ड्रिप पद्धति को अपनाया
तेवरी निवासी किसान पुरषोत्तम सिंह ठाकुर ने बताया कि पिछले साल छोटा सा प्रयोग किया था। पहले प्रयोग में बेहतर परिणाम मिलने पर इस साल इसे पांच एकड़ में प्रयोग किया है। जिसमें अच्छी खासी आमदनी हो रही है। फरवरी माह में जैसे ही आलू तैयार होने वाला था कि जनवरी माह में नर्सरी तैयार कर ली गई थी। ड्रिप पद्धति से तरबूज, खरबूजा और ककड़ी को तैयार किया। तरबूज तीन एकड़ में लगाए हैं। इसके अलावा डेढ़ एकड़ में खरबूजा और खीरा एक एकड़ में तैयार किया है। खरबूजा में किसान ने एक एकड़ में 40 से 50 हजार रुपये की लागत लगाई है। इसमें किसान एक एकड़ में एक से डेढ़ लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं। वहीं तरबूज में की खेती में एक एकड़ में 30 से 40 हजार रुपये की लागत लगाकर प्रति एकड़ एक लाख रुपये एकड़ का मुनाफा होने का बात बताई है। 25 हजार खीरा में खर्च कर लगभग 50 हजार रुपये की मुनाफा कमाया है।
वैज्ञानिकों की ली सलाह
खास बात यह है कि किसान स्वीटकॉर्न, सब्जी की खेती सहित अन्य जैविक उत्पादन में कृषि विशेषज्ञों की सलाह से ही काम करते हैं। इस बार गर्मी की खेती में कृषि वैज्ञानिक अशोक सिंह के मार्गर्दशन में खेत में तरबूज और खरबूजा की फसल को तैयार किया। दोनों फसलें बढिय़ा तैयार भी हुई और अब इससे किसान को बढिय़ा आमदनी हो रही है।