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जंक्शन पर सफाई और सुरक्षा फेल, यात्रियों की सुविधा से ‘मुंह मोड़ रहा रेलवे’

हर दिन 18 हजार खर्च फिर भी गंदगी का आलम, ठेका कंपनी की मनमानी चरम पर, असामाजिक तत्वों का कब्जा

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कटनी

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Balmeek Pandey

Jun 15, 2025

problem in katni junction

कटनी. रेलवे स्टेशन कटनी जंक्शन पर जहां एक ओर ठेकेदारों के माध्यम से रेलवे प्रशासन स्टेशन के सौंदर्यीकरण में व्यस्त है, वहीं दूसरी ओर यात्रियों की मूलभूत सुविधाएं और सुरक्षा व्यवस्था बुरी तरह चरमराई हुई है। शनिवार को पत्रिका की टीम ने स्टेशन के विभिन्न हिस्सों का जायजा लिया तो चौकाने वाली हकीकत सामने आई। सफाई, सुरक्षा और सुविधाओं की नब्ज टटोलने पर पता चला कि स्टेशन परिसर से लेकर प्रतीक्षालय, प्लेटफॉर्म, सर्कुलेटिंग एरिया और पटरियों तक गंदगी और अव्यवस्था का बोलबाला है। बता दें कि जंक्शन में औसतन प्रतिदिन 90 जोड़ी ट्रेनें हैं, 17 हजार से अधिक यात्री प्रतिदिन सफर करते हैं। रेलवे को हर माह लगभग प्रतिदिन 7 लाख रुपए के राजस्व की प्राप्ति हो रही है, इसके बाद भी बेपरवाही जारी है।

लाखों खर्च, फिर भी गंदगी

रेलवे प्रशासन सफाई व्यवस्था के लिए हर माह लाखों रुपए खर्च कर रहा है। ठेका कंपनी अलर्ट इंटरप्राइजेज को पिछले एक साल में 64 लाख 75 हजार रुपए का भुगतान किया गया है। यानी औसतन हर दिन करीब 18 हजार रुपए सफाई पर खर्च हो रहे हैं। इसके बावजूद स्टेशन परिसर जगह-जगह गंदगी से अटा पड़ा है। नालियों की सफाई नहीं होती, कचरा कई दिनों तक नहीं उठाया जाता और यात्री गंदगी के बीच सफर करने को मजबूर हैं।

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सर्कुलेटिंग एरिया बना कचरे का अड्डा

स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में कई दिनों तक सफाई नहीं होती। कचरा ऐसे ही पड़ा रहता है जिससे स्टेशन में प्रवेश करते ही यात्रियों को बदबू और गंदगी का सामना करना पड़ता है। यह क्षेत्र बाहरी लोगों के जमावड़े का भी केंद्र बन गया है।

प्रतीक्षालय में असामाजिक तत्वों का कब्जा

स्टेशन के सामान्य यात्री प्रतीक्षालय में असामाजिक तत्वों का डेरा बना हुआ है। प्लेटफॉर्म, आउटर और यहां तक कि वेटिंग हॉल में भी ये लोग बिना रोक-टोक घूमते रहते हैं। कई बार यात्रियों के साथ अभद्रता की घटनाएं भी हो चुकी हैं, बावजूद इसके न आरपीएफ और न ही जीआरपी कोई ठोस कार्रवाई कर रही है।

सफाईकर्मियों की सुरक्षा से खिलवाड़

सफाई के नाम पर न सिर्फ यात्रियों की सुविधाएं नजरअंदाज हो रही हैं, बल्कि सफाईकर्मियों की सुरक्षा भी खतरे में है। नाली या पटरी की सफाई करने वाले कर्मचारियों को ना दस्ताने दिए जाते हैं, ना ही मास्क या बूट। यह ठेका कंपनी की घोर लापरवाही और श्रमिकों के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाता है।

डस्टबिन गंदगी से भरे, पॉलिथीन का उपयोग नहीं

स्टेशन परिसर में लगे डस्टबिन की नियमित सफाई नहीं होती। इनमें कई दिनों का कचरा भरा रहता है। न तो समय-समय पर इन्हें खाली किया जाता है और न ही इनमें पॉलिथीन बैग्स का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे बदबू और गंदगी फैली रहती है।

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गर्मी में भी बिना पंखे बैठे यात्री

स्टेशन के पोर्च क्षेत्र में जहां यात्री भीषण गर्मी में बैठे रहते हैं, वहां पंखों जैसी मूलभूत सुविधा तक का इंतजाम नहीं है। इससे यात्रियों को गर्मी और उमस में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। स्टेशन के अन्य क्षेत्र में भी पर्याप्त पंखे व शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है।

खुले में बिक रही खाद्य सामग्री, स्वास्थ्य से खिलवाड़

स्टेशन परिसर में बने फूड स्टॉल्स में खाद्य सामग्री खुले में रखी जाती है। इतनी गर्मी में बिना ढंके और बिना पैकिंग के सामग्री बिक रही है, जिससे यात्रियों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। खाद्य सुरक्षा नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। बोरियां और खुले कॉर्टन में पूडिय़ा, समोसे, आलूबंडा, भाजीबड़ा, ब्रेड पकौड़े, भजिया आदि पहुंच रहे हैं

जिम्मेदार चुप, अव्यवस्था हावी

रेलवे प्रशासन द्वारा सौंदर्यीकरण और विकास कार्यों के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। लाखों का बजट होने के बाद भी जब सफाई और सुरक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं तो सवाल उठना लाजमी है कि आखिर यह पैसा कहां खर्च हो रहा है? जब तक जिम्मेदार अधिकारी सख्ती नहीं दिखाएंगे, तब तक स्टेशन की तस्वीर नहीं बदलेगी।

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अंदर तक पहुंच रहे ऑटो चालक

रेलवे स्टेशन कटनी जंक्शन यात्रियों की सुविधा नहीं, ठेकेदारों की कमाई का अड्डा बन गया है। हर दिन हजारों रुपए खर्च होने के बावजूद गंदगी, अव्यवस्था और असुरक्षा का अंबार लगा है। प्रवेश द्वार से लेकर प्लेटफॉर्म तक हर कोना बदहाल है, लेकिन जिम्मेदार आंखें मूंदे बैठे हैं। ऑटो चालक स्टेशन के अंदर तक पहुंच रहे हैं। डस्टबिन भरे पड़े हैं, प्रतीक्षालय असामाजिक तत्वों से घिरे हैं और पोर्च में पंखा तक नहीं। सौंदर्यीकरण की आड़ में केवल दिखावा हो रहा, हकीकत में यात्रियों के साथ धोखा हो रहा है।

पानी से आ रही दुगंध

प्लेटफार्म में यात्रियों के लिए सप्लाई किए जाने वाले पेयजल व ट्रेनों में की जाने वाली वॉटरिंग में दुर्गंध आ रही है । रेलवे द्वारा ठीक से फिल्टर कर पानी की सप्लाई नहीं की जा रही है। यात्रियों की सेहत से खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। रेलवे अफसर की उदासीनता के कारण स्थानीय अधिकारी लगातार बेपरवाही कर रहे हैं।