केवल 80.54 ही लक्ष्य किया गया हासिल, जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम में कई ब्लॉक पिछड़े, कुछ ने किया सराहनीय प्रदर्शन, पुरुष नसबंदी में भी नहीं रुचि
कटनी. कटनी जिला प्रदेश के 13 उन जिलों में शामिल है, जहां पर प्रजनन दर सामान्य से अधिक है। याने कि एक महिला को औसतन दो बच्चे ही पैदा करना है, लेकिन यह औसत कुछ सालों से 3 के ऊपर तक चला गया है। अब कुछ नियंत्रण हुआ है, फिर भी यह औसत प्रतिशत महिला ढाई के पार जा रहा है। जिले में नसबंदी अभियान के तहत निर्धारित लक्ष्य की तुलना में उपलब्धि बेहद निराशाजनक रही है। जिले को वर्ष 2024-25 के लिए कुल 8,145 महिला नसबंदी (एलटीटी) और 311 पुरुष नसबंदी (एनएसवी) का लक्ष्य सौंपा गया था, लेकिन अभी तक केवल 6,560 नसबंदी ही की गईं, जो कुल लक्ष्य का मात्र 80.54 प्रतिशत है।
ब्लॉकवार आंकड़ों पर नजर डालें तो कटनी ने अपने लक्ष्य से कहीं अधिक प्रदर्शन करते हुए 179 प्रतिशत उपलब्धि दर्ज की है। इसी तरह बरही और बड़वारा ब्लॉकों ने भी क्रमश: 110.44 प्रतिशत और 112.15 प्रतिशत लक्ष्य पूरा कर उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। वहीं दूसरी ओर, विजयराघवगढ़ और कन्हवारा जैसे ब्लॉक बहुत पीछे हैं। विजयराघवगढ़ ने मात्र 13.45 प्रतिशत लक्ष्य पूरा किया, जबकि कन्हवारा की उपलब्धि 41.27 प्रतिशत रही।
आंकड़ों से यह भी स्पष्ट होता है कि प्राइवेट सेक्टर में नसबंदी की संख्या केवल 144 रही, जो कुल प्रयासों का बहुत छोटा हिस्सा है। यह इंगित करता है कि निजी संस्थाएं और शहरी क्षेत्र इस अभियान में अपेक्षित योगदान नहीं दे पा रहे हैं। कटनी जिले की कुल जनसंख्या 14 लाख से अधिक है, लेकिन फिर भी नसबंदी जैसे महत्वपूर्ण जनसंख्या नियंत्रण उपायों में कई ब्लॉकों का पिछडऩा स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का विषय है। जिले में कुल 8 ब्लॉक और एक निजी सेक्टर शामिल हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. एसके शर्मा का मानना है कि नसबंदी को लेकर जागरूकता की कमी, पुरुषों में सहभागिता का अभाव और सामाजिक भ्रांतियां इसकी प्रमुख वजहें हैं। सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी नसबंदी को लेकर झिझक देखी जाती है। बता दें कि जिले की प्रजनन दर सामान्य से अधिक है, इसके बाद भी विभाग प्रमुखता से ध्यान नहीं दे रहे। इस पर सभी जिम्मेदारों को गंभीरता से काम करना होगा।
ब्लॉक लक्ष्य नसबंदी प्रतिशत
जिला अस्पताल 724 1296 179
कन्हवारा 1657 684 41.28
विजयराघवगढ़ 1390 187 13.46
रीठी 760 784 104
बहोरीबंद 1302 1189 91.33
उमरियापान 1144 976 85.32
बरही 584 645 111
बड़वारा 584 655 112.16
(ये आंकड़े स्वास्थ्य विभाग के अनुसार हैं)
परिवार नियोजन को लेकर जिले में पुरुष ऑपरेशन से कतरा रहे हैं। शारीरिक कमजोरी सहित इनके मन में कई भ्रांतियों ने जन्म लिया है, जिसकी वजह से यह समस्या हो रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि 50 फीसदी आबादी में पुरुषों का लक्ष्य सिर्फ 311 तय किया गया था, लेकिन ऑपरेशन सिर्फ 13 लोगों के हुए हैं। जिला अस्पताल में 6 पुरुषों, कन्हवारा में 3, उमरियापान 1, बड़वारा में सिर्फ 3 पुरुषों ने परिवार नियोजन के तहत ऑपरेशन कराया है।
परिवार नियोजन का लक्ष्य पूरा न हो पाने की मुख्य वजह शिविर में बरती जाने वाली बेपरवाही है। शिविर में क्षमता से अधिक ऑपरेशन के कारण बनने वाली विसंगति, अव्यवस्थाएं हैं। कई बार लोगों को शिविरों की जानकारी भी नहीं होती है। पर्याप्त बजट व व्यवस्था के निर्देश होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ध्यान नहीं देते। कई बार जिला अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में आयोजित होने वाले शिविरों में गंभीर लापरवाही उजागर हो चुकी है, जिससे लोग ऑपरेशन कराने में कतराते हैं।
2018 से अबतक सात साल में 62 महिलाओं के ऑपरेशन भी फेल हो चुके हैं। नसबंदी के बाद भी बच्चे पैदा हुए हैं। 2018-19 में 9, 2019-20 में आठ, 2020-21 में 7, 2021-22 में 12, 2022-23 में छह व 2023-24 में 13 महिलाओं के ऑपरेशन फेल हो चुके हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा इनको तय नियम के अनुसार क्षतिपूर्ति राशि दिलाने की प्रक्रिया अपनाई गई, लेकिन मुख्य बात तो यह है कि न चाहते हुए भी इनको बच्चे पैदा हो गए हैं।
बता दें कि प्रदेश के 13 जिलों में से कटनी जिला भी ऐसा है जहां पर सामान्य से अधिक प्रजनन दर है। 3.1 तक दर बढ़ गई थी, याने कि एक महिला औसतन 3 बच्चे पैदा कर रही है। डीपीएम घनश्याम मिश्रा का कहना है कि यह रेश्यू 2019-20 के सर्वे में था। अब स्थिति 2.1 हो गया है। हालांकि अनुमान यह है कि एक महिला औसतन ढाई बच्चे पैदा कर रही है। इसे रोकने के लिए मिशन परिवास विकास योजना चल रही है। इसमें स्थाई समाधान के तहत पुरुष व महिला नसबंदी व अस्थाई समाधान के दौरान पर माला-एन, निरोध, अंतरा इंजेक्शन, छाया इंजेक्शन के अलावा आइसीडी किट का प्रयोग कराया जा रहा है। दंपत्तियों को बर्थ प्लानिंग के लिए जागरुक किया जा रहा है। हर दंपत्ति को एक बच्चे के बाद दूसरे बच्चे में 3 साल का अंतर रखने कहा जा रहा है, साथ ही बाय एक्सीडेंट बच्चा पैदा न हो, इसके लिए जागरुक किया जा रहा है।
डॉ. आरके अठया, सीएमएचओ ने कहा कि नसबंदी ऑपरेशन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे। जिले में सिर्फ एक ही सर्जन है। कई जिलों का भी भार है। कुछ ब्लॉकों में बेहतर काम हुआ है। पिछड़े ब्लॉकों में विशेष अभियान चलाकर जागरूकता और प्रोत्साहन को बढ़ाया जाएगा। साथ ही, पुरुष नसबंदी को लेकर भी विशेष रूप से काम किया जाएगा क्योंकि यह क्षेत्र सबसे अधिक उपेक्षित रहा है।