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जल्द आने का वादा कर राष्ट्रपति ने दिए कई मंत्र , तरीख पे तारीख के बजाए वकील करें बहस

27 घंटे तक राष्ट्रपति ने कानपुर में बिताया समय, परिवार को छोड़ सभी से मिले

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president motivated lawyers by telling his own experiences iin kanpur

जल्द आने का वादा कर राष्ट्रपति ने दी नसहीत, तरीख पे तारीख के बजाए वकील करें बहस

कानपुर। राष्ट्रपति रामनाथ को कोविंद शुक्रवार को कानपुर से इलाहाबाद के लिए रवना हो गए, पर जाते-जाते वो युवाओं के साथ ही वकील, ब्योरोकेट्स राजनेताओं को कई मंत्र दे गए। गुरूवार को आईआईटी कानपुर में जहां आईआईटीएन्स के साथ मंच साजा कर उन्हें जीवन के चार मंत्रों को ज्ञान दिया, वहीं शुक्रवार को राजेंद्र स्वरुप सभागार में बार एसोसिएशन के ऑडिटोरियम शिलान्यास के अवसर पर वकीलों को काले कोट की अहमियत बता गए। राष्ट्रपति ने कहा जब एक वादकारी अपने मुकदमे की पैरवी के लिए कचहरी पहुंचता है तो उसे लगता है कि आज कुछ मिलेगा लेकिन जब दोपहर बाद तारीख हाथ लगती है तो उसकी मानसिक स्थिति का आकलन नहीं किया जा सकता। मुकदमे के दोनों पक्षकार भले ही किसी विषय को लेकर भिन्न-भिन्न मत रखते हों लेकिन तारीख के विषय पर उनकी एक राय ही होती है कि आज हमारे वकील ने ढीला डाल दिया। आप तारीख के बजाए बहस करें और दोषी व निर्दोष का फैसला जज से जल्द से जल्द करने को कहें। जिससे न्याय, पैसा और समय की बचत हो।
सबको दी नसीहत
राष्ट्रपति रामनाथ कोपिंद गुरूवार की सबुह अपनी पत्नी, बेटे व बेटी के साथ कानपुर पहुंचे। वो पूरे 27 घ्ांटे तक शहर में रहे और दर्जनों लोगों से मिले। कानपुर के दर्द के बारे में अपने मित्रों से जानकारी ली तो सत्ताधारी दल भाजपा के जनप्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान जनता के लिए कार्य करने की नसहीत दी। इस मौके पर भाजपा नगर अध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी ने उन्हें गीत भेंट की तो विधायक महेंद्र द्धिवेदी ने गुलदस्ता भेंट किया। गुरूवार को राष्ट्रपति आईआईटी कानपुर के स्टूडेंट्स से रूबरू हुए और जिंदगी के चार मंत्र बताए तो वहीं पांच मेधा को मेडल देकर सम्मानित किया। गुरूवार की रात 50 से ज्यादा मित्रों के साथ आर्मी के गेस्टहाउस में मुलकात की तो भोजन में कड़ी, दाल, रोटी चावल का लुफ्त उठाया। कानपुर डीए विजय विश्वास से मिले तो आईजी, एडीजी, कमिश्नर और डीएम के साथ भी कुछ वक्त बिताया।
वकीलों को बताया राष्ट्रनिर्माता
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शुक्रवार को राजेंद्र स्वरुप सभागार में बार एसोसिएशन के ऑडिटोरियम शिलान्यास किया। इस मौके पर उन्होंने अपनी ने अपनी वकालत के अनुभव वकीलों के साथ साझा किए, साथ ही उन्हें राष्ट्र निर्माता बताकर जिम्मेदारी से काम करने की नसीहत दी। राष्ट्रपति ने कहा पिछले कुछ सालों से वकालत का पेशा व्यवसायिक हो गया हक् और इसी के कारण वादी को न्याय के बजाए तारीख पे तारीख मिलती हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। एक गरीब अपना घर-जमीन बेचकर आपके पास न्याय की उम्मीद लेकर आता है। सुबह के वक्त उसके चेहरे में मुस्कान होती है कि आज कचहरी से छुटकारा मिल जाएगा, लेकिन दोपहर आते ही उसके हाथ में नई तारीख की सूची होती है। अगर आप जल्द जल्द से बहस के लिए जज से कहें तो बढ़ रहे मुकदमे कम हो जाएंगे। राष्ट्रपति ने काले कोट का अहमियत बताई तो वकीलों से महिलाओं के मामलों पर जल्द से जल्द फैसले कराए जाने को कहा।
हड़ताल से नहीं हो सकता है हल
राष्ट्रपति ने कहा कि हड़ताल से न्याय व्यवस्था सुचारु रुप से नहीं चल पाती। मैं कानुपर का हूं और सबसे ज्यादा हड़ताल मेरे शहर के वकील करते हैं। हड़ताल पर जाने से आपके साथ-साथ वादी का बहुत बड़ा नुकसान होता है। हड़ताल से समस्या का हल नहीं हो सकता। हल बातचीत और आपसी समन्वय के जरिए होता है। राष्ट्रपति ने कहा कि कानुपर के वकील अब हड़ताल के बजाए जल्द से जल्द न्याय मिले इसके लिए आगे आकर एक मिशाल कायम करें। राष्ट्रपति ने कहा इस पर सभी बार एसोसिएशन को ध्यान देने की जरूरत है। बार और बेंच के बीच सामंजस्य से जस्टिस डिलीवरी बेहतर होने की बात भी उन्होंने कही। वकालत और डॉक्टरी पेशे को नोबेल प्रोफेशन की संज्ञा देते हुए कहा कि यह जीविकोपार्जन का बेहतर माध्यम है जिसमें एथिक्स भी होते हैं, जबकि अन्य किसी पेशे में एथिक्स नहीं होते । उन्होंने वकीलों को गाधीजी, अंबेडकर, पंडित नेहरू और मोतीलाल नेहरू की विरासत बताया और इसे हमेशा जहन में रखने की सलाह दी।
डिजिटल पर ज्यादा दें ध्यान
राष्ट्रपति ने लंबित मुकदमों की का जिक्त्र करते हुए उन्होंने कहा कि देश में तीन करोड़ केस पेंडिंग है जिसमें 600000 मामले तो 10 साल से ऊपर के हैं । ऐसे में अपनाएं जा रहे डिजिटल माध्यम की उन्होंने सराहना ही नहीं की बल्कि इसे पूर्णतया अपनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने अधिवक्ताओं को कानूनमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, राज्यपाल से मुलाकात कर इस चैनल का उपयोग बेहतर कानून व्यवस्था के लिए करने की सलाह दी। अपने भाषण संबोधन के अंत में उन्होंने कहा की कुछ लिखा हुआ बोला कुछ अतिरिक्त बोला क्योंकि आपके शहर का हूं इसलिए अपने अनुभव भी साझा किए। राष्ट्रपति को कई मौके पर बार एसोसिएशन की तरह से मानक उपाधि दी गई पर उन्होंने इसे लेने से इंकार कर दिया। राष्ट्रपति ने कहा कि मैं जिस दिन मैं इस पर बैठा उसी दिन सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।