
nagar nigam meeting in katni
कटनी. शहर की ज्वलंत समस्या जगन्नाथ चौक से घंटाघर तक सडक़ के निर्माण का मामला लगातार उलझता जा रहा है। पहले जहां उपलब्ध स्थान पर डामरीकरण कराए जाने का आश्वासन दिया गया, वहीं अब मुआवजे को लेकर पेंच फंसते जा रहे हैं। सोमवार को फिर यह मुद्दा विधानसभा में गूंजा। हैरानी की बात तो यह है कि नगर निगम के अफसरों ने सडक़ चौड़ीकरण से प्रभावित होने वाले जिन लोगों को मुआवजे के लिए पात्र पाया है उनमें विधायक संदीप जायसवाल व उनके भाई भी शामिल हैं, जबकि विधायक व उनके भाई वहां पर उनके नाम की कोई जमीन ही नहीं है। विधानसभा में तारांकित प्रश्न में विधायक ने सडक़ निर्माण, डामारीकरण व मुआवजा वितरण का मुद्दा उठाया। जिसपर सडक़ निर्माण एवं हो रही लेटलतीफी को स्वीकार करते हुए नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने उपलब्ध स्थान पर नवरात्र के पहले डामरीकरण कराने का आश्वासन दिया और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करने की जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि यह महापौर प्रीति सूरी की पहली प्राथमिका वाली सडक़ है, जो ढाई साल बाद अधूरी है। नगर निगम द्वारा 900 मीटर में से 265 मीटर में चौड़ीकरण के साथ डामरीकरण कराए जाने का दावा किया गया है।
विधायक ने कहा कि शुरू में लोगों की पार्किंग वगैरह छोड़ी थी वह जगह दे दी है। उसके बाद इन्होंने मुआवजे की राशि निर्धारित नहीं की। मुआवजे का नोटिस नहीं दिया। जिनको मुआवजा नहीं मिल रहा है वे हाइकोर्ट जा रहे हैं। उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में निर्देश दिए गए कि सुप्रीम कोर्ट की डब्ल्यूपी 1297/2020 मनोज टिम्बरवाल के दिए गए निर्देशों के अनुसार कार्रवाई करें। 19 दिसंबर के ध्यानाकर्षण के बाद 27 फरवरी को आयुक्त पत्र लिख रहे हैं, कह रहे हैं कि जो उच्च न्यायालय गए हैं उस अनुसार कार्रवाई की जाएगी। उनके सर्वे की स्थिति यह है कि पत्र के बाद रजिस्ट्रार कार्यालय में सर्वे का मूल्यांकन अब करा रहे हैं। अभी तक नहीं हुआ है तो फिर कैसे मुआवजा के लिए जा रहे थे। ननि के अधिकारियों का यह कौन सा रवैया है, मैं सिर्फ यह चाहता हूं कि ऐसे सब प्रकरण जाएंगे।
लिखा है मेरा नाम: विधायक
विधानसभा में विधायक ने कहा कि मैंने खुद परिषद में प्रस्ताव पास कराया है, इसमें दो कागज लगे हैं। इसमें कागज लगे हैं। एक में एसडीएम कह रहे हैं कि 9 करोड़ रुपए मुआवजा है, एक में दो करोड़ का मुआवजा है। उसमें मेरा नाम लिखा गया है। पहले मैंने कहा कि मेरी जमीन नहीं है, तो मेरे भाई का नाम लिख दिया गया। मैंने कहा कि उनकी भी जमीन नहीं है। इस तरह की विसंगतिपूर्ण कार्रवाहियां करके खुद चौड़ीकरण में बाधा बने हैं। ननि के अधिकारियों इस तरह का जवाब यह साबित करता है कि चौड़ीकरण के नाम पर यह लोगों को बार-बार गुमराह रहे हैं। जो हाइकोर्ट में गए हैं वे मुआवजा मांग रहे हैं। उनके सामने रोड नहीं बनाने देना चाहते।
निश्चित रूप से विलंब हुआ: मंत्री
विधानसभा में विधायक के सवाल जवाब के दौरान नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि ननि के बारे में आपको सब जानकारी है, आप स्वयं मेयर रहे हैं। निश्चित रूप से थोड़ा विलंब जरूर हुआ है। मैने अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस दिया है, और जो ये चाहते हैं जितनी ओपन सडक़ें हैं वह नवरात्रि के पहले पूरी कंपलीट की जाएगी।
सडक़ को लेकर खास-खास बातें
विधायक के इन सवालों में घिरी नगर निगम
शहर की गंभीर समस्या पर विधायक संदीप जायसवाल ने विधानसभा में 1720 नंबर के तारांकित प्रश्न में नगर निगम घिरती नजर आई। विधायक ने कहा कि सडक़ निर्माण को लेकर 3 वर्षों में नागरिक संगठनों द्वारा धरना, प्रदर्शन, चक्काजाम, के क्या-क्या आंदोलन कब-कब किए गए? किस सक्षम प्राधिकारी द्वारा ग्रीन कॉरिडोर सहित क्या-क्या आश्वासन देकर आंदोलन को कब-कब समाप्त कराया गया। आश्वासन पूर्ण हुए कि नहीं, यदि नहीं तो क्यों? क्या सडक़ चौड़ीकरण हाइकोर्ट के आदेश पर कराया जा रहा है? हां तो आदेश व ननि के जवाब की जानकारी मांगी। किस सक्षम स्वीकृति से सडक़ निर्माण की कार्रवाई स्वीकृत की गई? सडक़ चौड़ीकरण में क्षतिपूर्ति/मुआवजा राशि की गणना मूल्यांकन कितनी बार की गई? आंकलन जिला पंजीयक से कराया गया? उसका विवरण, हाइकोर्ट से पारित आदेश की प्रति, न्यायालय के आदेश में पालन की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी।
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मंत्री ने दिए सवालों के जवाब
विधानसभा में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने हर प्रश्न के जवाब दिए। निविदा प्राप्त होने पर नियमानुसार सक्षम स्वीकृति उपरांत ठेकेदार से अनुबंध निष्पादन का कार्य कराया जाएगा। कार्रवाई प्रचलन में है। ननि द्वारा हाइकोर्ट में अतिरिक्त जवाब दावा 10 फरवरी 23 अनुसार कार्रवाई प्रचलन में है। अनुविभागीय अधिकारी द्वारा 3 बार आंकलन कर पत्र प्रस्तुत किया गया है। विसंगतियां होने से पुन: 29 जनवरी 25 को क्षतिपूर्ति मूल्यांकन के लिए कलेक्टर को पत्र प्रेषित किया गया। क्षतिपूर्ति मुआवजा राशि का आंकलन जिला पंजीयक कार्यालय में नहीं कराया गया। एसडीएम द्वारा 28 फरवरी को जिला पंजीयक को पत्र भेजा गया, जिसकी कार्रवाई प्रचलन में है।
सडक़ को लेकर ये भी हैं मुख्य बिंदु
Published on:
18 Mar 2025 08:31 am
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