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कानपुर में बनेगा देश का पहला मेगा लेदर पार्क

- 5850 करोड़ की आएगी लागत, 235 एकड़ जमीन पर होगा निर्माण- गंगा प्रदूषित न हो, इसके लिए लगेगा ट्रीटमेंट प्लांट

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कानपुर में बनेगा देश का पहला लेदर मेगा पार्क

मेगा लेदर पार्क में करीब 5850 करोड़ रुपए की खर्चा आएगा और दो लाख बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा

पत्रिका एक्सप्लेनर
कानपुर. गंगा प्रदूषण के नाम पर लगातार सरकार और गैरसरकारी संगठनों की आलोचनाओं से घिरी कानपुर की लेदर इंडस्ट्री ने अपने दूसरे ठिकाने ढूंढ लिये हैं। लेदर उत्पाद से मिलने वाले भारी कर के नुकसान से चेती योगी आदित्यनाथ सरकार ने इंडस्ट्री का पुनरुद्धार करने के लिए लेदर मेगा पार्क की एक बड़ी योजना तैयार की है। इस योजना में करीब 5850 करोड़ रुपए की खर्चा आएगा और दो लाख बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। साथ ही सरकार ने इस पार्क की थीम के साथ ही यह ध्यान रखा है कि गंगा प्रदूषित न हो, इसके लिए ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया जाएगा।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार कानपुर के रमईपुर गांव में देश का पहला मेगा लेदर पार्क बनाने जा रही है। इसके लिए करीब 36 करोड़ रुपये से 235 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। बीते दिनों लघु उद्यम विभाग की ओर से केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय को मंजूरी के मेगा लेदर क्लस्टर परियोजना का प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। जल्दी ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पार्क का शिलान्यास करेंगे। लेदर पार्क के विकास के लिए मेगा लेदर क्लस्टर डेवलपमेंट यूपी लिमिटेड कंपनी बनाई गयी है।

मेगा लेदर पार्क में 150 से ज्यादा टेनरी काम करेंगी। इस पार्क से चमड़े से बने जूते, पर्स, जैकेट से लेकर अन्य वर्ल्ड लेवल प्रोडक्ट्स की मैनुफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट होगा। औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों का अनुमान है कि लेदर पार्क की परियोजना से 5850 करोड़ रुपये का निवेश आएगा, जबकि पूरे मेगा लेदर क्लस्टर प्रोजेक्ट में करीब 13000 करोड़ रुपये का निवेश आएगा। साथ ही 50 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रूप से जबकि डेढ़ लाख से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।

लेदर पार्क में होंगी सारी सुविधाएं
कानपुर के रमईपुर में बनने वाला मेगा लेदर पार्क सभी तरह की सुविधाओं से लैस होगा। इसमें लेदर प्रोडक्ट के उत्पादन से लेकर उत्पादों के प्रदर्शन की व्यवस्था होगी। लेदर पार्क में पार्क में कैंटीन से लेकर रेस्ट हाउस तक बनेंगे, ताकि देश-दुनिया से आने वाले निवेशकों के रुकने और खाने-पीने की दिक्कतों का सामना करना पड़े। 4,000 स्क्वॉयर मीटर से लेकर 1,000 स्क्वॉयर मीटर के प्लाट पार्क में कारोबार करने वालों को मिल सकेंगे। पार्क में साफ-सफाई का विशेष प्रबंध रहेगा।

संकट से उबरेगी लेदर सिटी
कपड़ा उद्योग के चलते 'पूरब का मैनचेस्टर' कहे जाने वाले कानपुर को 'लेदर सिटी' के तौर पर जाना जाता रहा है। कई बड़ी कंपनियां इस शहर में अपना कारोबार करती है, जिनके उत्पाद देश और दुनिया के अलग-अलग देशों में निर्यात किये जाते हैं। हालांकि, बीते वर्षों में अलग-अलग कारणों के चलते कानपुर का लेदर कारोबार संकट में आ गया। पहले प्रयागराज कुंभ के चलते टेनरियों के चलने पर पाबंदी और कोरोना संकट के चलते कानपुर के चमड़ा कारोबार में अरबों का नुकसान हुआ है। इसकी वजह से फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, संयुक्त अरब अमीरात, यूएसए समेत दर्जन भर आयातक देशों ने माल लेने से मना कर दिया था। कई टेनरी संचालकों ने स्थायी रूप से पश्चिम बंगाल जाने का रुख कर लिया था। टेनरी मालिकों का कहना था कि हालात ऐसे बन गए हैं कि अब इंडस्ट्री का चलना मुश्किल है। अब मेगा लेदर पार्क और मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना से कानपुर शहर को देश में एक अलग पहचान मिलेगी।