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गरीबों को नसीब नहीं हुई छत, कई हुए खंडहर तो सैकड़ों मकानों में कब्जा

चौकीदार व बाहुबलियों ने उठा दिया भाड़े पर सरकारी मकान, खाली कराने में नगर निगम को छूट रहा पसीना, सिर्फ नोटिस-नोटिस खेल रहे अधिकारीआइएचएसडीपी योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा, सरलानगर, इंद्रानगर, पडऱवारा, अमकुही व प्रेमनगर में हुआ जमकर भ्रष्टाचार2921 लाख रुपये हुए खर्च फिर भी 16 साल बाद नगर निगम नहीं मुहैया करा पाई गरीबों को आवास

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कटनी

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Balmeek Pandey

May 30, 2023

गरीबों को नसीब नहीं हुई छत, कई हुए खंडहर तो सैकड़ों मकानों में कब्जा

गरीबों को नसीब नहीं हुई छत, कई हुए खंडहर तो सैकड़ों मकानों में कब्जा

कटनी. गरीबों को सस्ते दर पर मकान उपलब्ध कराने सरकार ने महत्वाकांक्षी योजना 2007 में शुरू की थी। इस योजना के तहत 16 साल पहले 2921 लाख रुपए से इंटीग्रेटेड हाउसिंग एंड स्लम डेवलपमेंट प्रोग्राम (आइएचएसडीपी) योजना शुरू की गई थी। दो साल के अंदर एक हजार 119 गरीबों को आवास मुहैया कराना था, लेकिन अबतक नगर निगम एक हजार आवासों का भी निर्माण नहीं करा पाई। हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि गरीबों के लिए बने मकानों में सरलानगर, इंद्रानगर, प्रेमनगर में अवैध तरीके से सालों से लोग कब्जा करके रह रहे हैं। इतना ही नहीं मकानों भाड़े पर दिया गया है। इस पूरे खेल में नगर निगम के अफसरों व कर्मचरियों की भी मिलीभगत से इन्कार नहीं किया जा सकता। हैरानी की बात तो यह है कि सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना पर आजतक न तो लापरवाही सुनिश्चित हुई और ना कोई कार्रवाई
जानकारी के अनुसार 50 फीसदी हितग्राहियों को भी ठीक से आवंटन नहीं हुआ। नाम ना छापने की शर्त पर कुछ लोगों ने बताया कि एक हजार से लेकर 2 हजार रुपए प्रतिमाह किराये पर मकान भाड़े पर दिए गए हैं। सरलानगर व इंद्रानगर में तो दलालों ने मोटी रकम लेकर कब्जा करा दिया है। नोडल अधिकारी सहित प्रभारी अधिकारियों ने जमकर मनमानी का खेल खेला। विगत दिवस एक कर्मचारी का अवैध वसूली करने का वीडियो भी वायरल हुआ है।

चौकीदार, ठेकेदार व स्थानीय लोगों का वर्चस्व
गरीबों के मकान पर चौकीदार, ठेकेदार व स्थानीय लोगों का वर्चस्व बना हुआ है। हितग्राहियों को आवास मुहैया हो जाए इसके लिए न तो नगर निगम पहल कर रही और ना ही जिला प्रशासन ने अबतक ठोस कार्रवाई। महापौर और पार्षदों ने सिर्फ प्रस्ताव और संकल्प तक ही कार्रवाई सीमित रखी है। बस्तियों के हालात ऐसे हैं कि चौकीदार, ठेकेदार व स्थानीय दबंग व्यक्तियों भवनों को किराये पर देकर अवैध वसूली की जा रही है। प्रेमनगर के लोगों ने बताया कि लोगों द्वारा किराये पर मकान दिए गए हैंं, डाइट के पास बने आवासों को भी किराये पर दिया गया है। अनाधिकृत लोग कैसे यहां पर रह रहे हैं, यदि इसकी जांच हो जाए, तो हकीकत सामने आएगी।

यहां-यहां बने हैं मकान
- प्रेमनगर अयोध्या बस्ती एनकेजे
- डाइट भवन के पास एनकेजे
- सरला नगर पहरुआ मंडी के आगे
- इंद्रानगर पहरुआ मंडी के आगे
- पडऱवारा माधवनगर
- अमकुही कटाये घाट के आगे

