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100 रुपए के स्टाम्प पर अनुबंध कर तान दी कालोनियां

नगर निगम को करोड़ों का चूना लगाने वाले कालोनाइजरों के विरुद्ध दर्ज होगी एफआईआर, अधिकारियों पर भी गिर सकती है  गाज

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sudhir@123 shrivas

Sep 03, 2016

nagar nigam

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कटनी. 100 रुपए के स्टाम्प पर कालोनियों के विकास और भवन निर्माण की अनुज्ञा लेने वाले कालोनाइजरों पर नगर निगम के लापरवाह अधिकारियों पर पुलिस का शिकंजा कस गया है। ऐसा कर नगर निगम और पंजीयन विभाग को करोड़ों रुपए चूना लगाने तथा रहवासियों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखने वाले कालोनाइजरों और अफसरों की भूमिका पता लगाया जा रहा है। दस्तावेजों की जांच पड़ताल के बाद पुलिस ने कालोनाइजरों और अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर के संकेत दिए हैं।

पुलिस द्वारा की गई जांच पड़ताल में ऐसी 11 कालोनियों का पता चला है जिनके निर्माण में नगर भूमि सीमा अधिनियम तथा नियंत्रण 1976, मप्र भू-राजस्व संहिता 1959, मप्र ग्राम नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है। कालोनियों के विकास की अनुज्ञा जारी करते समय निगम के अफसरों ने बंधक नामा का पंजीयन भी नहीं कराया है। विदित हो कि अवैध कालोनियां विकसित कर फर्जीवाड़ा करने वाले कालोनाइजरों पर शिकंजा कसते हुए पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई प्रारंभ की है। अब तक डेढ़ दर्जन से अधिक कालोनाइजरों पर एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। इसी कार्रवाई के बीच पुलिस के हाथ कुछ ऐसे दस्तावेज लगे हैं जिसमें 100-100 रुपए के स्टाम्प पर कालोनी निर्माण की अनुज्ञा जारी की गई थी।

बताया जाता है कि पूर्व में कालोनी के विकास अनुज्ञा तथा भवन निर्माण की अनुमति जारी करने में की गई धांधली की शिकायत आयुक्त नगरीय प्रशासन से की गई थी। नगर निगम में पूर्व मेंं पदस्थ अधिकारियों ने वर्ष 2008 से 2012 तक कालोनियों के विकास की जो अनुज्ञा जारी की गई उसमें मप्र नगरपालिक निगम अधिनियम 1956 के अंतर्गत मप्र नगरपालिका (कालोनाइजर का रजिस्ट्रीकरण निर्बन्धन तथा शर्तें) नियम, 1998 के उल्लंघन के प्रमाण सामने आए हैं। उस दौरान प्रचलित करों को नगर निगम के कोष में जमा नहीं कराया और मात्र 100-100 रुपए के बंधक नामा स्टाम्प पर कालोनियों के विकास व निर्माण की अनुज्ञा जारी कर दी गई।

नगर निगम सूत्रों ने बताया कि कालोनाइजरों की सांठगांठ से अधिकारियों ने स्टाम्प पर जिन कालोनियों के निर्माण की अनुमति जारी की थी उनमें भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। सूत्रों ने बताया कि मप्र नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 के अंतर्गत कालोनी विकास की अनुज्ञा जारी होने के पश्चात कालोनाइजर द्वारा अधोसंरचना कार्य पूर्ण करने और कार्यपूर्णता प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही भवन निर्माण की अनुज्ञा जारी की जा सकती है।

परंतु इन प्रावधानों का उल्लंघन किया गया जिसके चलते कई कालोनियों के रहवासियों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ा। इतना ही नहीं ऐसी कालोनियों के निर्माण में कमजोर वर्ग के लिए बनाए गए मापदंडों की भी अनदेखी की गई। दरअसल, शासन के आदेश हैं कि एक एकड़ या उससे अधिक क्षेत्र की आवासीय कालोनियों में कालोनाइजर द्वारा विकसित किए गए भूखंडों के 15 प्रतिशत के बराबर पूर्ण विकसित भूखंड कमजोर आय वर्ग के लोगों के लिए सक्षम प्राधिकारी को सौंपे जाएं। लेकिन कालोनाइजरों ने कमजोर वर्ग के लोगों के हितों को ध्यान में नहीं रखा।

एसपी गौरव तिवारी ने बताया कि अवैध कालोनियां विकसित करने वाले कालोनाइजरों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई प्रांरभ की जा चुकी है। नगर निगम सीमा में नियम विरुद्ध तरीके से कालोनियों का निर्माण करने वाले अन्य कालोनाइजरों का भी पता लगाया जा रहा है। दस्तावेजों की जांच पड़ताल के बाद कालोनाइजरों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।

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