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अंग्रेजों के जमाने की डायमंड क्रॉसिंग 144 ट्रेनों के रफ्तार में बाधा

50 की बजाय 10 की रफ्तार से रेंगती है गाडिय़ां, हर माह 4 करोड़ का राजस्व, फिर भी रेलवे नहीं करा रहा एनआइ वर्क, 2019 में बना था प्रस्तावकटनी जंक्शन आउटर से डायमंड क्रॉसिंग को हटाने का काम अटका, रोज पिटती हैं ज्यादा यात्री ट्रेनें

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कटनी

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Balmeek Pandey

Mar 01, 2024

अंग्रेजों के जमाने की डायमंड क्रॉसिंग 144 ट्रेनों के रफ्तार में बाधा

अंग्रेजों के जमाने की डायमंड क्रॉसिंग 144 ट्रेनों के रफ्तार में बाधा

कटनी रेलवे जगत में एशिया का सबसे बड़ा जंक्शनों में शुमार है। यहां से सैकड़ों की तादाद में ट्रेनें पांच दिशाओं से कई प्रदेशों को जोड़ती हैं। कटनी से बीना, कटनी से जबलपुर, कटनी से बिलासपुर, कटनी से सिंगरौली, कटनी से प्रयागराज रेलखंड के लिए ट्रेनें चल रही हैं। यहां से हर दिन औसतन १५ से १६ हजार यात्री सफर करते हैं, ४ करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व हर माह प्राप्त हो रहा है, बावजूद इसके बाधाओं पर ब्रेक लगा है, जिसका असर ट्रेनों की रफ्तार पर पड़ रहा है।
कटनी. मालगाडिय़ों को तेजी से दौड़ाने के लिए बनाए जा रहे रेलवे के सबसे लंबे ग्रेड सेप्रेटर से कटनी-बिलासपुर, कटनी-बीना लाइन में यात्री ट्रेनों की गति निर्बाध हो जाएगा, लेकिन कटनी जंक्शन के आऊटर में यात्री गाडिय़ों की चाल बढ़ाने का काम पांच साल से अटका पड़ा है। कटनी जंक्शन के जबलपुर एंड में ए-केबिन के पास अंग्रेजों के जमाने वाली डायमंड क्रॉसिंग को बदलकर सीधा रेलपथ बनाने की योजना २०१९ में बनी थी। यह योजना अबतक कागजों के बाहर नहीं आ पाई। रेलवे ने ग्रेड सेप्रेटर के काम, रेल लाइनों के दोहरीकरण व थर्ड लाइन पर फोकस कर लिया है। इसकी आड़ में डायमंड क्रॉसिंग को बदलने (एनआई वर्क) का काम ठंडे बस्ते में डाल दिया है। डायमंड क्रॉसिंग पर हर दिन डेढ़ सौ यात्री ट्रेनें रेंग रहीं हैं। इसका खमियाजा यात्री भुगत रहे हैं। सुपरफास्ट ट्रेनें भी पिट रही हैं।
अंग्रेजों के जमाने की पुरानी क्रॉसिंग के कारण रोज जंक्शन में 72 जोड़ी से ज्यादा यात्री पिट रही हैं। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि यहां पर 50 किलोमीटर की जगह 10 से 15 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से ट्रेन प्लेटफार्म में पहुंचती हैं। हैरानी की बात तो यह है कि 2019 से में रेलवे ने कटनी जंक्शन की प्रमुख समस्या को खत्म करने के लिए प्लान बनाया था। तत्कालिक प्रभारी रेल जीएम गौतम बैनर्जी ने 14 दिसंबर 2019 को निरीक्षण किया था। यार्ड रिमॉडलिंग के साथ यात्री सुविधाओं में विस्तार के लिए निर्देश दिए थे।

