scriptहजारों वर्ष पुराने इस मंदिर की अलौकिक है दास्तां, जहां होते हैं अदभुत चमत्कार, अचंभे में पड़ जाएंगे | strange story of this thounds years old temple kanpur dehat | Patrika News
कानपुर

हजारों वर्ष पुराने इस मंदिर की अलौकिक है दास्तां, जहां होते हैं अदभुत चमत्कार, अचंभे में पड़ जाएंगे

लोगों की मान्यता है कि इस धाम में स्वयं भगवान शिव विराजमान है, यहाँ अदभुत चमत्कार होते रहते हैं।

कानपुरMay 25, 2019 / 11:34 am

Arvind Kumar Verma

droneshwar mandir

हजारों वर्ष पुराने इस मंदिर की अलौकिक है दास्तां, जहां होते हैं अदभुत चमत्कार, अचंभे में पड़ जाएंगे

अरविंद वर्मा

कानपुर देहात-ये गलत नहीं है कि भारत मे आज भी युगों युगों की प्राचीन धरोहर, मंदिर या ऐतिहासिक स्थल उस काल को सजीव करते हैं। जो कहानियों के रूप में बुजुर्गों की जुबां पर बुदबुदाते हुए देखा जाता है। ऐसा ही कानपुर देहात का असालतगंज का द्रोणेश्वर मंदिर है, जो अपने आप में विशेष महत्व रखता है। यह प्राचीन मंदिर महाभारत काल की याद दिलाता है, यहां के लोगों की ये मान्यता है कि 5000 वर्ष पुराने इस मंदिर की स्थापना पांडव पुत्र अर्जुन के गुरु द्रोणाचार्य ने की थी। इस मंदिर की प्राचीन मोटी मोटी दीवारें व प्राचीन मूर्तियां इसका प्रमाण देती हैं। लोगों के मुताबिक 20 वर्ष पहले यहां आए महंत नारायणदास बाबा इस मंदिर की देखरेख करते हैं, जिनकी आयु लोगों द्वारा 120 वर्ष बताई जाती है। ग्रामीणों के अनुसार अभी बीते दिनों महंत नारायणदास की मौत हो गई थी, जिसके 4 घंटे बाद अचानक वो फिर से जीवित हो उठे थे। लोग इसे चमत्कार मानते हुए बाबा को चमत्कारी मां रहे हैं। ऐसी लोगों की यहां मान्यताएं हैं। फिलहाल इस शिव मंदिर की प्राचीन कहानी लोगों को भावविभोर कर देती है।
गुरु द्रोणाचार्य ने स्थापित किया शिवलिंग

कानपुर देेेहात के रसूलाबाद के असालतगंज स्थित इस मंदिर की दास्तान अलौकिक है। बताया जाता है कि महाभारत में वीर धनुर्धर अर्जुन के गुरु द्रोणाचार्य राजा द्रुपद के अभिन्न मित्र थे, जो कि एक ब्राह्मण पुत्र थे। द्रोणाचार्य अस्त्र शस्त्र के मर्मज्ञ व धनुर्विधा मे निपुण थे, लेकिन किसी बात से नाराज होकर राजा द्रुपद ने द्रोणाचार्य को पूरे परिवार समेत अपने राज्य से निकाल दिया। जिसके बाद वे कोशों दूर चलकर यहां आकर रुक गये और एक शिवलिंग की स्थापना कर वहीं पूजा पाठ करने लगे। एक दिन भगवान शिव ने प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा तो द्रोणाचार्य ने शिव के नाम से अपना नाम जोड़ने का वरदान मांगा। जिसके बाद से मंदिर का नाम द्रोणेश्वर मंदिर पड़ गया। लोगो की आस्था बढ़ गई। आज दूर दराज से लोग यहां दर्शन के लिये आते हैं।
साक्षात भोलेनाथ का मानते हैं वास

महाभारत काल की देवी की मूर्तियां हैं। विधमान इस मंदिर की खासियत ये है कि आज भी यहां महाभारत कालीन देवी की मूर्तियां जगह-जगह स्थित है। श्रद्धालु शिवलिंग के दर्शन के बाद उन प्राचीन देवी की मूर्तियों के दर्शन भी करते हैं। बताया जाता है कि यहां बहुत बड़ा खेड़ा हुआ करता था, जिसके चारों तरफ जंगल था। जिसका छोटा सा स्वरूप आज भी देखने को मिलता है। लोगों का कहना है कि यहां साक्षात स्वयं ही भूत भावन भोलेनाथ द्रोणेश्वर के रूप मे विराजमान है, जो सभी की मनोकामना पूर्ण करते है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि कई पीढ़ियों से इस मंदिर को यथावत स्थित में देखा जा रहा है। इसके निर्माण की तिथि किसी को नहीं पता है। जर्जर हो चुके मंदिर के जीर्णोद्धार के लिये ग्रामीण आपस में सहयोग करके मरम्मत कराते है। लोगों की मान्यता है कि इस धाम में स्वयं भगवान शिव विराजमान है।

Home / Kanpur / हजारों वर्ष पुराने इस मंदिर की अलौकिक है दास्तां, जहां होते हैं अदभुत चमत्कार, अचंभे में पड़ जाएंगे

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो