अग्रवाल का कहना है कि हीरो मोटोकॉर्प व रॉयल इनफील्ड की टीम ट्रायल कर रही है। और यदि सब कुछ सही रहा व सरकार इसकी मंजूरी दे देती है तो आगामी 6 महीनों में मेथेनॉल मिश्रित ईंधन और इस तरह की बाइकें बाजार में उपलब्ध होंगी। उन्होंने बताया कि टीम ने एक ऐसा इंजन तैयार किया है, जिससे मेथेनॉल से बाइक चलाई जा सकेगी। इसका सफल परीक्षण भी कर लिया गया है। सरकार मेथेनॉल का इस्तेमाल को बढ़ाने व इस तरह की तकनीक को आगे ले जाने में हर स्तर पर काम कर रही है।
ये भी पढ़ें- भारत निर्वाचन आयोग का बहुत बड़ा फैसला, इस तारीख को यहां पुनः होगा मतदान, जारी हुए निर्देश चुनाव के बाद हो सकती है घोषणा- वहीं नीति आयोग के सलाहकार प्रो. वीके सारस्वत ने इसके लिए पांच अलग-अलग टास्क फोर्स गठिक की हैं, जो मेथेनॉल इकोनॉमी के अलग-अलग पहलुओं पर काम कर रही है। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद इसको लेकर बड़ी घोषणा हो सकती है। अविनाश अग्रवाल की टीम ने 100 से 500 सीसी वाली बाईकों को मेथेनॉल से चलाने पर काम किया है और अच्छी बात यह है कि किसी भी बाइक में कोई समस्या सामने नहीं आई है।
कैसे तैयार होता मेथेनॉल, क्या हैं फायदे- ऑटोमाबाईल की दुनिया में नया आयाम देने वाले मेथेनॉल को तैयार करने का तरीका बेहस आसान है। प्रो. अग्रवाल के मुताबिक, मेथेनॉल का निर्माण कृषि अपशिष्ट उत्पाद (गन्ना, शकरकंद), हाईएस कोल और शहरी अपशिष्ट से किया जा सकता है। वहीं यह भारी ईंधन का अच्छा विकल्प है और इसलिए इसे जल परिवहन के लिए सबसे भरोसेमंद ईंधन माना जाता है। मेथेनॉल पूरी तरह से स्वदेशी ईंधन होगा। इससे भारत की अर्थव्यवस्था पेट्रोल के आयात से मुक्ति की दिशा में चल सकेगी।