे हैं, जिनके परिवार के मेंबर्स की जानकारी किसी के पास नहीं है। जीआरपी इंस्पेक्टर राजाराम मोहन राय के मुताबिक सेंट्रल स्टेशन में हुई कई आपराधिक घटनाओं में संलिप्त लोगों के बारे में जब जानकारी जुटाई गई तो ये मालूम चला कि वो बांग्लादेश से यहां पहुंचे हैं।करीब एक दर्जन से ज्यादा बड़े अपराधी जिनको की जीआरपी ने जेल भेजा है वो सब बांग्लादेशी हैं। इनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं। जीआरवी इंस्पेक्टर के मुताबिक शहर में रहने वाली कुछ बांग्लादेशी ’घुमंतू प्रजाति’ के भी हैं। वो कभी टेंट लगाकर किसी भी रोड के किनारे अपना डेरा डाल लेते हैं. जिनका लेखा जोखा स्थानीय पुलिस के पास भी नहीं है।
ट्रेन के लिए भी बनें खतरा
जीआरपी इंस्पेक्टर ने बताया कि सेंट्रल पर होने वाली कई अपराधिक घटनाओं में बांग्लादेशी महिलाएं भी संलिप्त मिली हैं। ट्रेनों में सुबह नीम की दतून, आर्टीफिशयल ज्वैलरी समेत अन्य चीजें बेचती हैं और यात्री की पलक झपकते ही उनका सामान पार कर देती हैं। ऐसी कई महिलाओं को जेल भेजा जा चुका है। जीआपरी ने एक साल के अंदर 34 बांग्लादेशियों को किसी न किसी जुर्म में भेजा जेल है। ये ’बांग्लादेशी’ सेंट्रल और ट्रेनों की सुरक्षा के लिए भी खतरा हैं। दो साल पहले पूर्व जीआरपी इंस्पेक्टर त्रिपुरारी पांडेय ने सेंट्रल के आसपास बसे ’बांग्लादेश’ में रहने वाले लोगों के वेरीफिकेशन के लिए जिला पुलिस को लेटर लिखा था, लेकिन अब तक उस तरफ एक कदम भी नहीं बढ़ाया गया। इंस्पेक्टर ने बताया कि जल्द ही इस प्रकरण की जानकारी स्थानीय पुलिस-प्रशासन के अलावा रेलवे को दी जाएगी। रेलवे स्टेशन के आसपास रहने वाले बांग्लादेशियों की पहचान कर इन्हें बाहर किया जाएगा।
एसटीएफ और दिल्ली पुलिस ने दबोचे बांग्लादेशी
सेंट्रल पर 28 जुलाई को पुलिस ने घेराबंदी कर तीन बांग्लादेशी शातिर इकराम, लड्डू और सलीम को पकड़ा गया था, जबकि उनके तीन साथी पुलिस को गच्चा देकर फरार हो गए थे। हत्थे चढ़े तीनों बांग्लादेशी को दिल्ली पुलिस अपने साथ ले गई थी। दिल्ली पुलिस के मुताबिक तीनों बांग्लादेशी युवकों ने दिल्ली में एक कारोबारी के परिवार को गन प्वाइंट में रखकर लूट की थी।दिल्ली पुलिस के एक दरोगा ने उनको पकड़ने की कोशिश की तो तीनों ने उसको गोली मार दी थी। आरोपियों के तीन साथी अभी भी फरार है. उनकी तलाश में पुलिस दबिश दे रही है। पुलिस सूत्रों की मानें तो फरार तीन बांग्लादेशी रेलवे स्टेशन के पास स्थित बस्ती में प्रवेश कर गए और गुम हो गए।
Published on:
06 Aug 2018 12:30 pm
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