12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

भगवान श्रीकृष्ण के प्रति सुप्त प्रेम जाग्रत करने के लिए कीजिए ये पांच उपाय

नियमित भक्ति करते रहने से हृदय कोमल हो जाता है। धीरे धीरे सारी भौतिक इच्छाओं से विरक्ति हो जाती है, तब वह कृष्ण के प्रीति अनुरुक्त हो जाता है।

2 min read
Google source verification
radha krishna

radha krishna

यदि कोई इन पांच बातों में से किसी एक में थोड़ा भी अग्रसर होता है तो उस बुद्धिमान व्यक्ति का कृष्ण के प्रति सुप्त प्रेम क्रमशः जागृत हो जाता है। नियमित भक्ति करते रहने से हृदय कोमल हो जाता है। धीरे धीरे सारी भौतिक इच्छाओं से विरक्ति हो जाती है, तब वह कृष्ण के प्रीति अनुरुक्त हो जाता है। जब यह अनुरुक्ति प्रगाढ़ हो जाती है तब यही भगवत्प्रेम कहलाती है।

1. भक्तों की संगति करना

2. भगवान कृष्ण की सेवा में लगना

3. श्रीमद् भागवत का पाठ करना

4. भगवान के पवित्र नाम का कीर्तन करना

5. वृन्दावन या मथुरा में निवास करना

दो पौधे जो कभी मुरझाते नहीं
दुनिया में दो पौधे ऐसे हैं जो कभी मुरझाते नहीं। अगर जो मुरझा गए तो उसका कोई इलाज नहीं।

पहला – नि:स्वार्थ प्रेम
दूसरा – अटूट विश्वास

मन का होना ही अशांति का कारण है

दुनिया में तीन तरह के अशांत लोग मिल जाएंगे। आप उनमें से कोई एक हो सकते हैं।

पहले अशांत को दुर्जन का नाम दिया जा सकता है। दुर्जन वह व्यक्ति है जो भीतर से भी अशांत है और बाहर से भी।

दूसरी श्रेणी में सज्जन लोग आते हैं। ये भीतर से थोड़े गड़बड़ लेकिन, बाहर से ठीक-ठाक होते हैं। इनके भीतर अशांति अंगड़ाई ले रही होती है, पर चूंकि सज्जन हैं, इसलिए जैसे-तैसे उसे संभाल लेते हैं। ऐसे लोग शांत होने का अभिनय करने में इतने दक्ष हो जाते हैं कि असली शांति क्या होती है, भूल जाते हैं।

तीसरी श्रेणी के लोग हैं संत जो कि भीतर-बाहर दोनों से शांत होते हैं। केवल शरीर से संत एक आवरण हो सकता है, लेकिन संत बनने के लिए मन पर काम करना पड़ता है।

हमारी अशांति का केंद्र मन है। यदि मन हटा तो शांति अपने आप आ जाएगी।

अगर कोई कहे कि मेरा मन अशांत है तो ऊपरी तौर पर बात समझ में आएगी पर गहराई में यह है कि अशांत मन होता नहीं है।

दरअसल, जीवन में जब अशांति आती है तो उस अशांति का नाम मन है। मन अपने आप में कोई चीज नहीं है। अशांति इकट्‌ठी होकर कोई आकार ले ले तो उसे मन कहेंगे।

अशांति गई तो मन गया। थोड़ा सा बुद्धि को जागरूक रखिए, समझ में आ जाएगा कि किन बिंदुओं से आप अशांत होते हैं तो आप उनसे जुड़ना ही बंद कर देंगे।

क्या सीखा
जैसे ही अशांति के कारण हटाए, मन अपने आप गायब हो जाएगा। जिसका मन उपस्थित है, फिर वह भीतर-बाहर दोनों से अशांत है।

प्रस्तुतिः दीपक डावर

UP News से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Uttar Pradesh Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर ..

UP Lok sabha election Result 2019 से जुड़ी ताज़ा तरीन ख़बरों, LIVE अपडेट तथा चुनाव कार्यक्रम के लिए Download करें patrika Hindi News App