- १४४ ट्रेनें प्रतिदिन दौड़ती हैं जबलपुर-सतना-बीना रेलखंड पर
- १९२ जोड़ी ट्रेनें साप्ताहिक, स्पेशल मिलाकर हो रहा है संचालन
- ०३ तीन जगह पर एनआइ वर्क होने से हल होगी बड़ी समस्या
- १० से बढक़र ५० किलोमीटर हो जाएगी ट्रेनों की रफ्तार
- ३ प्लेटफॉर्मों से हो जाएगी रेल लाइन की कनेक्टिीविटी


५० किमी रफ्तार बढ़ाने की यह योजना
बता दें कि एनआई वर्क से लाखों रेल यात्रियों को बड़ा फायदा होगा। अभी ट्रेन साउथ रेलवे स्टेशन से कटनी जंक्शन पहुंचने के लिए 10 से 15 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार हो जाती है। रेल अधिकारियों की मानें तो एनआई वर्क हो जाने से ट्रेनों की गति तीन गुना बढ़ जाएगी। 15 किलोमीटर प्रतिघंटा रफ्तार बढक़र 45 से 50 किलोमीटर हो जाएगी। वर्षों पुरानी समस्या से निजात मिल जाएगी। मेन लाइन न सिर्फ सीधी हो जाएगी बल्कि कटनी जंक्शन के प्लेटफॉर्मों की कनेक्टिविटी भी ठीक हो जाएगी, ताकि दोनों रूट की ट्रेनें आसानी से प्लेटफॉर्मों में ली जाए सकेंगी।

बहुत पुराना है डायमंड सिस्टम
रेल सूत्रों की मानें तो ए केबिन के पास बना रेलपांत का डायमंड सिस्टम अंग्रेजों के जमाने का है। बढ़ती तकनीक और आधुनिक दौर में उस सिस्टम के खराब होने वाले उपकरण भी आसानी से उपलब्ध नहीं होते। बताया जा रहा है कि इस सिस्टम से इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट को भी काफी दिक्कत होती है। इसके अलावा यहां पर ट्रेनों के मूवमेंट में फर्क पड़ता है, इसलिए रेल अफसरों ने यह निर्णय लिया है। अभी कटनी से साउथ रेलवे स्टेशन तक याने कि ए केबिन के पास ट्रेनें 15 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से ही चलती हैं, जिससे काफी समय प्रभावित होता है।

यह भी है गंभीर परेशानी
जबलपुर की ओर से आने वाली गाडिय़ां प्लेट फार्म क्रमांक दो और तीन पर ही ली जाती हैं। यदि दो या तीन में कोई ट्रेन है तो फिर ट्रेनों को साउथ या फिर उसके पीछे रोककर रखा जाता है। एनआई वर्क हो जाने के बाद चार नंबर प्लेटफार्म से भी कनेक्टीविटी होने पर बड़ी राहत मिलेगी।

खास-खास:
- ए और बी केबिन को किया जाना है सेट्रलाइज, एक जगह से होगी मॉनीटरिंग, जिससे ट्रेनों के परिचालन में होनी है असानी
- स्टेशन के आउटर में ट्रेनों की रफ्तार धीमी होने के कारण होती हैं घटनाएं, एनआइ से दूर होगी समस्या।
- जबलपुर से प्लेटफॉर्म दो और तीन में आने वाली ट्रेनों के लिए पड़ता है अधिक घुमाव, जिससे रफ्तार हो जाती है कम।
- डाउन मेन लाइन 104 नंबर, अप लाइन में 102 नंबर पर होना है विशेष काम, 103, 104 पर भी होना था काम।

वर्जन
कटनी में डायमंड क्रॉसिंग को खत्म करने का बड़ा प्रोजेक्ट है। इसमें सैकड़ों करोड़ रुपए का खर्च है। अभी तो वहां ग्रेड सेप्रेटर बन रहा है। इस काम को कराने में ट्रेनों का परिचालन काफी प्रभावित भी होगा। नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से इसे ठीक कराने जल्द पहल की जाएगी।
विवेक शील, डीआरएम।