गन्ने से चीनी बनेगी और चुकंदर व मक्के से इथेनॉल,अधिक उत्पादन व पानी की कम खपत का प्रयास
कानपुर। पानी की कम खपत और अधिक उत्पादन को लेकर विशेषज्ञ प्रयास कर रहे हैं। इसमें अब गन्ने के साथ चुकंदर और मक्के की खेती पर विचार हो रहा है। जिसमें गन्ने से शक्कर बनेगी और मक्के व चुकंदर से इथेनॉल बनाया जाएगा। इस तरह की खेती से समय और पानी की बचत होगी, साथ ही भूमि की उर्वरक क्षमता का पूरा उपयोग किया जा सकेगा। इससे खेती से लेकर इंडस्ट्री तक को फायदा होगा।
इथेनॉल का प्रयोग
ईंधन के रूप में इथेनॉल के प्रयोग से न केवल प्रदूषण पर लगाम लगेगी, बल्कि उपलब्ध ईंधनों से कम से कम 30 प्रतिशत सस्ता होने के कारण उपभोक्ताओं को बड़ी राहत भी मिल सकती है। इथेनॉल का इस्तेमाल कर अगले 5-7 साल में डीजल की खपत में कम से कम 20 प्रतिशत तक की कमी की जा सकती है जिससे सालाना 26,000 करोड़ रुपए की बचत हो सकती है। इथेनॉल के प्रयोग से परिवहन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है और यह डीजल का विकल्प बन सकता है। इसे रसोई गैस और पेट्रोल में मिलाकर उनकी कीमत भी कम की जा सकती है और विमानों के परिचालन में भी इसका उपयोग हो सकता है। चीन, इटली, स्वीडन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इजरायल, जापान और कई यूरोपीय देशों में इथेनॉल का उपयोग किया जा रहा है। चीन में तो परिवहन क्षेत्र में 10 प्रतिशत इथेनॉल का उपयोग हो रहा है।
एनएसआई में जुटेंगे विदेशी विशेषज्ञ
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) में दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन होने जा रहा है। इसमें आस्ट्रेलिया और सऊदी अरब के भी विशेषज्ञ आ रहे हैं। साथ ही एक एक्सपो भी लगेगा। इसमें 20 से अधिक कंपनी अपनी नई तकनीक, मशीनरी का प्रदर्शन करेंगी। एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन और निस्टा (नार्थ इंडियन शुगरकेन एंड शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन) के अध्यक्ष डॉ. राममूर्ति सिंह ने बताया कि यह निस्टा का चौथा वार्षिक सम्मेलन है। इसमें विश्व की सबसे बड़ी रिफाइनरी के सदस्य और वर्तमान में शुगरकेन रिसर्च इंस्टीट्यूट,आस्ट्रेलिया के रास ब्राडफुट आ रहे हैं। वे रिफाइनरी के बारे में जानकारी देंगे। उनका व्याख्यान संस्थान के पहले निदेशक प्रो. आरसी श्रीवास्तव मेमोरियल होगा। यूनाइटेड शुगर कंपनी, सउदी अरब के अधिशाषी निदेशक अहमद वावडा स्पेशलिस्ट शुगर बनाने की विशेष तकनीकी के बारे में जानकारी देंगे।
किया जाएगा सम्मान
डॉ. सिंह ने बताया कि सम्मेलन में लाइफटाइम एचीवमेंट, युवा वैज्ञानिक पुरस्कार, निस्टा फेलोशिप समेत कई पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। सम्मेलन में गन्ने की कृषि तकनीक और विकास, चीनी उत्पादन एवं प्रक्रिया का विकास, इथेनॉल उत्पादन, नीति एवं लाभ, मूल्य वर्धन के लिए सह-उत्पादों का उपयोग व नई खोज, पर्यावरण व इफ्लुएमेंट प्रबंधन के बारे में मंथन किया जाएगा।