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कानपुर 1984 सिख दंगा: एसआईटी का प्रयास फास्ट ट्रैक कोर्ट में चले मुकदमा, कड़ी सजा मिले

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख दंगे में सबसे ज्यादा प्रभावित कानपुर शहर था। जहां पर कुल 127 सिखों की हत्या की गई थी। योगी सरकार बनने के बाद गठित की गई एसआईटी ने तेजी से जांच की और 11 मामलों की विवेचना पूरी करते हुए 23 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। कुल 146 व्यक्ति चिन्हित किए गए थे। अभी गिरफ्तारी का दौर जारी है। डीआईजी बालेंदु भूषण के अनुसार आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाए जाने का प्रयास होगा।

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कानपुर 1984 सिख दंगा: एसआईटी का प्रयास फास्ट ट्रैक कोर्ट में चले मुकदमा, कड़ी सजा मिले

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1984 इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे की जांच पूरी हो गई है। अब गिरफ्तारी का दौर चल रहा है। 38 साल पूर्व हुए नरसंहार की जांच के लिए बैठाई गई। एसआईटी टीम ने अब तक 23 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। अभी गिरफ्तारी का क्रम बना हुआ है। इस संबंध में एसआईटी डीआईजी ने बताया कि आरोपियों को उनके कृत्यों की सजा दिलाने का प्रयास होगा। जिसमें आजीवन कारावास से लेकर फांसी की सजा भी हो सकती है। मामला 1984 से जुड़ा है। ऐसे में गिरफ्तार आरोपियों की उम्र लगभग 60 साल के आसपास है। कुछ तो 80 के आसपास पहुंच चुके हैं।

1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख दंगे में सबसे ज्यादा कहर कानपुर में ही टूटा था। जहां कुल 127 सिखों की हत्या की गई थी। इस दौरान आगजनी, डकैती, लूटपाट, हत्या सभी प्रकार की घटनाएं सामने आई थी। जिसकी गूंज काफी दिनों तक सुनाई पड़ी। उपरोक्त मामले में कुल 40 मुकदमे दर्ज हुए थे। उत्तर प्रदेश पुलिस ने 29 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। उपरोक्त घटना को लेकर सिखों में नाराजगी व्याप्त थी कि दोषियों को सजा नहीं मिली थी। इस संबंध में उन्होंने कई बार जांच की मांग भी की। प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद सिखों को न्याय की आशा हुई और उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने अपनी मांग रखी। सिख संगठनों की मांग पर योगी सरकार ने 27 मई 2019 को एसआईटी का गठन किया है।

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एसआईटी डीआईजी बालेंदु भूषण ने सिख दंगों की फाइलों को खंगाला। इस दौरान ऐसे मुकदमों की छ्टनी की। जिस पर कार्रवाई होनी चाहिए। 20 मुकदमों पर उन्होंने जांच शुरू की। इस संबंध में बालेंदु भूषण ने बताया कि विवेचना के दौरान काफी कुछ निकल कर सामने आया। 146 दंगाइयों को चिन्हित किया गया था । अब तक 11 मामलों की विवेचना पूरी हो गई है। 146 चिन्हित दंगाइयों में से 79 की मौत हो चुकी है और 23 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। शेष की तलाश की जा रही है। बालेंदु भूषण के अनुसार विवेचना के दौरान जानकारी मिली की चिन्हित दंगाइयों में दो दर्जन की उम्र 75 साल से ज्यादा है और गिरफ्तारी के लिए उन्होंने शासन से अनुमति मांगी। अनुमति मिलने के बाद 23 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। उन्होंने बताया कि मुकदमों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने के लिए शासन से मांग की जा रही है। जिससे कि आरोपियों को जल्द से जल्द उनके किए की सजा मिल सके। जिसमें आजीवन कारावास से लेकर फांसी तक की सजा हो सकती है।