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Kanpur Dehat: पीएम आवास योजना के नाम पर करते थे ठगी,मास्टरमाइंड की बात सुनकर STF रह गई दंग…

Kanpur Dehat News: प्रधानमंत्री आवास दिलाने का प्रलोभन देकर सैकड़ों लोगों से ठगी करने वाले एक संगठित गिरोह का STF ने भंडाफोड़ किया है। मास्टरमाइंड सहित 2 ठगों को गिरफ्तार किया है।

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Kanpur Dehat: पीएम आवास योजना के नाम पर करते थे ठगी,मास्टरमाइंड की बात सुनकर STF रह गई दंग...

Kanpur Dehat: पीएम आवास योजना के नाम पर करते थे ठगी,मास्टरमाइंड की बात सुनकर STF रह गई दंग...

Kanpur Dehat News: कानपुर देहात पुलिस व एसटीएफ़ ने मोबाइल एप्स के माध्यम से प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए पात्र लाभार्थियों का डेटा निकाल कर प्रधानमंत्री आवास दिलाने का प्रलोभन देकर सैकड़ों लोगों से ठगी करने वाले एक संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है और कानपुर देहात से ठगी के संगठित गिरोह को चलाने वाले मास्टरमाइंड सहित 2 ठगों को गिरफ्तार किया है।

गिरोह का मास्टरमाइंड हुआ गिरफ्तार

बताते चलें कि प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाने के नाम पर लोगों को ठगे जाने की शिकायतें लगातार एसटीएफ व पुलिस को मिला रही थी। जिसके चलते एसटीएफ ठगी गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार करने के लिए लगातार छापेमारी कर रही थी। इस दौरान एसटीएफ को कानपुर देहात के रनियां थाना क्षेत्र में संगठित गिरोह के होने की जानकारी मिली। एसटीएफ ने कानपुर देहात पुलिस की मदद से बुधवार की देर रात राजेन्द्रा चौराहा रनिया कानपुर देहात के पास घेराबंदी करते हुए मास्टरमाइंड राजेश सिंह उर्फ चीता व अनिल सिंह उर्फ प्रदीप को गिरफ्तार कर लिया।

सक्षम अधिकारी बनकर करते थे कॉल

एसटीएफ व पुलिस पूछताछ में गिरफ्तार किया गया राजेश सिंह व अनिल सिंह ने बताया कि यह लोग लंबे समय से प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर ठगी करने का काम कर रहे हैं। इनके द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर आम लोगों को फोन करके कहा जाता था कि यह लोगो सचिवालय लखनऊ के प्रधानमंत्री आवास योजना कार्यालय के सक्षम अधिकारी बोल रहे हैं।

रजिस्ट्रेशन के नाम पर जमा करते थे रुपए

राजेश सिंह व अनिल सिंह ने बताया कि फिर यह लोगो सवाल करते थे कि क्या आपके द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत फार्म भरा गया है। यदि कोई हां कहता था। तो उसको विश्वास कराने के लिए उसका आधार कार्ड का नम्बर लेकर विभिन्न मोबाइल एप्स के माध्यम से उनकी व्यक्तिगत जानकारी/पारिवारिक विवरण उसको बताया जाता था। उसके बाद प्रलोभन देते हुए कहा जाता था कि आपका 3 लाख 25 हजार रुपए पास हुआ है। जिसको प्राप्त करने के लिए तीन से पांच हजार रुपए रजिस्ट्रेशन के नाम पर जमा करने के लिए बोला जाता था। जिसके बाद प्रलोभन में आकर लोग यूपीआई में पैसे जमा भी करते थे।

आपस में बांट लेते थे रुपए

पैसे जमा करने के बाद इन लोगों से नया खाता भी खुलवाया जाता था और फिर वेरीफिकेशन के नाम पर लोगों से उनका एटीएम कार्ड सहित बैंक से जारी किटको एक पते पर रजिस्टर्ड आग से मंगवा लेते थे। इन खातों का प्रयोग यह सभी लोगो अन्य लोगों से ठगी के लिए किया जाता था। इन बैंक खातों में रूपया आ जाने पर इन दोनों का तीसरा साथी मोनू सिंह द्वारा विभिन्न एटीएम के माध्यम से निकाल लिया जाता था। ठगी से प्राप्त रूपयों यह लोगो आपस में बांट लेते थे।