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इन होटलों से न खरीदें मिठाई व जलेबी नहीं तो हो जाएगी मौत!, जानिये क्या है वजह

राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोग शाला में हुई जांच से हुआ खुलासा, हुई जुर्माने की कार्रवाई

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कटनी

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Balmeek Pandey

Dec 11, 2017

Myth and truth about Diabetes

Myth and truth about Diabetes

कटनी. फल, मिठाई, मसाले, मेवा व खाद्य पदार्थों का धंधा करने वाले कारोबारी अपने फायदे के लिए लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। मिलावट के धंधे से जुड़े ये कारोबारी इन दिनों सारी हद पार कर गए हैं। जिले में हुई कुछ जांचों में चौकाने वाले मामले सामने आए हैं। मिठाई कारोबारियों द्वारा मानव जीवन के लिए घातक रंग का उपयोग किया जा रहा है। यह खुलासा हुआ है खाद्य सुरक्षा प्रशासन द्वारा लिए गए खाद्य सामग्री के सेंपल से। फूड सेफ्टी विभाग द्वारा शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र में संचालित मिठाई दुकानों व रेस्टारेंटों से २०० से अधिक खाद्य सामग्री के नमूने लिए थे। इन सेम्पलों को जांच के लिए राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोग शाला भेजा गया। १३० जांच रिपोर्ट में चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जलेबी और लड्डू में हानिकारक कलर मिला होना पाया गया है।

इन होटलों के संचालकों ने की गड़बड़ी
जांच रिपोर्ट के अनुसार माधवनगर में अजय रेस्टारेंट के संचालक द्वारा जलेबी में केमिकल युक्त हानिकारक रंग मिलाना पाया गया। इसी प्रकार गागा होटल व अलका होटल उमरियापान के संचालक द्वारा लड्डू में, ताम्रकार होटल विजयराघवगढ़ में भी लड्डू और मीठे में घातक कलर मिक्स किया गया था। अमित स्वीट घंटाघर में चाकलेटी बार, आम साईं स्वीट में शक्कर पारे में गड़बड़ी पाई गई है। इस पर विभाग ने जुर्माने की कार्रवाई की है। एक ओर जहां मिलावट का दौर जारी है तो वहीं दूसरी तरफ मिलावट रोकने वाले अफसर नींद में हैं और एक्ट केवल दिखावा बनकर रह गया है। यही दो कारण हैं, जिनकी वजह से मिलावटखोरों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। इस तरह के अपराध में कारावास की सजा होने के बाद भी मनमानी जारी है।

बीमारियों का गंभीर खतरा
इस संबंध में डॉ. ब्रम्हा जसूजा का कहना है कि मिठाईयों में केमिकल और कलर का उपयोग होता है। इससे पेट, किडनी और लीवर में विकार होता है। अधिक रंगीन मिठाईयों से कैंसर का रोग होने का खतरा रहता है। होटलों में पुराने और एक तेल का कई बार प्रयोग होता है। जले हुए तेल के कारण हृदय रोगों की आशंका रहती है। होटलों के किचन में गंदगी और बर्तनों के साफ नहीं होने से मिठाई दूषित होती है। जिससे पेट में दर्द, उल्टी, दस्त, हैजा होता है। गाढ़े पीले रंग की मिठाई में औरामिन के मिश्रण की संभावना होती है। इसके उपयोग से शरीर का विकास, लीवर और किडनी को नुकसान होता है। गुलाब जामुन, रसगुल्ला, बर्फी, सोन पपडी, लड्डू, मिल्क केक जैसी मिठाईयां कई दिन पहले से तैयार कर ली जाती हैं। बासी मिठाईयों के सेवन से फूड प्वाइजनिंग और डिहाइड्रेशन का खतरा होता है।

इनका कहना है
खाद्य सामग्रियों की लगातार जांच कराई जा रही है। नियम का उल्लंघन करते पाए जाने पर जुर्माना सहित फूड सेफ्टी लायसेंस निरस्त किए जाने की कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. अशोक अवधिया, सीएमएचओ।