दवा व प्रोटीन का वितरण
डॉ. ब्रम्हा जसूजा द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण कर आवश्यक सलाह परिजनों को दे रहे हैं। इसके इलावा इन्हें प्रोटीन, आयरन, केल्शियम, दलिया और विटामिन्स इत्यादी नि:शुल्क दिया जा रहा है। उन्होंने लोगों से अपील कर रखी है कि आस पास कोई बच्चा कुपोषण का शिकार दिखे तो उसे हमारे नर्सिंग होम भेजें, हम उसकी सेहत का खयाल रखेंगे। उनका मानना है कि कुपोषण सामूहिक जवाबदारी है, सरकार भर जिम्मेदार नहीं है। हर नागरिका को देश के लिए अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। भगवान ने आपके लिए बहुत कुछ किया है आप उनके लिए करिये जो जरुरतमंद हैं। ईश्वर ने हमें यहां पर कुछ करने के लिए भेजा है। शादियों में इतना खाना फेका जा रहा है, जिससे देशभर का कुपोषण दूर हो सकता है।
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लगता है मेला
रविवार को जब डॉक्टर ब्रम्हा जसूजा नि:शुल्क कैंप बच्चों के लिए लगाते हैँ तो पूरे हॉस्पिटल में एकदम मेले जैसा माहौल रहता है। बड़ी संख्या में लोग बच्चों को चिकित्सक के पास लेकर पहुंचते हैं, ताकि सेहत संवर सके। चिकित्सक द्वारा जो जो बच्चे गोद लिए गए हैं, उनका उपचार तो किया ही जाता है, साथ ही अन्य बच्चे जो भी पहुंचते हैं उनका को भी परामर्श दिया जाता है। खास बात यह है कि चिकित्सक उन बच्चों पर फोकस कर रहे हैं जिन घरों के बच्चों को वाकई में नि:शुल्क उपचार और प्रोटीन, विटामिन व कैल्शियम आदि की जरुरत है। बड़े ही उत्सवपूर्ण माहौल में बच्चों की देखभाल की जा रही है।
खूब हुई थी सराहना
जिले में कुपोषण को लेकर तमाम प्रयास हो रहे हैं, लेकिन अभी भी सार्थक परिणाम सामने नहीं आए हैं। इसकी मुख्य वजह है बच्चों को सुपोषित करने के लिए चलने वाले अभियान की प्रॉपर मॉनीटरिंग न होना। एनआरसी में बच्चे बहुत कम पहुंच रहे हैं, सालभर केंद्र खाली पड़े रहते हैं। दस्तक अभियान के समय ही भरे जा रहे हैं। इसके पूर्व जब चिकित्सक ने बड़वारा क्षेत्र के बच्चों को गोद लेकर अभियान की शुरूआत की थी तब भी खूब सराहना हुई थी। इसके मुख्य वजह है एकसाथ 287 बच्चों की सेहतर को संवारा गया था। चिकित्सक की इस पहल को लेकर सभी लोगों में खुशी का माहौल है।
यह है ध्येय
डॉक्टर ब्रम्हा जसूजा ने पत्रिका से चर्चा के दौरान कहा कि ईश्वर ने हमें यदि थोड़ा भी काबिल बनाया है तो हमें अपना तक सीमित सोच से ऊपर उठकर सोचना होगा। परमात्मा ने हमें यदि सामथ्र्य व ऐसा हुनर दिया जिससे किसी का भला हो सकता है तो फिर उस पर जरूर ध्यान देना चाहिए। हमें दूसरों के लिए भी सोचना होगा। देश में कुपोषण की स्थिति भयावह है। समाज की भागीदारी से ही इन कुपोषण रूपी दानव का नाश किया जा सकता है। सभी सामथ्र्यवानों को आगे आकर ऐसे बच्चों की मदद करनी चाहिए। समाजसेवी लोग सिर्फ दिखावे की समाजसेवा न करें, बल्कि ऐसा काम करें जिनसे उन्हें लगे की वाकई में मैंने समाज के लिए कुछ किया है। चिकित्सक का ध्येह है कि वे जरुरतमंद के काम आ सकें।