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गर्मी में 40 लाख यूनिट तक होती थी खपत, इस वजह से टूटा रिकार्ड…

लॉक डाउन में उद्योग बंद होने से कम हुआ दबाव, 18 लाख यूनिट प्रतिदिन की खपत, पिछले साल 40 लाख यूनिट प्रतिदिन तक की थी मांग

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कटनी

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Mukesh Tiwari

Apr 26, 2020

meerut

bijli

कटनी. मार्च-अप्रैल मेंं पडऩे वाली गर्मी में पहली बार बिजली की खपत का रिकॉर्ड टूटा है। लॉक डाउन में पिछले वर्षों की तुलना में प्रतिदिन होने वाली बिजली की खपत लगभग आधी है। ऐसी स्थिति पिछले एक माह से अधिक समय से चल रही है। इसका मुख्य कारण जहां लॉक डाउन में पिछले कई दिनों से बंद पड़े उद्योग हैं तो ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई बंद होने से भी खपत में कमी आई है। सिटी से लेकर ग्रामीण फीडर तक अधिकांश बिजली की खपत घरों में चलने वाले उपकरणों से ही हो रही है। पिछले साल अप्रैल माह में गर्मी के चलते प्रतिदिन की खपत 33 लाख यूनिट से 40 लाख यूनिट के बीच रही है जबकि इस साल पिछले एक माह से जिले में 16 से लेकर 18 लाख यूनिट प्रतिदिन की खपत हो रही है। उद्योगों के चलने और गर्मी में घरों, दुकानों में कूलर, पंखों, एसी आदि के चालू होने के कारण बिजली की खपत बढ़ती थी। वर्तमान में लॉक डाउन के कारण मात्र आवश्यक वस्तुओं की दुकानें खुल रही हैं और वो भी सुबह के ही समय, जिसके चलते दुकानों में भी बिजली की खपत न के बराबर है तो लोग कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते एसी का उपयोग भी नहीं कर रहे हैं।

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दो दिन से बढ़ रही मांग
लॉक डाउन में उद्योगों का काम भी बंद हो गया था। छूट मिलने के बाद 22 अप्रैल से जिले में कुछ औद्यौगिक इकाईयों ने काम करना प्रारंभ कर दिया है। जिसके चलते दो दिन से बिजली की मांग में कुछ इजाफा हुआ है। दो दिन से बिजली की मांग प्रतिदिन 22 लाख यूनिट के आसपास पहुंची है। धीरे-धीरे उद्योगों के चालू होने से मांग में इजाफा होने की संभावना है।

खास-खास
- 75 हजार से अधिक हैं शहरी क्षेत्र में बिजली उपभोक्ता
- 2 लाख 78 हजार से अधिक हैं जिले भर में उपभोक्ता
- 9618 ट्रांसफार्मरों से फीडरों को होती है सप्लाई
- 150 उद्योग ने दो दिन में शुरू किया काम करना
- ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी की फसलों, सब्जी की सिंचाई का बस है दबाव
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इनका कहना है...
पिछले वर्षों में गर्मी के अप्रैल माह से ही बिजली की खपत 33 लाख यूनिट प्रतिदिन से लेकर 40 लाख यूनिट तक पहुंच जाती थी। लॉक डाउन के दौरान उद्योग इकाई बंद रही हैं और सिंचाई का काम भी बंद हो गया। इसके चलते खपत आधी के लगभग रही है। अब कुछ उद्योगों के चालू होने से मांग फिर से बढ़ रही है।
एलपी खटीक, अधीक्षण यंत्री, मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी