
Katni Ghantaghar Road
कटनी. घंटाघर से लेकर जगन्नाथ चौक तक की सडक़ हर नागरिक के लिए नासूर बनी हुई है। जबतक नई सडक़ बनकर तैयार नहीं हो जाती, तबतक लोगों को चैन की सांस नहीं मिलेगी। उल्लेखनीय है कि यह शहर का प्रमुख मार्ग है। इसके 12 मीटर चौड़ीकरण के साथ निर्माण का राग नगर सरकार द्वारा तीन साल से अलापा जा रहा है, लेकिन कभी मुआवजा तो कभी क्षतिपूर्ति के पेंच में मामला अटका हुआ है। अब एक बार फिर परिषद में हुई चर्चा के बाद सकारात्मक पहल शुरू हुई है। नगर निगम व राजस्व विभाग के अफसरों का दावा है कि दो माह के अंदर संपूर्ण प्रक्रिया को अपनाते हुए सडक़ का निर्माण करा दिया जाएगा। इसके लिए गुरुवार को नगर निगम में महापौर प्रीति सूरी ने आयुक्त नीलेश दुबे, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व प्रदीप मिश्रा, कार्यपालन यंत्री सुधीर मिश्रा सहित अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में सडक़ निर्माण के लिए पहल शुरू करने चर्चा की।
जगन्नाथ चौक से घंटाघर तक की बाधाओं को हटाने पर प्रमुखता से चर्चा हुई। अब कहा जा रहा है कि नगर निगम द्वारा यहां के रहवासियों को लिखित में मुआवजा कम क्षतिपूर्ति देने के लिए आश्वासन पत्र दिया जाएगा। हैरानी की बात तो यह है कि राशि पूरी तरह से तय नहीं है, संभावित मुआवजा देने का पत्र दिया जाएगा। अधिकारियों का यह भी कहना है कि सब रजिस्ट्रार कार्यालय से तय गाइड लाइन के मूल्यांकन के अनुसार मुआवजा व क्षतिपूर्ति तय की गई है, जबकि लोगों की मांग है कि प्रमुख बाजार क्षेत्र है, वर्तमान बाजार मूल्य के अनुसार राशि मिले।
यह शुरू होगी पहल
अधिकारियों ने कहा कि 27 जनवरी से नाली निर्माण आदि की प्रक्रिया शुरू होगी। इसके अलावा तिलक राष्ट्रीय स्कूल की बाउंड्रीवॉल हटाने, मंदिर शिफ्ट करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। वहीं दूसरी ओर नगर निगम द्वारा हाइकोर्ट में केवीएट पहले से लगी है एक और केवीएट लगाई जाएगी, ताकि निर्माण कार्य में बाधा न हो। अधिकारियों का कहना है कि जिन लोगों का निर्माण टूटना है वहां पर लाल मार्किंग पूर्व में ही करा दी गई। इस तरह के 80 से अधिक ऐसे स्थल चयनित किए गए हैं। 20 लोग ऐसे हैं, जिनके यहां की कोई जमीन अधिग्रहित नहीं की जा रही है, हालांकि ऐसे लोगों का सूची में नाम शामिल है। नगर निगम द्वारा क्षतिपूर्ति लेने के लिए लोगों से दस्तावेज देने कहा गया था, लेकिन 60 फीसदी से अधिक लोगों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई, लोग दस्तावेज लेकर ही नहीं पहुंचे।
होगी संपूर्ण वीडियोग्रॉफी
राजस्व अधिकारियों का कहना है कि यहां पर जो भी अतिक्रमण व अधिग्रहण होगा उसकी वीडियोग्रॉफी कराई जाएगी। सरकारी जमीन में हुए निर्माण पर क्षतिपूर्ति दी जा रही है, जो लगभग मार्केट रेट पर ही है। जिनकी निजी जमीन है मास्टर प्लान के अनुसार वर्तमान बाजार मूल्य के अनुसार क्षतिपूर्ति राशि दी जाएगी, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि यहां पर भू-अधिग्रहण नहीं हो रहा है। मास्टर प्लान के तहत क्षतिपूर्ति दी जा रही है। शाम को सडक़ की वास्तविक स्थिति का जायजा लेने के लिए आरआई व पटवारियों के एक दल ने भी सर्वे किया है।
कई करोड़ का बनेगा मुआवजा
सडक़ निर्माण की राह इतनी आसान नहीं है, जितनी जनप्रतिनिधि व अफसर चेम्बर में बैठक कर चर्चा में तय कर रहे हैं। यहां पर तीन दर्जन से अधिक लोग ऐसे हैं, जिनकी निजी स्वामित्व की जमीन है, जो अधिग्रहण के दायरे में आएगी और वे लोग बगैर मुआवजा जमीन नहीं देंगे। यहां पर अकेले तीन लोग ऐसे हैं, जो न्यायालय से 1 करोड़ 56 लाख रुपए का मुआवजा तय हुआ है। जानकारों की मानें तो लगभग 10 करोड़ रुपए यहां पर मुआवजा क्षतिपूर्ति की राशि बनेगी। हालांकि नगर निगम ने लगभग ढाई करोड़ रुपए क्षतिपूर्ति राशि अनुमानित की है।
Published on:
27 Jan 2025 09:32 pm
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