14 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

निहत्था देख दाग दी बुलेट, डॉन के भाई की हालत गंभीर

देररात बदमाशों ने वारदात को दिया अंजाम, पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी के कर रही प्रयास

3 min read
Google source verification
देररात बदमाशों ने वारदात को दिया अंजाम, पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी के कर रही प्रयास

कानपुर। कल्याणपुर थानाक्षेत्र देररात हिस्ट्रीशीटर रहे व डॉन विकास दुबे के चचेरे भाई की बदमाशों ने घेर कर गोली मार दी। तीन गोली लगने से वह जमीन पर गिर गए। इसी दौरान उनका चालक आरोपियों को दबोचने के लिए बड़ा तो ताबड़तोड़ फायर झोंक दिए। फायरिंग की चपेट में आने से वह और एक अन्य व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया। स्थानीय लोगों ने बदमाशों को घेरने की कोशिश की तो हवा में फायरिंग कर मौके से फरार हो गए। पुलिस ने तीनों घायलों को रीजेंसी अस्पताल में एडमिट कराया, जहां डॉक्टरों ने विकास दुबे के भाई की हालत गंभीर बताई है। पड़ोसी ने बताया कि अक्सर विकास के भाई रायफल लेकर घर से निललते थे, लेकिन मंगलवार को वह ऐसे ही बाते करने लगे और इसी का फाएदा बदमाशों ने उठाया। एसएसपी अखिलेश कुमार, एसपी पूर्वी अनुराग आर्या, मौके पर पहुंचे। अफसरों ने छानबीन के बाद रंजिश में अनुराग पर हमला किए जाने की बात कही है। थानाप्रभारी के मुताबिक रिपोर्ट दर्ज कर वारदात के पीछे की वजह और हमलावरों का पता लगाया जा रहा है।
तीन लोगों को लगी गोली
कल्याणपुर के कश्यप नगर तिराहे के पास मंगलवार रात कार से आए नकाबपोश बदमाशों ने हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के चचेरे भाई व पूर्व जिला पंचायत सदस्य रीता के पति अनुराग दुबे पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं। गोलियों से तड़तड़ाहट से इलाके में अफरा-तफरी मच गई। भीड़ के पथराव करने पर हमलावर असलहे लहराते हुए भाग निकले। गोली लगने से अनुराग, उनका चालक रोहित उर्फ अंशू और पड़ोसी राकेश सिंह घायल हुए। घायलों में अनुराग की हालत गंभीर बताई गई है। घायलों का रीजेंसी में इलाज चल रहा है। पुलिस वारदात के पीछे पुरानी, प्रापर्टी, ठेकेदारी, लेनदेन और व्यक्तिगत रंजिश के बिन्दु पर जांच कर रही है। अनुराग (36) मूल रूप से कानपुर देहात के बिकरू गांव, शिवली के रहने वाले हैं। उनकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य रही हैं। अनुराग जिला पंचायत में सिविल की ठेकेदारी करते हैं। 25 मार्च को वह पत्नी रीता बेटे और बेटी शिवानी के साथ कश्यप नगर में रहने आए थे।
तो बच नहीं पाते अपराधी
लोगों ने बताया कि अनुराग दुबे गजब के निशानेबाज और फूर्तीले थे। जब भी वह घर से निकलते तो उनके हाथ में लाइसेंसी रायफल होती थी। वह घर के पास कश्यप नगर तिराहे के पास मुहल्ले में रहने वाले निजी संस्थान के पूर्व कर्मचारी राकेश सिंह (55) और अपने कार चालक रोहित (30) के साथ कश्यप नगर तिराहे के पास मनोज श्रीवास्तव के मकान के बाहर बैठकर आपस में बातचीत कर रहे थे। उसी दौरान चार नकाबपोश बदमाश आए। अनुराग और उनके साथ मौजूद लोग कुछ समझ पाते कि बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलना शुरू कर दी। अनुराग रायफल उठाने के लिए घर की तरफ भागे, तो हमलावरों ने उन लोगों कई फायर झोंक दिए। जान बचाने के लिए किसी को इतना भी मौका नहीं मिला कि वह अपनी जगह से हिल भी सके। प्रत्यक्षदर्शी बेटी शिवनी के मुताबिक गोली लगने से पिता अनुराग, राकेश व रोहित लहूलुहान होकर गिर गए। गोलियां चलने से अफरा-तफरी मच गई। आसपास के लोगों के साथ ही वह पत्थर लेकर हमलावरों के पीछे दौड़ी, लेकिन वे कुछ पर खड़ी गाड़ी में बैठकर भाग निकले।
कौन है विकास दुबे
शिवली क्षेत्र के बिकरू गांव निवासी विकास दुबे नामी हिस्ट्रीशीटर था। जिसे कुछ माह पहले लाखनऊ में एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया। इसके खिलाफ 52 से ज्यादा मामले यूपी के कई जिलों के थानों में चल रहे हैं। इस पर पुलिस ने 25 हजार का इनाम रखा हुआ था। हत्या व हत्या के प्रयास के मामले पर पुलिस इसकी तलाश कर रही थी। विकास दुबे पुलिस से बचने के लिए लखनऊ स्थित अपने कृष्णानगर के घर पर छिपा हुआ था। शासन ने कुख्यात हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने के लिए लखनऊ एसटीएफ को लगाया था। एसटीएफ ने सटीक सूचना पर उसे कृष्णानगर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जानकारों की मानें तो विकास के जेल जाने के बाद उनके छोटे भाई अनुराग दुबे पूरा काम संभाल लिया। प्रापर्टी से लेकर सरकारी ठेके भी अनुराग हथियाने लगे। जेल से विकास दुबे अपने भाई की मदद करता था। जानकारों का मानना है कि प्रापर्टी के चलते अनुराग पर जानलेवा हमला किया गया है।
लॉकप तोड़कर मंत्री को मारी थी गोली
2001 में यूपी में भाजपा सरकार बनी तो संतोष शुक्ला को दर्जाप्राप्त मंत्री बनाया गया। इसी के बाद से विकास दुबे की उलटी गिनती शुरू हो गई। उसी वक्त विकास बसपा के साथ ही भाजपा नेताओं के संपर्क में आ गया। भाजपा नेताओं ने संतोष शुक्ला और विकास के बीच सुलह करानी की कोशिश की, लेकिन वो कामयाब नहीं रहे। उसी दौरान संतोष शुक्ला ने सत्ता की हनक के बल पर इसका इनकाउंटर कराने का प्लान बनाया। जिसकी भनक विकास को हुई तो इसने संतोष को मारने के लिए अपने गुर्गो के साथ निकल पड़ा। 2001 में संतोष शुक्ला एक सभा को संबोधित कर रहे थे, तभी विकास अपने गुर्गो के साथा आ धमका। संतोष शुक्ला पर फायरिंग शुरू कर दी। वो जान बचाने के लिए शिवली थाने पहुंचे, लेकिन विकास वहां भी आ धकमा ओर लॉकप में छिपे बैठे संतोष को बाहर लाकर मौत के घाट उतार दिया।