18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बदल रहा है अंग्रेजों के जमाने का रेलवे स्टेशन, 160 किमी प्रतिघंटे की स्पीड से दौड़ेंगी ट्रेन

कानपुर में तैयार हो रहे रेल का पार्ट, जल्द हावड़ा दिल्ली रूट पर दौड़ेंगी तेज रफ्तार से कई ट्रेनें

3 min read
Google source verification
modis dream of high speed train will be true in kanpur hindi news

बदल रहा है अंग्रेजों के जमाने का रेलवे स्टेशन, 160 किमी प्रतिघंटे की स्पीड से दौड़ेंगी ट्रेन

कानपुर। सेंट्रल रेलवे स्टेशन की आधारशिला अंग्रेजों ने नवम्बर 1928 में रखी थी। लगभग दो साल के बाद 29 मार्च 1930 को अंग्रेज इंजीनियर जॉन एच ओनियन की देखरेख में करीब 20 लाख रूपए की लगात से स्टेशन बन कर तैयार हुआ। अपने 87 साल के लम्बे सफर में स्टेशन के कद के साथ भव्यता बढ़ती गयी, एक ट्रेन से शुरुआत करने वाले स्टेशन पर आज हर रोज 314 ट्रेनें ठहरती हैं। अब शहर के सबसे रेलवे स्टेशन की पटरियों से 160 की स्पीड में ट्रेनें गुजरेंगी। उन ट्रेनों के बोगी फ्रेम (चेसिस) कानपुर में ही बन रहा है। यूरोपीय तकनीक से बन रहे ट्रेन -18 के बोगी फ्रेम की पहली खेप इसी माह रवाना भी की जा चुकी है। अगले माह तक 16 रैक की एक जोड़ी ट्रेन में लगने वाले कुल 32 बोगी फ्रेम चेन्नई स्थित भारतीय रेलवे की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) भेजी जानी है। सितंबर-अक्टूबर में यह ट्रेन चालू हो जाएगी। इस ट्रेन से दिल्ली-हावड़ा रूट का समय तीन से चार घंटे कम हो जाएगा।

87 साल पहले रखी गई थी नींव
अंग्रेजों ने कानपुर में मिलों की नींव रखी और माल ढोने के लिए कोई साधन नहीं होने के चलते यहां पर रेलवे स्टेशन के निर्माण की ठानी। तत्कालीन अंग्रेज इंजीनियर जॉन एच ओनियन को रेलवे स्टेशन के बनाने की जिम्मेदारी दी गई। नबंबर 1928 में रेलवे स्टेशन की शुरूआत हो गई और दो साल के बाद नवंबर 1930 में 20 लाख रूपए की लागत से रेलवे स्टेशन बन कर तैयार हो गया। डॉयरेक्टर जीतेंद्र कुमार बताते हैं कि सबसे पहले इसे कन्नौज और फिर हावड़ा रूट से जोड़ा गया। पहली ट्रेन कन्नौज से कानपुर पहुंची थी और कुछ दिन एक ही ट्रेन कानपुर के लिए चली। शुरुआत में स्टेशन पर तीन ही प्लेटफार्म थे, आज बढ़ कर 10 प्लेटफार्म हो चुके हैं और कई आधुनिक सुविधाओं से स्टेशन लैस हो चुका है। हर रोज 314 ट्रेनों से इस स्टेशन से पौने दो लाख से ऊपर यात्री आते-जाते हैं।

कानपुर में बन रही बोगी फ्रेम
87 साल पहले अंग्रेजों ने जिस रेलवे स्टेशन की बुनियाद रखी उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नया आयाम देने के लिए जुटे हैं। हाईस्पीड ट्रेन दौड़ाने के लिए कानपुर में बोगी फ्रेम (चेसिस ) का निर्माण किया जा रहा है। इसमें ही पहिए लगे होते हैं और पूरी बोगी इसके ऊपर ही तैयार की जाती है। ट्रेन की रफ्तार इस बोगी फ्रेम के ऊपर ही निर्भर करती है। सिंगल टेंडर के रूप में इसके बोगी फ्रेम के निर्माण का कार्य पनकी स्थित फैक्ट्री वेद सैसोमैकेनिका को मिला है। यह फैक्ट्री भारतीय रेल को पहले ही शताब्दी, राजधानी और एलएचबी कोच के बोगी फ्रेम मुहैया करा रही है। ’प्रोटोटाइप पास होने के बाद इस माह पहली खेप चेन्नई जा चुकी है। दो बोगी फ्रेम की पहली खेप भेजी जा चुकी है, और पिछले हफ्ते चार बोगी फ्रेम और भेजे गए हैं। इन बोगी फ्रेम पर 200 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार तक ट्रेन चल सकती है। अगस्त तक 32 बोगी फ्रेम भेजने हैं। बोगी फ्रेम यूरोप की ईसी इंजीनियोरग की डिजाइन पर हैं।

हावड़ा-दिल्ली रूट पर दौड़ेंगे ट्रेनें
फैक्ट्री के मालिक रविंद्र नाथ त्रिपाठी ने बताया कि यह ट्रेनें पूरी तरह से मेक-इंडिया प्रोजेक्ट के तहत होंगी। इनकी रफ्तार160 किलोमीटर रफ्तार। ट्रेनों में 16 कोच लगेंगे। 2 एग्जीक्यूटिव क्लास, 14 सेकेंड क्लास कोच होगे। आटोमेटिक प्लग टाइप स्लाइडिंग डोर व स्लाइडिंग फुट स्टेप जो स्टेशन पर अपने आप खुलेंगे और बंद होंगे। पूरी तरह से स्लीक माड्यूलर टायलेट बनाए गए हैं। नवीनतम वैक्यूम टेक्नोलॉजी पर आधारित जीरो डिस्चार्ज बायो टायलेट थी कोच में होंगे। दिल्ली-हावड़ा रूट पर निर्धारित समय से करीब साढ़े तीन घंटे की कमी आएगी। बताया,बोगी फ्रेम बनाने के लिए पहली बार रोबोटिक आर्म का इस्तेमाल हो रहा है। वेल्डिंग को सौ फीसद परफेक्ट बनाने के लिए जर्मन तकनीक की रोबोटिक आर्म का प्रयोग किया जा रहा है। त्रिपाठी ने बताया कि प्लांट के करीब-करीब सभी कार्य आटोमेटिक तरीके से होते हैं। अगस्त के बाद से फैक्ट्री को हर माह 16 बोगी फ्रेम की आपूर्ति करनी है। फैक्ट्री को पहले टेंडर में 320 बोगी फ्रेम की आपूर्ति करनी है।