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नियमों को रौंदकर 100 से अधिक दमघोटू चूना भट्टों का धड़ल्ले से संचालन

Rules are not being followed in factories

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कटनी

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Balmeek Pandey

Feb 09, 2025

Rules are not being followed in factories

Rules are not being followed in factories

लोगों का घुट रहा दम, कैमोर क्षेत्र के कई गांवों में बढ़ता जा रहा प्रदूषण, प्रशासन की अनदेखी से बढ़ रही समस्याएं
स्थानीय प्रशासन, जिला प्रशासन सहित जिम्मेदार विभागों को नहीं समस्या से सरोकार

शहर सहित जिले के कई गांवों में चूना भट्टों से निकलने वाला जहरीला धुआं, क्रेशर प्लांटों की डस्ट व फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं लोगों के स्वास्थ्य के लिए बड़े खतरे बन गए हैं। जहरीले धुएं से सांस लेने में खांसी, आंखों में जलन और अन्य गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा। जिम्मेदारों द्वारा जांच-कार्रवाई नजरअंदाज करना लोगों की जान पर भारी पड़ रही है…।

कटनी. जिले के कैमोर क्षेत्र में नियमों को रौंदते हुए 100 से अधिक अवैध रूप से चूना भट्टों का संचालन किया जा रहा है। क्षेत्र के अमेहटा, महगांव, बड़ारी, रजरवारा, पडख़ुरी समेत आधा दर्जन से अधिक गांवों में चूना भट्टों से निकलने वाला जहरीला धुआं लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता जा रहा है। प्रदूषण के कारण स्थानीय निवासियों को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और खांसी जैसी बीमारियां हो रही हैं। इतना ही नहीं शहर से लेकर गावों में संचालित होने वाले क्रेशर प्लांट, पुट्टी प्लांट व फैक्टियों में नियमों को धता बताया जा रहा है। इसके बावजूद प्रशासन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खनिज विभाग और जिला प्रशासन इस ओर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
चूना भट्टों से निकलने वाला धुआं और उसमें मौजूद छोटे-छोटे कण हवा में घुलकर प्रदूषण फैला रहे हैं। ये कण लोगों की सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर कई बीमारियों को जन्म दे रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हवा में धूल और चूने के महीन कण घुलने के कारण अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियां बढ़ रही हैं। कई बच्चों और बुजुर्गों को खांसी, गले में जलन, आंखों में चुभन और त्वचा संबंधी समस्याएं हो रही हैं। लगातार प्रदूषण के संपर्क में रहने से टीबी, फेफड़ों में संक्रमण और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है।

मवेशियों को भी संकट
प्रदूषण के कारण फसलें प्रभावित हो रही हैं, पशुओं के लिए चारा भी दूषित हो रहा है, जिससे पशुधन पर भी बुरा असर पड़ रहा है। चूना भट्टों का संचालन बिना पर्यावरणीय अनुमति का पालन किए और सुरक्षा मानकों को ताक में रखकर किया जा रहा है। प्रभावित गांवों के निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द इन अवैध चूना भट्टों को बंद किया जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कोई कदम नहीं उठाया गया, तो वे सडक़ पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

इन नियमों का होना चाहिए पालन

  • चूना भट्टों को आबादी से दूर लगाया जाना चाहिए, लेकिन इन्हें गांवों के नजदीक संचालित किया जा रहा है।
  • चिमनी की ऊंचाई तय मानकों के अनुरूप होनी चाहिए, जिससे धुआं ऊंचाई तक जाकर वायुमंडल में फैल सके।
  • धुएं को शुद्ध करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली (फिल्टर सिस्टम) होना चाहिए, लेकिन अधिकांश कंपनी में ऐसा कोई सिस्टम नहीं है।
  • खनिज विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति आवश्यक होती है, लेकिन कई भ_े मानकों की अनदेखी कर चल रहे हैं।

