बेटे के हाथों में गांव की बागडोर, वोट नहीं देने पर ग्रामीणों को मिल रही चोंट
कानपुर•Jun 30, 2018 / 04:32 pm•
Vinod Nigam
विनय कटियार का घर गुलजार, दर्द से करार रहा दधिखा गांव
कानपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी के सीएम योगी आदित्यनाथ हर घर में बिजली और टॉयलेट के लाख दावे कर लें, पर जमीनी हकीकत इसके बिलकुल वितरीत है। भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय कटियार का घर गुलजार है तो वहीं उनका गांव दधिया दर्द से कराह रहा है। आज भी पचास फीसदी आबादी खुले में शौंच के लिए जाने को विवश है तो आजादी के बाद दर्जनों परिवार चिमनी की रोशनी में रात गुजारने को विवश हैं। जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद डॉक्टर नहीं आने के चलते ग्रामीणों को इलाज के लिए बिल्हौर के साथ ही कानपुर आना पड़ता है। ग्रामीणों का आरोप है कि सांसद जी के बेटे विपिन के चलते एक समुदाय के लोगों का विकास नहीं हो पाया। सरकारी डॉक्टर अस्पताल के बजाए विपिन के घर के बाहर इलाज कुछ लोगों का इलाज कर कानपुर चले जाते हैं।
पर गांव का हाल-बेहाल
भाजपा के फायर ब्रांड नेता विनय कटियार का जन्म बिल्हौर तहसील के दधिखा गांव में 11 नवंबर 1954 को हुआ था। इनके पिता देवी चरण किसान था जबकि मां श्यामकली हाउस वाइफ थी। विनय कटियार से की प्राथमिक शिक्षा-दिक्षा बिल्हौर से करने के बाद छत्रपति शाहू जी महाराज यूनिवर्सिटी कानपुर से कॉमर्स में बीए की डिग्री ली है। विनय कटियार की गिनती भाजपा के कद्दावर नेताओं में होती है और वो राममंदिर के निर्माण के लिए पिछले कई सालों से जुटे हुए हैं। पर उनके पैतृक गांव का हाल-बेहाल है। मूलभूति सविधाएं नहीं होने से ग्रामीणों को शहर की तरफ आना पड़ता है। बारिश आते ही गांव में इन दिनों सवंमित बीमारियों ने पैर पसार लिए हैं, लेकिन सरकारी अस्पताल सिर्फ शोपीस बन कर रह गया है। गांववालों ने बताया कि यहां महिने में चार से पांद दि नही डॉक्टर आते हैं, बाकीं दिन अस्पताल में ताला बंद रहता है।
कटियार का राजनीतिक कॅरियर
विनय कटियार ने अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से की। 1970 से 1974 के बीच वो एबीवीपी की उत्तर प्रदेश ईकाई के संगठन सचिव रहे। 1974 में जयप्रकाश नारायण के बिहार आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 1980 में वो आरएसएस के प्रचारक बने। 1982 में हिंदू जागरण मंच की स्थापना की और 1984 में रामजन्मभूमि आंदोलन के लिए बजरंग दल की स्थापना की। 2002 से 2004 के दौरान यूपी बीजेपी के अध्यक्ष रहे। इसके बाद 2006 में बीजेपी के जनरल सेक्रेटरी भी बने। 1991, 1996 और 1999 में फैज़ाबाद सीट से तीन बार लोकसभा के लिए भी चुने गए। वर्तमान समय में वो राज्यसभा सांसद हैं।
बेटे के हाथों गांव की बागडोर
