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कानपुर

धरती से प्रकट हुए थे बालाजी,भक्तों को दूर करते हैं बीमारी

कानपुर से 25 किमी की दूरी पर स्थित है यह प्राचीन मंदिर, बुढ़वा मंगल पर सुबह से लगी भक्तों की कतार

कानपुरSep 25, 2018 / 10:48 am

Vinod Nigam

Maharajpur balaji temple story in kanpur hindi news

धरती से प्रकट हुए थे बालाजी,भक्तों को दूर करते हैं बीमारी

कानपुर। सच्ची भक्ति के आगे स्वयं भगवान भी नतमस्तक हो जाते हैं और अपने प्रिय भक्त को संसार का हर सुख देने को आतुर रहते हैं। महाबली बाला जी की भक्ति भी ऐसी ही है और तभी तो प्रभु श्री राम ने उन्हें भक्त शिरोमणि बना दिया। बुढ़वा मंगल पर्व पर हम आपको एक ऐसे ही हनुमान मंदिर के दर्शन करवाने जा रहे हैं, जहां पर मंगलवार और शनिवार को सैकडों भक्त बीमारियों और नौकरी की परेशानियां लेकर आते हैं और मंदिर में प्रवेश करते ही उनके सारे दुख-दर्द भगवान बालाजी दूर कर देते हैं। यह मंदिर शहर से 25 किमी की दूरी पर स्थित महारापुर के पास रूमा में स्थित है। यहां बुढवा मंगल के चलते भक्तों का ढेरा देररात से शुरू हो गया और भोर बजरंगबली के जयकारों से पूरा इलाका गूंज उठा। सैकड़ों की संख्या में भक्त महाराजपुर स्थित बाला जी भगवान के दर्शन के लिए उमड़ पड़े।

यह है मंदिर का इतिहास
शहर से 25 किमी की दूरी पर स्थिम महाराजपुर थानाक्षेत्र के रूमा में एक प्राचीन बालाजी मंदिर है। कहा जाता है कि यहां पर भूत-प्रेत व जटिल रोगों से ग्रस्त भक्त अगर पांच मंगलवार आकर पूजा-पाठ करें तो उनके सारे दुख बाला जी महाराज दूर कर देते हैं। पुजारी ज्ञानेंद्र बाजपेयीने बताया कि करीब डेढ़ सौ साल पहले भगवान बालाजी की मूर्ति धरती से प्रकट हुई थी। सुबह के वक्त आधी मूर्ति जमीन पर उतनी ऊपर दिख रही थी। गांववालों ने जैसे ही यह देखा तो पूरे इलाके में हड़कंप मच गया।यहां के एक कारोबारी ने भव्य मंदिर का निर्माण करा मुर्ति का स्थापना करवाई।

इसलिए इन्हें कहा जाता है बाला जी
मंदिर के पुजारी ने बताया कि पवन पुत्र हनुमान की लीलाएं बालपन से ही शुरू हो गई थीं। इसलिए कई जगहों पर इन्हें बालाजी के नाम से पूजा जाता है। मेहंदीपुर के बाद रूमा में में भी महाबली हनुमान अपने बाल स्वरूप में विराजमान है। पुजारी कहते हैं कि बालाजी के दर्शन करते ही इंसान के सभी प्रकार के संकट टलने लगते हैं। जो भी बालाजी धाम जाता है अपने सभी दुख, अपनी सारी विपत्तियां वहीं श्री बालाजी के चरणों में छोड़ आता है। पुजारी कहते हैं कि यहा पर बालाजी की सत्ता चलती है। जिसने श्री बालाजी का आशीर्वाद पा लिया उसके मन की हर कामना का भार स्वयं बालाजी महाराज उठाते हैं।

सोने का पहनाया गया मुकुट
महाराजपुर के बाला जी मंदिर में मंगलवार की भोर 3ः30 बजे से मंगलाआरती की गई, जो एक घंटा तक चली। इसमें बालाजी 101 किलो लड्डू का प्रसाद चढ़ाया गया और भक्तों को प्रसाद के रूप में बांटा गया। सुबह 10 बजे फूलों से बाबा का शृंगार किया गया। इसके बाद विशाल भण्डारे का आयोजन किया जाएगा। पुजारी ने बताया कि बताया कि बुढ़ावा मंगल को देखते हुए बाला जी को सोने के मुकुट पहनाया गया। वहीं बाला जी मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद थी। हर आने-जाने वालों की तलाशी लेने के बाद ही उसे मंदिर के अंदर प्रवेश कराया जा रहा था।

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