इरफान सोलंकी से पहले भी यूपी विधानसभा के सदस्यों पर हो चुकी है कार्रवाई। आइए आपकों बताते हैं कि उन विधायको के बारे में…
आजम खान
यूपी की सियासत में माननीय की सदस्यता जाने का अनोखा मामला रामुपर का रहा। जहां आजम खान ने कोर्ट के फैसले के बाद अपनी विधानसभा सदस्यता गंवाई। आजम को साल 2019 के हेट स्पीच मामले रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट से तीन साल की सजा सुनाई गई थी। इसके उनकी सदस्यता रद्द कर दी।
अब्दुल्ला आजम
वर्ष 2017 में रामपुर के स्वार विधानसभा सीट से विधायक रहे अब्दुल्ला आजम की सदस्यता भी रद्द हो चुकी है। 16 दिसंबर 2019 को उनका चुनाव शून्य करार देते हुए निर्वाचन रद्द कर दिया गया था। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 107(1) के तहत चुनाव रद्द हो गया। उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया।
अशोक चंदेल
हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल की सदस्यता वर्ष 2019 में चली गई थी। 19 अप्रैल 2019 को हाईकोर्ट ने उन्हें हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सजा सुनाई थी। अशोक चंदेल हमीरपुर में वर्ष 2007 में राजीव शुक्ला के भाई- भतीजों समेत 5 लोगों की हत्या में दोषी पाए गए थे।
विक्रम सैनी
मुजफ्फरनगर की खतौली से विधायक रहे विक्रम सैनी को भी सजा के कारण अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी। विक्रम 2013 में दंगे में शामिल होने के दोषी पाए गए थे। इस मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा थ। विक्रम सैनी जब जेल से छूट कर आए तो भाजपा ने उन्हें खतौली से अपना उम्मीदवार बनाया।
इंद्र प्रताप तिवारी
फर्जी मार्कशीट केस में अयोध्या के गोसाईंगंज से भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की सदस्यता चली गई थी। साकेत कॉलेज के प्राचार्य यदुवंश राम त्रिपाठी की याचिका पर कोर्ट ने उनके खिलाफ पांच साल की सजा सुनाई थी। इस मामले में खब्बू तिवारी को अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी।
कुलदीप सेंगर
उन्नाव में नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म केस में बांगरमऊ से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। सजा सुनाए जाने के बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई। विधानसभा के प्रमुख सचिव की ओर से सजा के ऐलान के दिन 20 दिसंबर 2019 से ही उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई।