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आने वाला समय ब्रेन कंप्यूटर का, दिमाग में सोचते ही करने लगेगा काम

हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी में मदुरई के वैज्ञानिक ने दी खास जानकारी बायोमेडिकल सिग्नल प्रोसेसिंग एंड इमेज प्रोसेसिंग के बारे में भी बताया

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आने वाला समय ब्रेन कंप्यूटर का, दिमाग में सोचते ही करने लगेगा काम

आने वाला समय ब्रेन कंप्यूटर का, दिमाग में सोचते ही करने लगेगा काम

कानपुर। आगे चलकर किसी काम को करने के लिए कंप्यूटर ऑपरेट की जरूरत नहीं पड़ेगी। बस दिमाग में सोचते ही कंप्यूटर काम करने लगेगा। आने वाला समय भविष्य ब्रेन कंप्यूटर का है। उन्होंने छात्रों को ब्रेन कंप्यूटर की बारीकियों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि ब्रेन कंप्यूटर इंटरफ़ेस प्रणाली हमारे दिमाग के कार्य करने की क्षमता पर निर्भर करता है। हमारा दिमाग बहुत सारे न्यूरॉन से भरा हुआ है, नस की कोशिकाएं डेन्ड्राइट और एक्सोन के द्वारा एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

ब्रेन कंप्यूटर इंटरफ़ेस क्या है?
जैसे जैसे आधुनिक कम्प्यूटरों की ताकत बढ़ रही है और हम अपने दिमाग की कुशलता को और गहराई से समझ रहे हैं, वैसे ही हम काल्पनिक विज्ञान की कई बातों को सच कर रहे हैं। ब्रेन कंप्यूटर इंटरफ़ेस इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें दिमाग और किसी बाहरी उपकरण के बीच सीधा संचार मार्ग बैठाया जाता है। दिमाग के असाधारण प्लास्टिसिटी प्रयोग के कारण, शरीर से मेल खाने के बाद प्रत्यारोपित कृत्रिम अंगों से आते हुए सिग्नल दिमाग के द्वारा नियंत्रित हो सकते हैं। इस क्षेत्र में हो रहा यह विकास सदी के महत्वपूर्ण तकनिकी उपलब्धियों में से एक है जो दिव्यांग लोगों के लिए काफ़ी उपयोगी साबित हो रहा है।

कैसे करता है काम
टीसीई मदुरई के सीनियर प्रोफेसर और वैज्ञानिक डॉ. आर हेलेन ने बताया कि दिमाग और कंप्यूटर में इंटरफ़ेस यानी तालमेल बैठाने के लिए एक इलक्ट्रोड की आवश्यकता होती है। एक प्रकार का उपकरण इलेक्ट्रोएन्सफैलोग्राफ खोपड़ी पर संलग्न कर दी जाती है। इलेक्ट्रोड दिमाग के सिग्नल को समझ पाते हैं। उच्च संकल्प का सिग्नल पाने के लिए वैज्ञानिक इलेक्ट्रोड को दिमाग के अंदरूनी हिस्से में या खोपड़ी के नीचे लगा देते हैं। इससे विद्युत् सिग्नल का सीधा प्रतिग्रह होता है और जहाँ सिग्नल जागृत हो रहा है, उस जगह पर इलेक्ट्रोड लगा दिया जाता है। इलेक्ट्रोड न्यूरॉन के बीच हो रहे वोल्टेज अंतर को मापित करता रहता है। सिग्नल फिर प्रवर्धित और फि़ल्टर होता है और फिर एक कंप्यूटर प्रोग्राम के द्वारा जांचा जाता है।

मरीजों पर भी यह तकनीक कारगर
डॉ. आर हेलेन ने बताया कि मरीजों की बीमारी का सही और सटीक आकलन के लिए ईसीजी, ईजी सहित अन्य मेडिकल रिपोर्ट के एनालिसिस प्रक्रिया को बेहतर बनाने पर काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि आप दिमाग में जो सोचेंगे, वही आपका कंप्यूटर या रोबोट काम करेगा। इसके लिए एल्गोरिदम पर काम किया जा रहा है। उन्होंने बायोमेडिकल सिग्नल प्रोसेसिंग एंड इमेज प्रोसेसिंग के बारे में भी बताया। कहा कि इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृष्णराज, प्रो. राजीव गुप्ता, डॉ. रजनी बिष्ट आदि मौजूद रहे।


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