सांठगांठ का खेल बना रहा कष्ट
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन और संबंधित विभागों की मिलीभगत से फैक्ट्रियों में मनमानी चलती है। स्थानीय अधिकारी शिकायतें सुनने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। पर्यावरण संरक्षण कानूनों के अनुसार, अगर कोई उद्योग प्रदूषण फैलाता है और नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। मानकों का पालन न करने वाले प्लांट, फैक्ट्री संचालकों पर भारी जुर्माना लगाया जाए और कानूनी कार्रवाई की जाए। क्षेत्रों में स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए जाएं और ग्रामीणों को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं दी जाएं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नियमित निरीक्षण करें और जो भट्टे नियमों के खिलाफ चल रहे हैं, उन्हें सील किया जाए। संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही न हो।

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फैक्ट्रियों से भी निकल रहा जहरीला धुआं
आसमान में जहर घोलने वाले सिर्फ चूना भट्टे ही नहीं हैं बल्कि क्रेशर प्लांट, कोयला प्लांट, पुट्टी प्लांट के अलावा शहर व उपनगरीय क्षेत्र में आबाद फैक्ट्रियों से उत्सर्जित होने वाला धुआं वायुमंडल को जहरीला बना रहा है। चिमनी के उपयोग में भी कई मिलों में नियमों का अनदेखी हो रही है। जांच के नाम पर विभाग सिर्फ औपचारिकता निभाते हैं। इन फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा पानी भी नदी या फिर खुले में बहाया जा रहा है। इससे वायु, जल, भूमि प्रदूषण के हालात शहर व गांवों में बने हुए हैं। एनकेजे क्षेत्र में संचालित फैक्ट्री से भी खतरा बना हुआ है।

लोगों का दर्द: हमारा जीना मुश्किल
गांव पूरी तरह इस जहरीले धुएं में डूबे रहते हैं। दिनभर चूना भट्टों से निकलने वाली सफेद राख हवा में उड़ती रहती है, जिसे लोगों के सांस के साथ अंदर ले रहे हैं। कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। किसानों फसलें भी खराब हो रही हैं, और अब तो पानी पर भी इसका असर दिखता है। प्रशासन को तुरंत इन भट्टों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
सुरेंद्र दुबे, क्षेत्रीय निवासी।

सुबह उठते ही लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत होती है। बच्चे भी बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन कोई देखने वाला नहीं है। घर का हर सामान सफेद धूल से ढका रहता है। अगर जल्द कोई कदम नहीं उठाया गया, तो हम सबको गंभीर बीमारियां हो जाएंगी। हमने कई बार शिकायत की, लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया।
मनोज गुप्ता, पूर्व पार्षद।

नियमों का पालन न करने वाली इकाइयों की जांच कराकर कार्रवाई करने, नियम उल्लंघन पर बंद कराने के लिए प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। अधिकारियों की मिलीभगत के कारण कोई कार्रवाई नहीं होती। प्रदूषण से यहां के लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ गई है। अगर प्रशासन जल्द ही इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाता, तो लोगों के स्वास्थ्य पर बड़ा विपरीत असर पड़ेगा।
सौरभ नायक, समाजसेवी।

वर्जन
जिले में संचालित चूना भट्टा, स्टोन क्रेशर जो बोर्ड से सम्मति नवीनीकरण प्राप्त किए, उपयुक्त एवं प्रभावी प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था नहीं किए जाने वाले उद्योगों के विरूद्व भी शीघ्र न्यायालयीन कार्यवाही की जाएगी। हर हाल में सभी संस्थानों को सभी नियमों का पालन करना होगा।
सुधांशु तिवारी, क्षेत्रीय अधिकारी मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।

वर्जन
ग्रामीण क्षेत्र में चूना भट्टे हो या क्रेशर प्लांट यदि उनके कारण प्रदूषण बढ़ रहा है तो हम जल्द ही इस मामले की जांच करवाएंगे। इसके अलावा शहर व उपनगरीय क्षेत्र में जिन भी फैक्ट्रियों में नियमों का उल्लंघन हो रहा है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी ऑडिट करते हैं। पर्यावरण नियमों का उल्लंघन किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
दिलीप यादव, कलेक्टर।