कानपुर नगर से 40 किमी की दूरी पर स्थित विनय कटियार के दधिखा गांव में एक नहीं दर्जनों समस्याएं मुंहबाए खड़ी हैं। तीन साल पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी सांसदों को एक-एक गांव गोद लेकर उसे आदर्श गांव बनाने के निर्देश दिए थे। पर विनय कटियार ने खुद के गांव को गोद नहीं लिया। गांववालों का कहना है कि राज्यसभा सांसद विनय कटियार गांव आए थे और पंचायत भवन में बैठक कर बिजली, सड़क स्वास्थ्य और पेयजल की समस्या से छुटकारा देने का भरोसा देकर चले गए, पर मर्ज जस के तस बने हुए हैं। रामऔतार कहते हैं कि सांसद जी के बेटे विपिन कटियार के हाथों पर गांव की सत्ता है। वो अपने करीबियों को सुविधाएं मुहैया कराते हैं, लेकिन जो उन्हें ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा व विधानसभा में वोट नहीं देता, उनके घरों में अंधेरा छाया रहता है। रमेश कहते हैं कि गांव में स्वच्छ पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं होने के चलते हमलोग दूसरे गांव से पानी लोन को मजबूर होते हैं।
अस्पताल-स्कूल पर किया कब्जा
गांववाले सांसद बेटे के खौफ के चलते ज्यादा कुछ तो बोलने को तैयार नहीं हुए पर इतना जरूर बताया कि सरकारी अस्पताल और स्कूल पर सांसद जी के परिवार का कब्जा है। वह यहां पर फसल रखवाते हैं, जबकि बच्चे बाहर खुले में पढ़ने को मजबूर है। साथ ही गांव में करीब तीस फीसदी शौचालयों का निर्माण कार्य दो माह पहले हो गया था, लेकिन इनमें से अधितकर में सीटें नहीं रखवाई गई। जिसके चलते ये सिर्फ शोपीस बनकर रह गए हैं। गांव के सेवक लाल कहते हैं हमें घर से आधा किमी की दूरी पर खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है। हमने ग्राम प्रधान से कईबार शौचालय बनवाने के लिए कहा, बीडीओ और एसडीएम मिले, पर कहीं सुनवाई नहीं हुई। वहीं रज्नना देवी की सास जिनकी उम्र 70 से अधिक है, उनका कहना था कि बबुआ बड़े साहब एकबार आए थे। हमने उनसे शौचायल के लिए कहा था। उन्होंने आश्वासन दिया था, लेकिन शौचालय हमें नहीं मिला।
चूल्हों में पकता है भोजन
प्रधानमंत्री ने गरीब परिवारों को रसोई गैस के साथ चूल्हा पूरे देश में बांटा, लेकिन विनय कटियार के गांव में गरीबों को इस योजना का लाभ नहीं मिला। करीब सौ से ज्यादा गरीब परिवार चूल्हे में खाना बनाने को मजबूर हैं। सुषमा देवी जिनका घर गांव के बाहर बना है ने बताया कि हमने प्रधानमंत्री की इस योजना के तहत रसोई गैग कनेक्शन के लिए प्रधान व सचिव से कहा, लेकिन उन्होंने हमें नहीं दिया। गांव में बड़े लोगों के घरों में एक नहीं, चार-चार रसोई गैस दिए गए। वहीं रामऔतार कहते हैं कि सरकार की कोई भी योजना का लाभ हम गरीब तबके के लोगों को नहीं मिलता। अधिकारियों से शिकायत करो, या फरियाद लगाओ, लेकिन उनके दिल में हमारे लिए कोई जगह नहीं है।
कभी-कभार बैठ जाते हैं डॉक्टर
विनय कटियार ने अपने गांव से कुछ दूरी पर लोगों को इलाज मिले समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खुलवाया था, लेकिन शुक्रवार को जब पत्रिका टीम मौके पर पहुंची तो वहां पर ताला लटक रहा था। इलाज के लिए आए लोगों ने बताया कि ये अस्पताल सप्ताह में सिर्फ दो दिन खुलता है। यहां डॉक्टर की जगह पोलियो पिलाने वाली महिलाएं इलाज करती हैं। छात्र ने बताया कि मौसमी बीमारियों का सीजन चल रहा है और हररोज दर्जनों लोग इलाज के लिए यहां आते हैं, लेकिन ताला बंद होने के चलते शहर जाकर इलाज करवाने को विवश होते हैं। वहीं पूरे प्रकरण मे ंग्राम प्रधान सर्वेश कुमार ने कहा कि कुछ लोगों के चलते गांव का विकास नहीं हो पा रहा है। सर्वेश ने इशारों-इशारों में सांसद विनय कटियार के बेटे को जिम्मेदार बताया।