
Rainy river became Ken
कटनी. साल के १२ माह पानी से लबालब रहने वाली केन नदी अब बरसाती नदी बनकर रह गई है। रेलवे लाइन के विस्तार में नदी के बहाव क्षेत्र को पाटा जा रहा है, जो आने वाले समय में बाढ़ का कारण बन सकता है। यह कहना था केन नदी पर शोध करने निकले कोलकाता निवासी सिद्धार्थ अग्रवाल व दिल्ली के भीम सिंह रावत का। तीन चरणों में केन नदी की ३४ दिवसीय पदयात्रा के अंतिम पड़ाव पर रीठी के ममार गांव में उद्गम स्थल पहुंचे शोधार्थियों ने ग्रामीणों के साथ अपने अनुभव बांटे। युवकों ने बताया कि उन्होंने ३४ दिन पूर्व फतेहपुर उप्र के चिल्लाघाट से यात्रा प्रारंभ की थी। पदयात्रा व शोध के दौरान सामने आया कि पिछले दो दशकों से केन नदी वन कटान, रेत खनन, बढ़ती सिंचाई, बांध परियोजनाओं व सहायक नदियों के सूखने से बरसाती नदी बनती जा रही है। शोथार्थियों ने कहा कि रीठी में नदी का उद्गम स्थल धार्मिक व पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण व रमणीक है। उनका कहना है कि उद्गम स्थल पर जल क्षेत्र का क्षरण हो रहा है। उन्होंने कहा कि नई बिलासपुर-भोपाल रेलवे लाइन के निर्माण कार्य में केन नदी के बहाव क्षेत्र को पाटा जा रहा है, जो आने वाले समय में बाढ़ का कारण बन सकता है।
भूजल का करना होगा संरक्षण
युवकों ने कहा कि जिन क्षेत्र में नदी सूख गई है, वहां नदी पर आश्रित ग्रामीण, किसान, पशु पक्षी परेशान हैं। बढ़ते भूजल दोहन से नदी में गैर मानसूनी समय में झिरने का प्राकृतिक गुण समाप्त हो गया है। शोधार्थियों के अनुसार झिरने के विलक्षण गुण के कारण ही केन नदी में जेठ की गर्मी में भी जल रहता था और अब नदी को बचाने के लिए भूजल का संरक्षण करना होगा। जिसके लिए नदी के धार्मिक व पर्यावरण महत्व पर लोगों को जागरुक करने के लिए केन नदी मित्र मंडलियों का गठन करना होगा।

Published on:
19 Apr 2018 12:07 pm
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