खास-खास:
- दो लाख रुपये में एक हितग्राही को देना था पक्का मकान, 72 हजार रुपए शासन की ग्रांट से ते शेष राशि हितग्राही को करनी थी जमा।
- ठेकेदार गुणवत्ता विहीन निर्माण, समयावधि में निर्माण नहीं किए, इस पर नगर निगम ने कोई कार्रवाई अबतक नहीं की।
- ठेकेदार एके बिल्डर्स को सिर्फ किया ब्लैक लिस्टेड, एमआइसी ने सिर्फ समयावधि बढाती रही।
- पडऱवारा में अधिकांश कब्जाधारी रह रहे हैं, इंद्रानगर सरलानर में बर्तन करोबारी जमाए हुए हैं कब्जा।
- 965 हितग्राही ऐसे थे कि तीन बार नोटिस देने के बाद भी नहीं लिया आवंटन, 900 से अधिक आवास लेने से कर चुके थे इन्कार।

इन आठ ठेकेदारों ने किया बंटाढार
- एके बिल्डर्स, चारों बस्ती
- धनरास कंस्ट्रक्शन सरलानगर
- प्रगति इंडिया कंस्ट्रक्शन पडऱवारा
- आरआर कंस्ट्रक्शन
- एसएन खंपरिया चार जगह
- सुरेंद्र तिवारी अमकुही
- मनीष उपाध्याय राधेकृष्ण कंस्ट्रक्शन
- आशीष जार पे्रमनगर

...इधर कलेक्टर ने जताई नाराजगी
कलेक्टर अवि प्रसाद ने सोमवार को नगर निगम में गंदी बस्तियों में निवास करने वाले शहरी गरीबों के लिए एकीकृत आवास एवं बस्ती विकास कार्यक्रम (आइएचएसडीपी) के क्रियान्वयन में रुप नहीं लेने पर नगर निगम की कार्यप्रणाली के प्रति नाराजगी व्यक्त की है। नगर निगम में कलेक्टर के पत्र से हड़कंप की स्थिति निर्मित हो गई है। कलेक्टर ने नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर निर्देशित किया है कि वर्ष 2007 से शुरू हुई इस योजना को करीब 16 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन गरीब हितैषी योजना के क्रियान्वयन में कोई भी रुचि नहीं ली जा रही है। जो खेदजनक है। योजना के प्रावधान और नियमों के तहत 15 दिन के भीतर कार्रवाई पूरी कर पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने कहा है।

2182 में बनाए मात्र 985 मकान
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा 24 जुलाई 2007 को एकीकृत आवास एवं बस्ती विकास कार्यक्रम के दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। योजना के तहत 2182 आवासों में से 1063 आवासों को सरेंडर कर दिया गया है। मात्र 1119 आवासों का निर्माण कराया जाना था, जिसमें 985 आवासों का ही निर्माण किया गया है। योजना न सिर्फ अधूरी है बल्कि गरीबों के मकानों को बनाने में अफसरों ने कोताही बरती है। इस योजना के नोडल अधिकारी ने भी जमकर मनमानी की है।

एमआइसी का निर्णय को भी बताया धता
मेयर इन काउंसिल के द्वारा प्रस्ताव पारित कर अवैध कब्जाधारियों से आवास रिक्त कराने, पात्र हितग्राहियों को आवास आवंटन कर कब्जा दिलाने, वैध कब्जाधारी हितग्राहियों के दस्तावेजों का सत्यापन कराने और ऐसे हितग्राही जिन्हें आवास आवंटित नहीं हो पाए हैं, उनकी जमा राशि वापस किये जाने के प्रस्ताव व संकल्प पारित किए जाने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। 37 हितग्राहियों की सूची का अनुमोदन निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना चाहा गया है। कलेक्टर ने कहा है कि घोर लापरवाही एवं उदासीनता है। 15 दिवस में पूर्ण कर पालन प्रतिवेदन सहित अवगत कराने कहा है। मनमानी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी।

वर्जन
आइएचएसडीपी योजना में पात्र हितग्राहियों को आवंटन न होने, निर्माण कार्य पूर्ण न होने, एमआइसी के प्रस्ताव पर अमल न किए जाने सहित अन्य बिंदुओं पर लापरवाही सामने आई है। आयुक्त को 15 दिवस के तहत कार्रवाई से अवगत कराने कहा गया है। शीघ्र आवश्यक पहल न करने पर कार्रवाई की जाएगी।
अवि प्रसाद, कलेक्टर।