
rahul gandhi's visit at ayodhya ram temple
कानपुर। अयोध्या में राम मंदिर आन्दोलन के बाद से ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में तमाम उतार चढ़ाव महसूस किये जा रहे हैं। कई बार बड़े बड़े नेताओं को बातों से मुकरते देखा जाता है तो कभी वोट बैंक की चाहत में सिरफिरे बयानों से घिरते भी देखा गया है। हालांकि उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस आज अपनी जमीन तलाशने में काफी उहापोह की स्थिति में नजर आ रही है।
उत्तर प्रदेश में अपने पराम्परागत ब्राहम्ण वोट बैंक को एक बार फिर से पार्टी के साथ लाने की कवायद में कांग्रेस उपाध्यक्ष ऐसे मामले में हाथ डालने से भी नहीं कतरा रहे हैं जिससे उनके हाथ भी जल सकते हैं। अयोध्या में राम मन्दिर आन्दोलन से कानपुर शहर का काफी जुड़ाव रहा है और इस आंदोलन में शहर के नवजवानों की मौते हुई है तो शहर ने दंगों के दंश को भी महसूस किया है।
उत्तरप्रदेश में 2017 को होने वाले विधानसभा चुनावों के मौके पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अयोध्या में रामलला के दर्शन और दौरे को शहर के राजनीतिज्ञ दो धारीतलवार के तौर पर देख रहे हैं। कानपुर में अयोध्या राम मंदिर आन्दोलन से जुड़े श्रीकान्त मिश्रा का कहना है कि 1984 में राम मंदिर के पट खुलवाने पर जब कांग्रेस से समाज का एक तबका करीब आया था तो राम मंदिर में ताला लगाने के निर्णय के बाद समाज का एक बहुत बड़ा तबका कांग्रेस की नीतियों के विरोध में उठ खड़ा हुआ था।
शहर के नयागंज में रहने वाले राम चन्द्र अग्रवाल का मानना है कि राहुल गांधी का इस राजनीति में पड़ने का फैसला फायदा और नुकसान दोनों करा सकता है क्योंकि आने वाले समय में राम मंदिर के मामले पर राहुल गांधी को कई सवालो के जवाब भी देने होंगेजिससे कांग्रेस को असहजता महसूस हो सकती है। शहर के कांग्रेस के जिला अध्यक्ष हर प्रसाद अग्निहोत्री कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अयोध्या मामले में लिये जा रहे निर्णय को पार्टी के लिए एक बेहतर रणनीति के तहत मानते हैं और उनका मानना है कि कांग्रेस के इस कदम से आने वाले समय में पार्टी से समाज के कई तबको का समर्थन प्राप्त होगा।
राहुल गांधी की इस रणनीति पर बात करते हुए राम चन्द्र अग्रवाल का मानना है कि कांग्रेस को इस रणनीति के तहत जहां कई तबकों का समर्थन प्राप्त हो सकता है तो इससे एक बड़ा तबका पार्टी से अपनी दूरी भी बना सकता है। हालांकि वो यह बताते नहीं भूलते की 1984 में राजीव गांधी के दो निर्णयों ने कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में आधार खत्म करदिया था और ऐसे में विकास और साफ सुथरी राजनीति के बजाये इस तरह के संवेदनशील मामलों में हाथ डालना कांग्रेस के लिए आने वाले समय में घातक सिद्ध हो सकता है।
कानपुर अयोध्या राम जन्म भूमि आन्दोलन का सबसे बड़ा केन्द्र रहा है और इस आन्दोलन पर विशेष नजर रखने वाले अधिकतर लोगों का मानना है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को इस संवेदनशील मूद्दे से अलग रहने में फायदा है। भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी का कहना है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की इस रणनीति से उनके सियासी मामलों में बचकाने होने के सबूत मिलते हैं। मोहित का मानना है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष के लिए यही कहा जा सकता है कि चौबे चले छब्बे होने दुबे होकर लौटे।
Published on:
09 Sept 2016 12:34 pm
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