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मेयर ने अंग्रेजों से परेड को छीना, शहीद भगत सिंह के नाम किया

लोगों की मांग पर मेयर ने सदन में रखा प्रस्ताव, सभी ने परेड का नाम बदलने पर लगाई मुहर

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parade intersection will be changed now called bhagat singh chowk

मेयर ने अंग्रेजों से परेड को छीना, शहीद भगत सिंह के नाम किया

कानपुर। पिछले कई सालों से ग्रीनपार्क का नाम बदल कर शहीद ए आजम भगत सिंह करने की मांग होती रही, लेकिन आजादी के सत्तर साल बीत जाने के बाद शहीद को दर्जा नहीं मिला, जिसके वो हकदार थ। शहीद ए आजम कानपुर की गलियों में कई साल गुजारे और अंग्रेजों से आजादी दिलवाने के लिए रणनीति बनाया करते थे। वह यहां पर नाम बदलकर करीब ढाई वर्ष तक पत्रकारिता व क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम देते रहें। जिसके चलते कानपुरवासियों की लंबी समय से चल रही मांग को देखते हुये आज नगर निगम ने उनके सम्मान में अंग्रेजों के परेड चौराहे का नाम उनके नाम कर दिया। यह खबर जैसे आमशहरी को मिली तो चारो तरह खुशी की लहर दौड़ पड़ी।
बदल गया परेड का नाम
कानपुर का प्रमुख चौराहा परेड जिसका नामकरण अंग्रेजों ने किया था और इसी चौराहे के आसपास अंग्रेजों का पूरा प्रशासनिक तंत्र चलता था। लेकिन देश की आजादी के बाद भी इसके नाम में परिवर्तन नहीं किया गया। जिसको लेकर शहर के तमाम सामाजिक संगठन बराबर कभी हस्ताक्षर अभियान के जरिये तो कभी नुक्कड नाटक के जरिये मांग करते रहे कि इसका नाम शहीद भगत सिंह किया जाये। सामाजिक संगठनों का तर्क था कि इस नाम से गुलामियत की बू आती है। जबकि शहीद भगत सिंह इसी चौराहे के पास ही फीलखाना क्षेत्र में छुपकर व अपना नाम बलवंत सिंह रखकर पहले गणेश शंकर विद्यार्थी के साथ पत्रकारिता के जरिये अंग्रेजों को नाको चना चबवाया। इसके बाद यहीं से देश की आजादी के लिये क्रांतिकारी गतिविधियों को भी अंजाम देते रहें।
लंबे समय से चली आ रही थी मांग
कानपुर के लोगों की लंबे समय से चल रही मांग को देखते हुये भाजपा पार्षद दल ने मंगलवार को नगर निगम के सदन में परेड चौराहे का नाम शहीद भगत सिंह रखने का प्रस्ताव रखा। जिस पर सभी पार्षदों ने ध्वनिमत से पास कर दिया। भाजपा महापौर प्रमिला पाण्डेय ने कहा कि आज का दिन कानपुर नगर निगम के एतिहासिक रहा और सभी पार्षदों की सहमति से अब अंग्रेजों के नामकरण से जाना जाने वाला परेड चौराहा भगत सिंह चौक के नाम से जाना जायेगा। परेड चौराहे का नाम शहीद भगत सिंह होने की खबर पर शहरवासियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। इसके लिये संर्घषरत तमाम सामजिक संगठनों के लोग मिष्ठान वितरण कर खुशी बयां की और भाजपा महापौर प्रमिला पाण्डेय को धन्यवाद दिया।
कई साल कानपुर में गुजारे
भगत सिंह और विद्यार्थीजी एक दौर में कानपुर शहर के फीलखाना इलाके से छपने वाले ‘प्रताप’ अखबार से जुड़े थे। अंग्रेजों के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन में उसकी बेहद खास भूमिका थी। ये विद्यार्जी का अखबार था। हालांकि वे उस तरह से अखबार के मालिक नहीं थे। वे तो मूल रूप से पत्रकार थे। उनकी लेखनी में बहुत ताकत थी। उन्हें पढ़ने के लिए सारा कानपुर इंतजार करता था। ‘प्रताप’ में भगत सिंह ने काफी समय तक काम किया। वे 1925 में प्रताप में नौकरी करने कानपुर गए थे। खास बात यह है कि भगत सिंह ‘प्रताप‘ में नाम बदल कर काम करते थे। अखबार के दस्तावेजों में उनका नाम बलवन्त सिंह था। उसी नाम से उनकी खबरें भी प्रकाशति होती थी। ऐसा इसलिये क्योंकि वे क्रांतिकारी गतिविधियों में भी लिप्त थे।