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इस शहर में दीपावली पर स्थापित की गईं माता काली, द्वादशी को होगा विसर्जन, खास है वजह

Establishment of Kali Mata in Katni

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कटनी

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Balmeek Pandey

Nov 06, 2024

Stones pelted and destroyed Kaliji's statue in Vidisha in MP

Stones pelted and destroyed Kaliji's statue in Vidisha in MP- demo pic

दो माह पहले से स्वयं तैयार की महाकाली की मूर्ति, स्थापना कर हो रही अराधना
अमावस्या से लेकर एकदशी तक विराजीं रहेंगी मातारानी, हो रहे विविध आयोजन, गूंज रहे जयकारे

कटनी. मां दुर्गा, मां काली की मूर्ति स्थापना और पूजन का क्रम अधिकांश शारदेय नवरात्र पर होता है व कुछ स्थानों पर चैत्र नवरात्र में उपासना होती है, लेकिन शहर के नई बस्ती में मां महाकाली की स्थापना व अराधना इस समय की जा रही है। नई बस्ती में ब्रजमोहन महाकाली सेवा समिति के द्वारा विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है। यह स्थापना दीपावली की अमावस्या से की गई है। यहां पर मातारानी एकदशी के दूसरे दिन तक विराजमान रहेंगी। खास बात तो यह है कि समिति के दो प्रमुख सदस्य पिता व पुत्र स्वयं मिलकर दिव्य मूर्ति तैयार करते हैं और स्थापित कराते हैं।
जानकारी के अनुसार सिंधी स्कूल के पास अष्टचौक काली मंदिर चूर्ण गली नई बस्ती में कार्तिक अमावस्या के दिन से भव्य प्रतिमा स्थापित कराई गई है व आकर्षक साजसज्जा की गई है। यह पहल 2017 से जारी है। प्रतिमा स्थापना करा पूजन-अर्चन किया जाता है। यह पहल समिति के 20 सदस्यों द्वारा की जा रही है। इस प्रतिमा को दीपक कछवाहा (46) व उनके पुत्र शिवा कछवाहा (22) द्वारा तैयार की गई है। दोनों ने मिलकर दो माह पहले से ही मूर्ति तैयार करना शुरू कर दिया था। अमावस्या पर वेदपाठी ब्राम्हणों के सानिध्य में धूमधाम से स्थापना-पूजन कराया गया। छह दिनों से उपासना जारी है।

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अमावस्य को मान रहे प्रकटोत्सव
समिति के सदस्यों ने बताया कि नवरात्र में दुर्गा पूजन का विधान है। माता काली का प्रकटोत्सव कार्तिक अमावस्या को हुआ था, इसलिए उनके द्वारा यह पहले अमावस्या से की जाती है। एकदशी के दूसरे दिन विसर्जन कराते हैं। शिव कछवाहा ने बताया कि इस बार तिथि के कारण दीपावली दो दिन, परीवा दो दिन व भाईदूज दो दिन होने के कारण 14 नवंबर को विसर्जन किया जाएगा। पंडाल में प्रतिदिन हनव-पूजन, महाआरती, प्रसाद वितरण किया जा रहा है। पंडाल में समिति द्वारा आकर्षक साज-सज्जा भी कराई गई है। समिति के सदस्यों ने बताया कि मां काली की अराधना राष्ट्र कल्याण की भावना को लेकर की जा रही है। पंडाल में सुबह-शाम मातारानी के एक से बढकऱ जयकारे व भजन गूंज रहे हैं।