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कटनी

पंडा ने ली माता की परीक्षा, हो गई मौत

तहसील मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर ग्राम इटौली की खेर, आसमानी, मरही माता मढिय़ा का इतिहास

कटनीApr 10, 2019 / 11:45 pm

narendra shrivastava

Panda examines Mata Rani, death

Panda examines Mata Rani, death

ढीमरखेड़ा। तहसील क्षेत्र का एक देवी स्थान ऐसा भी है जहां पंडा ने अपनी जिद पर चावल के जवारे जमाये थे, लेकिन माता की शक्ति की परीक्षा लेने के कारण माता के दिए हुए वचनानुसार पंडा की जान चली गई।
तहसील मुख्यालय से महज 22 किलोमीटर दूर ग्राम इटौली की खेर, आसमानी, मरही माता मढिय़ा मैं तकरीबन 200 वर्षों पूर्व पंडा राम लाल गोटिया ने माता की शक्ति की परीक्षा लेकर जिद पर चावल के जवारे बोने की जिद माता से की थी। माता ने वचन दिया कि चावल के जवारे तो जमेंगे लेकिन जवारे विसर्जन के साथ ही तुम्हारी जीवन लीला समाप्त हो जाएगी। सो माता के वचन अनुसार चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को जवारे विसर्जन के बाद पंडा की मौत हो गई। आज भी मंदिर प्रांगण में पंडा का समाधि स्थल बना हुआ है। ग्रामीणों के अनुसार खेर माता मंदिर से समस्त ग्राम वासियों के लिए आस्था का केंद्र हैं। यहां दूर से भक्त माता के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।
महानदी में मिली थीं माता-ग्राम वासियों ने चर्चा में बताया कि तकरीबन 200 वर्षों पूर्व पंडा के परिजन जबलपुर जिले की कुंडम तहसील अंतर्गत सुपावारा के पास मजदूरी करने गए थे। महानदी के पास पडाव बनाकर रहते थे।
महानदी में नहाते हुए पंडाराम लाल को माता की मूर्ति नदी के अंदर मिली। पंडा ने उस मूर्ति को निकालकर पेड़ के नीचे रख दिया था। गांव पहुंचने पर माता ने स्वप्न देकर पंडा को जानकारी में बताया की नदी से निकालने के बाद गांव में मेरी स्थापना करवाई जाए। पंडा ने स्वप्न के बारे में गांव के बुजुर्गों को बताया और मूर्ति लाकर गांव में स्थापना करवाई। पूर्व में मढिया कच्ची थी। ग्राम पंचायत सरपंच तुलसीराम माझी ने बताया कि तकरीबन 5 वर्ष पूर्व जय कुमार सिंह के द्वारा 15 से 20 लाख रुपए खर्च कर मंदिर का निर्माण कार्य कराया।

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