
अंजीर की पैदावार से आएगी समृद्धि
दो एकड में काली हल्दी
शिवसिंह ने कोरोना काल में 32 बीघा भूमि में कई तरह की फसलों की बुवाई की। दो एकड़ में औषधीय पौधे के रूप में काली हल्दी की खेती की है। यह अभी प्रायोगिक तौर पर लगाई है। अच्छे परिणाम आने पर इसे बढ़ावा देंगे। भूमि के बड़े हिस्से में किसान ने बम्बू भी लगाए हैं।
अंजीर के 4000 पौधे
मर्चेंट नेवी में कार्यरत शिवसिंह ने पिछले साल आठ बीघा में अंजीर के चार हजार पौधे लगाए। डायना वैरायटी के अंजीर के एक पौधे की लागत लगभग दो सौ रुपए है। दो साल बाद उत्पादन शुरू होगा। उत्पादन के पहले वर्ष में 6 से 8 किलो फल प्रति पौधा मिलेगा। दो-तीन वर्ष बाद 15 से 20 किलो प्रति पौधा उत्पादन की उम्मीद है।
पनप रहा सागवान
भूमि का पूरा उपयोग करते हुए किसान शिवसिंह ने पूरी भूमि की मेड यानी बाउण्ड्रीवॉल पर सागवान के पौधे लगाए हैं। किसान ने करीब दो हजार सागवान के पौधे लगाए थे, जो अब काफ ी पनप चुके हैं। सागवान भविष्य में आर्थिक रूप से लाभकारी होगा। साथ ही चारों तरफ पेड़ तैयार होने से भूमि की चारदीवारी के रूप में भी उपयोगी रहेगा।
गेहूं भी लहलहा रहा
जैविक खेती के प्रति सजग शिवसिंह ने भूमि के एक हिस्से में गेहूं की बुवाई की है। यह पूरी तरह ऑर्गेनिक है। इसमें किसी भी तरह के रासायनिक खाद व दवाइयों का प्रयोग नहीं किया जाता।
दिनेश शर्मा — करौली
Published on:
13 Mar 2023 10:56 am
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