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ठंड का पता चल रहा न मिल रहा बारिश का अनुमान, बंद पड़ा मौसम केंद्र

weather: कृषि विज्ञान केंद्र पिपरौंध में सात दिन से खराब आटोमेटिक वेदर स्टेशन, किसानों को समय पर नहीं मिल पा रही मौसम की जानकारी

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कटनी

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Balmeek Pandey

Dec 03, 2024

weather: कृषि मौसम सेवा के माध्यम से किसानों को पांच दिन पहले से ही आने वाले मौसम में होने वाले बदलाव की जानकारी मिल जाती है। बारिश होना है, कोहरा रहेगा, या पाले व तुषार का खतरा है या फिर कबतक बारिश की संभावना नहीं है, कहां पर पश्चिम विक्षोभ बन रहा है या फिर द्रोणिका गुजर रही है, सब कुछ स्थानीय स्तर पर पता चल जाता है, जिसके आधार पर अन्नदाता खेती व कारोबारी उसी के अनुसार आगे की रणनीति बनाते हैं, लेकिन पिछले एक सप्ताह से पिपरौंध स्थित कृषि विज्ञान केंद्र का आटोमेटिक वेदर स्टेशन बंद पड़ा है। स्टेशन बंद होने के कारण ठंड का पता चल रहा है और न ही बारिश के अनुमान का।


जानकारी के अनुसार आटोमेटिक वेदर स्टेशन में तकनीकि खराबी के चलते मशीन पूरी तरह से ठप हो गई है। मशीन के सुधार के लिए स्थानीय स्तर पर टेक्नीशियन न होने के कारण केंद्र के वैज्ञानिक भी हलाकान है। ठंड के मौसम में कोहरा, शीतलहर व बारिश के अनुमान को लेकर भी वैज्ञानिक आशंकित है। ऐसी स्थिति में आगामी मौसम के बारे में किसानों को जानकारी नहीं मिल रही है और न ही शीतलहर की आशंका पर अलर्ट जारी किया जा रहा है।

इसलिए जरूरी है मौसम की जानकारी

प्र्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार को आगामी पांच दिन के मौसम का नाऊकास्ट बनता है। 12 घंटे के लिए भी नाऊकास्ट तैयार होता था। एडवायजरी के बारे में जानकारी मिल जाती है, लेकिन स्टेशन बंद होने से समस्या हो रही है।


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ठंड एवं शीतलहर से बचाव के लिए जारी की एडवाइजरी

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा शीतलहर से बचाव के लिए नागरिकों को सलाह दी गई है कि शीतलहर का प्रभाव प्रत्येक वर्ष दिसम्बर-जनवरी के महीनों में होता है। डॉ. आरके आठ्या ने बताया कि शीत लहर का नकारात्मक प्रभाव 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों, वृद्धजनों पर अधिक होता है। इसके अतिरिक्त दिव्यांगजनों, बेघर व्यक्तियों, दीर्घकालिक बीमारियों से पीडि़त मरीजों एवं खुले में व्यवसाय करने वाले छोटे व्यापारियों पर भी शीत लहर का प्रभाव पड़ता है। ठंड एवं शीतलहर से नाक बहना, नाक बंद होना, फ्लू, नाक-कान से खून आना, हाथ की ऊंगलियों, कान-नाक अथवा पैर की ऊंगलियो में सफेदी या फीकापन, कपकपी आना, बोलने में कठिनाई, अधिक नींद अना, मांसपेसियो में अकडऩ, सांस लेने में तकलीफ, कमजोरी, हाईपोथरमिया, अत्पताप जैसे लक्षण सामान्यत पाए जाते है।


आटोमेटिक वेदर स्टेशन खराब हो गया है। स्थानीय स्तर पर इंजीनियर न होने के कारण सुधार नहीं हो पा रहा है। रीजनल मौसम केंद्र भोपाल इस संबंध में जानकारी भेजी गई है।
संदीप चंद्रवंशी, मौसम एवं कृषि वैज्ञानिक