
जर्जर हो चुका लखनऊ-कानपुर का रेलवे रूट, लाइनों में अक्सर होता फ्रैक्चर
कानपुर। अब तो खुद रेलवे ने भी मान लिया है कि कानपुर से लखनऊ के बीच का रेलवे रूट देश में सबसे स्लो है। इस रूट पर इतनी बाधाएं हैं कि सुपरफास्ट ट्रेनों को रेंगते हुए निकलना पड़ता है, जिस कारण पैसेंजर और मेमू ट्रेनें घंटों तक लाइन खाली होने के इंतजार में खड़ी रह जाती हैं। इस रूट पर क्षमता से अधिक लोड होने के चलते कभी भी कोई भी गाड़ी न तो कानपुर से समय पर छूटती है और न ही लखनऊ समय पर पहुंचती है।
रेलवे परिचालन अनुभाग का खुलासा
रेलवे अफसरों ने माना है कि कानपुर-लखनऊ का रेलवे रूट देश का सबसे स्लो रूट है। पूरी तरह विद्युतीकृत होने के बावजूद ट्रेनें अपनी रफ्तार में नहीं दौड़ पाती हैं, जिस कारण पीछे की ट्रेनों को भी स्लो रहना पड़ता है। हालात यह रहते हैं कि हर ट्रेन के आगे और पीछे एक-एक ट्रेन लगी रहती है। नॉनस्टाप सुपरफास्ट ट्रेनों को भी लगभग हर स्टेशन पर रोकना पड़ जाता है। इस कारण वे फुल स्पीड में नहीं चल पातीं।
कई खामियां हैं इस रूट में
इस रेलखंड पर कई बाधाएं इस रूट को स्लो किए हुए हैं। इस रूट पर ट्रेनें क्षमता से अधिक हैं, जबकि ट्रैक जर्जर है। कई जगह पटरियों पर जंग लगा हुआ है। ५२ केजी ट्रैक अपनी समयावधि पूरी कर चुका है और आए दिन यह फ्रैक्चर होता रहता है। ट्रैक को बदलने का काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया, जबकि इसकी जरूरत बहुत पहले से है।
७२ किमी के बीच सात कॉशन
जर्जर लाइन के कारण ट्रेनों को कॉशन देकर गुजारा जाता है। सबसे ज्यादा कॉशन गंगाघाट स्टेशन से मानकनगर के बीच हैं। इस कारण स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस को छोड़कर सभी सुपरफास्ट गाडिय़ों को ६५ किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलाया जाता है। ऐसे में मेमू और अन्य पैसेंजर गाडिय़ों के लिए रूट खाली ही नहीं मिलता और अक्सर मेमू को रद्द करना पड़ता है।
Published on:
08 May 2019 03:49 pm
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