
हरियाणा: विधानसभा में उठा
चंडीगढ़. करीब चार साल बाद हरियाणा विधानसभा में बुधवार को एक बार फिर से जाट आरक्षण का मुद्दा गूंज उठा। हरियाणा के गैर जाट विधायक ने आरक्षण हिंसा में बंद युवाओं के खिलाफ दर्ज केसों को रद्द करवाकर उन्हें रिहा किए जाने की मांग सदन में उठाई। मुख्यमंत्री मनोहर लाल गुरुवार को सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर चल रही चर्चा के समापन अवसर पर इस बारे में सरकार के रूख को सदन में रखेंगे।
बादली से कांग्रेस विधायक कुलदीप वत्स ने यह मुद्दा उठाया। वत्स ने कहा कि फरवरी-2016 में हुई हिंसा में कई युवाओं की जान भी गई। इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज किए हुए हैं और बड़ी संख्या में युवा जेलों में बंद हैं। उन्होंने कहा कि इस हिंसा के बाद प्रदेश में आपसी भाईचारा खराब हुआ। अब सरकार को चाहिए कि भाईचारा फिर से बहाल करने और आपसी सौहार्द बढ़ाने के लिए पुलिस केस वापस ले। वत्स ने कहा कि अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के साथ सरकार ने बाकायदा समझौता किया था। सरकार को चाहिए कि वह समझौते के अनुसार इस दिशा में कदम उठाए।
वत्स ने जाटों सहित छह जातियों को 10 प्रतिशत आरक्षण की वकालत की। उन्होंने कहा कि इसी तरह से आर्थिक रूप से पिछड़ी जातियों ब्राह्मण, वैश्य, पंजाबी व राजपूत आदि को भी 10 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था लागू हो। पूर्व शिक्षा मंत्री एवं झज्जर से विधायक गीता भुक्कल ने वत्स का समर्थन करते हुए कहा कि संघर्ष समिति ने सभी पार्टियों के विधायकों को इस संदर्भ में ज्ञापन भी दिए हैं। इससे पहले मंगलवार को नारनौंद से जेजेपी विधायक रामकुमार गौतम ने भी आरक्षण का मुद्दा विधानसभा में उठाया था। फरवरी-2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में 32 युवाओं की जान गई थी। मरने वालों में जाटों के अलावा गैर-जाट युवा भी शामिल थे। इससे जुड़े कई मामलों की जांच सीबीआई द्वारा भी की जा रही है। सरकार ने जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन भी किया।
Published on:
26 Feb 2020 05:37 pm
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