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स्कूलों की बदहाल स्थिति, शिक्षकों की लापरवाही से बिगड़ रहा भविष्य

Teachers are not reaching school on time

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कटनी

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Balmeek Pandey

Dec 07, 2024

teacher news

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निरीक्षण में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की अनुपस्थिति उजागर, सुधार के लिए फिर नहीं हो रही कवायद, कलेक्टर से शिकायत

कटनी. जिले के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। शिक्षकों की लापरवाही के चलते बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। कई स्कूलों में शिक्षक समय पर नहीं पहुंच रहे हैं, जबकि कई बार तो वे पूरी तरह अनुपस्थित पाए गए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी के निरीक्षण में भी यह गंभीर स्थिति सामने आ चुकी है। पिछले माह एनकेजे हॉयर सेकंडरी स्कूल में 19 शिक्षक अनुपस्थित पाए गए थे।
हाल ही में ग्राम चाका निवासी ललित कुमार परौहा ने कलेक्टर को शिकायत कर बताया है कि शासकीय हाइस्कूल चाका के शिक्षक समय पर नहीं पहुंच रहे। साढ़े 10 के बाद आते हैं। कई बार अधिक विलंब से पहुंचते हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। ग्रामीणों ने अधिकारियों से औचक निरीक्षण कर कार्रवाई की मांग की है। कमोवेश स्थिति शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों की है। यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो बच्चों का भविष्य दांव पर लग सकता है। शिक्षकों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करने और पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार के लिए जिला प्रशासन को ठोस रणनीति बनानी होगी। साथ ही, दोषी शिक्षकों पर कार्रवाई करना और अभिभावकों के सुझावों पर ध्यान देना भी जरूरी है।

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निरीक्षण के बावजूद नहीं हो रहा सुधार
जिला शिक्षा अधिकारी पीपी सिंह द्वारा इस लापरवाही पर सख्त रुख अपनाने की चेतावनी दी गई थी, लेकिन उसके बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। जिलेभर में स्कूलों की नियमित निगरानी नहीं होने के कारण यह समस्या और गहरी होती जा रही है। शिक्षकों की गैरहाजिरी से बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है, जिससे उनके परीक्षा परिणामों पर भी गंभीर असर पड़ सकता है।

अभिभावकों की बढ़ती शिकायतें
अभिभावकों ने भी शिक्षकों की इस लापरवाही पर नाराजगी जाहिर की है। वे लगातार शिक्षा विभाग से शिकायत कर रहे हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। जिले में ऐसी स्थिति में केवल कुछ ही महीने बाद होने वाली परीक्षाओं के लिए छात्र तैयारियों में पिछड़ रहे हैं। शिक्षा विभाग की ओर से समय-समय पर निरीक्षण किए जाने के दावे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिलकुल अलग है। निरीक्षण में मिली कमियों के बाद भी सुधार की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।