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चुनाव से भी बड़ा था एक डाकू का खौफ, जीतने पर काट दी थी नेता की नाक

शिवपाल ने निर्भय के खात्मे के लिए एसटीएफ को बीहड़ में उतार दिया। एक सप्ताह के अंदर डकैत निर्भय एनकाउंटर में मार गिराया गया। 

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Akansha Singh

Dec 29, 2016

KANPUR

KANPUR

कानपुर। मुहर लगा…पर वरना गोली खाओ छाती पर। कभी चंबल घाटी में चुनाव के दौरान ऐसे नारों की गूंज हुआ करती थी लेकिन आज इस तरह के नारे इतिहास के पन्नों मे दर्ज हो गए हैं। क्योंकि खूंखार डाकुओं के अंत ने इन फरमानों पर विराम लगा दिया है। चंबल घाटी से जुड़े चकरनगर इलाके में कभी खूंखार डाकुओं का फतवा अहम होता था। इनके फरमान से सरपंच, विधायक, सांसद चुने जाते थे। इटावा के बीहड़ में कई सालों तक राज करने वाले डकैत निर्भय गूजर ने चंबल का इतिहास बदल दिया और यही उसकी मौत की वजह बनी।
यूपी में सपा की सरकार थी और नेता जी यहां के सीएम थे। नेता जी के बाद सत्ता शिवपाल यादव के इर्द गिर्द घूमती थी। पाठा से लेकर चंबल तक के डकैत सीधे शिवपाल से संपर्क रखते थे। लेकिन इटावा का डकैत निर्भय गूजर ने खुलेआम शिवपाल यादव को अपना बड़ा भइया कह दिया। फिर क्या था शिवपाल ने निर्भय के खात्मे के लिए एसटीएफ को बीहड़ में उतार दिया। एक सप्ताह के अंदर डकैत निर्भय एनकाउंटरमें मार गिराया गया। इतना ही नहीं शिवपाल यादव के फरमान के बाद चंबल से डकैतों का पुलिस ने सफाया कर दिया। इस दौरान आधा दर्जन इनामी डकैत मारे गए और कुछ ने सपा नेताओं से मिलकर सरेंडर कर अपनी जान बचाई थी।

नेता जी, माई बाप कहेंगे तो लडूंगा चुनाव

निर्भय राजनेताओं के लिए काम करने लगा। नेताओं के कहने पर अपहरण हत्या और उगाही कर चंदा एकत्र कर कुछ हिस्सा उन्हें भी पहुंचाने लगा। डकैत ने एक ऐसी गुस्ताखी कर डाली जो उसकी मौत की वजह बनी। यूपी में सपा की सरकार थी। नेता जी सूबे के सीएम तो शिवपाल डिप्टी सीएम के तौर पर काम कर रहे थे। विरोधी दल सपा पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगा रहे थे। इसी दौरान निर्भय गूजर ने बकायदा मीडिया में आकर बयान दे डाला। डकैत ने सीएम मुलायम सिंह को माई बाप तो शिवपाल यादव को अपना बड़ा भाई कह डाला। गूर्जर ने इतना तक कह दिया कि अगर भइया शिवपाल 2007 में सपा के चुनाव चिन्ह से विधानसभा का टिकट दे दें तो वह चंबल के क्षेत्र में साइकिल दौड़ा देगा और जो रोड़ा बनेगा वह गोली खाएगा। यह बात राजधानी में पहुंची तो भूचाल आ गया और शिवपाल ने निर्भय को खत्म करने के लिए बीहड़ में एसटीएफ को उतार दिया। सातवें दिन गूर्जर को एसटीएफ ने मार गिराया।

डेढ़ दशक तक बीहड़ में किया राज

इटावा के बिठौली थाना क्षेत्र के पहलन निवासी निर्भय गूर्जर डेढ़ दशक तक बीहड़ में राज किया। उसके ऊपर हत्या, डकैती रेप, अपहरण के सौ से ज्यादा मामले यूपी एमपी में दर्ज थे। निर्भय के सिर पर पांच लाख का इनाम सरकार ने रखा था। गूर्जर का आंतक 200 गांवों में था। इसी के फतवे से सरपंच, विधायक और सांसद चुने जाते थे। 2005 के सरपंच चुनाव के दौरान निर्भय ने कुर्छा, कुंवरपुरा, विडौरी, नींवरी व हनुमंतपुरा सहित दर्जनों पंचायतों में अपने लोगों को चुनाव जीतवाया था। इतना ही नहीं पंचायतों के चुनाव में मात्र 7, 11 और 21 वोटों पर चुनावी प्रक्रिया पूर्ण कर दी गई। कुर्छा में डकैतों के फरमान का असर ये हुआ कि किसीने पर्चा ही नहीं भरा। एक साल बाद प्रशासन ने बड़ी मशक्कत से चुनाव करवाया तो जीते हुए प्रधान को गांव छोड़कर इटावा रहना पड़ा।

काट दी थी चुने गए सदस्य की नाक

इतना ही नहीं क्षेत्र पंचायत सदस्य चुने गए एक जन प्रतिनिधि की तो निर्भय गुर्जर ने गांव आकर उसकी नाक इसलिए काट ली क्योंकि उसने चुनाव लड़ा और स्कूल के लिए जमीन दी। चकरनगर ब्लाक प्रमुख की कुर्सी पर 2000 से 2010 तक निर्विरोध चुनाव होता रहा। दस्यु दलों का खौफ चंबल और यमुना पट्टी के बीहड़ी गांवों में इस तरह हावी था कि इकनौर, मड़ैयान, दिलीपनगर, अंदावा आदि गांवों में मतदान सीधा उससे प्रभावित होता था। अब ना तो डाकू है ना उनके फतवे लेकिन आज शराब चुनाव में जीत को सबसे बड़ा माध्यम बन चुकी है। कभी फतबे सबसे अहम थे आज शराब का दिखने लगा है बोलबाला।

2005 में शिवपाल के कहने पर एनकाउंटर

डेढ़ दशक तक चंबल की शान रहे निर्भय गूर्जर सपा के करीबी माना जाता रहा। वह सपा के लिए बंदूक के दम पर वोट मत दिलवाता रहा। इसी के चलते विरोधी दल के नेता मुलायम सिंह को अपराधियों के संरक्षण का आरोप अक्सर लगाया करते थे। निर्भय ने एसी बयान दिया कि शिवपाल यादव मेरे भइया हैं, घी में आग लगाने का काम कर दिया। फिर क्या था नेता जी ने शिवपाल से दो टूक कह दिया कि दो माह के अंदर बीहड़ से डकैत साफ हो जाने चाहिए। शिवपाल ने अमिताफ यश को निर्भय दा इंड की बागडोर सौंप दी। गूर्जर को बीहड़ में घेरना शुरु कर दिया गया। उसके गैंग के करीबियों को इनकाउंटर किए गए। निर्भय के दत्तक पुत्र को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया और उसी की मुखबिरी के चलते एसटीएफ ने अक्टूबर 2005 में निर्भय गूजर को मार गिराया।


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