scriptVideo: ये हैं वो स्वालम्बी महिलाएं जो रोजगार के साथ हजारों महिलाओं को बचा रहीं माहवारी के संक्रमण से | Women are making sanitary napkins in karipathar Village | Patrika News

Video: ये हैं वो स्वालम्बी महिलाएं जो रोजगार के साथ हजारों महिलाओं को बचा रहीं माहवारी के संक्रमण से

locationकटनीPublished: Jun 14, 2019 09:48:03 pm

Submitted by:

balmeek pandey

कारीपाथर की 12 महिलाएं घर की चाहरदीवारी से बाहर निकलीं और समूह बनाकर न सिर्फ अपनी बल्कि गांव व जिलेभर की महिलाओं को माहवारी में संक्रमण से सुरक्षा के लिए सेनेटरी नैपकिन बना रहीं हैं। साथ ही इसकी सप्लाई जिले के अन्य ब्लॉकों में करके धीरे-धीरे आमदनी में इजाफा कर रही हैं और महिला स्वालंबन के लिए मिसाल बन रही हैं। बतों दे कि ग्राम कारीपाथर की महिलाओं ने आकांक्षा सवसहायता का गठन किया और माह जनवरी से सेनेटरी नैपकिन का रॉ मैटेरियल मंगाकर उसे तैयार कर रिपैकेजिंग का काम कर रही हैं।

Women are making sanitary napkins in karipathar Village

Women are making sanitary napkins in karipathar Village

कटनी. कहते हैं यदि मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो फिर आप काम से समाज के लिए मिसाल बन सकते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखा रही हैं छोटे से गांव कारीपाथर की महिलाएं। यहां की 12 महिलाएं घर की चाहरदीवारी से बाहर निकलीं और समूह बनाकर न सिर्फ अपनी बल्कि गांव व जिलेभर की महिलाओं को माहवारी में संक्रमण से सुरक्षा के लिए सेनेटरी नैपकिन बना रहीं हैं। साथ ही इसकी सप्लाई जिले के अन्य ब्लॉकों में करके धीरे-धीरे आमदनी में इजाफा कर रही हैं और महिला स्वालंबन के लिए मिसाल बन रही हैं। बतों दे कि ग्राम कारीपाथर की महिलाओं ने आकांक्षा सवसहायता का गठन किया और माह जनवरी से सेनेटरी नैपकिन का रॉ मैटेरियल मंगाकर उसे तैयार कर रिपैकेजिंग का काम कर रही हैं। इस ग्रुप में रेखा हल्दकार, सुनीता हल्दकार, नीतू हल्दकार, भागवती कोल, मुन्नी कोल, ज्योति दुबे, गोमती बाई, मंगो, मीरा, गौतम, नेहा व सुनीता शामिल हैं। ब्लॉक प्रमुख जया कोष्ठी के मार्गदर्शन में महिलाएं नैपकिन बनाने का काम कर रही हैं। महिलाओं को स्वालंबी बनाने के उद्देश्य से एनआरएम द्वारा पहल की जा रही है, जिसमें महिलाएं जुड़कर अपनी अजीविका को आसान बना रहीं हैं। जिला पंचायत में डिस्प्ले बोर्ड के माध्यम से समूहों द्वारा तैयार उत्पाद को रखा गया है।

 

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गांव-गांव शुरू हुई सप्लाई
बता दें कि ये महिलाएं हजारों की संख्या में सेनेटरी नैपकिन तैयार कर रही हैं। महिलाओं ने पहले तो इसे गांव की महिलाओं व युवतियों को बेचने का काम शुरू किया और जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ता गया वैसे-वैसे इसकी सप्लाई अन्य ब्लॉक मुख्यालयों में शुरू कर दिया है। ग्रुप की महिलाओं ने बताया इसे तैयार करने में 13 रुपये की लागत आ रही है और इसमें उन्हें प्रति पैकेट 8 से 10 रुपये की बचत हो रही है। बता दें कि जिले में लगभग 3400 महिला स्व सहायता समूह हैं। धीरे-धीरे अब इसे आगे बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। वहीं महिलाएं स्वरोजगार से जुड़कर काफी खुश हैं।

 

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सस्ता और अच्छा सेनेटरी नैपकिन
घरों में बनने वाले सेनेटरी नैपकिन बाजार में बिकने वाले अन्य नैपकिन से कहीं बेहतर और सस्ता हैं। यह इको फ्रेंडली नैपकिन है। इस नैपकिन में प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया गया। बाजार में बिकने वाले नैपकिन में रूई और नेट का प्रयोग होता है, लेकिन इस सेनेटरी नैपकिन में टिशु पेपर का प्रयोग किया गया है। इससे यह अन्य नैपकिन से काफी बेहतर है। इसकी कीमत भी सबसे कम है। गरीब तबके की महिलाओं और लड़कियों के लिए यह आसानी से उपलब्ध हो इस दिशा में प्रयास शुरू हो गए हैं।

 

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इनका कहना है
जिले में यह प्रयास है कि यहां की महिलाएं स्वावलंबी बनें। उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जाए। सरकारी योजनाओं के अलावा महिलाओं को रोजगार से जोडऩे के लिए उन्हें नैपकिन बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है। कारीपाथर में महिलाएं 3 हजार रुपये से अधिक कमा रहीं हैं। खास बात यह है कि महिलाएं घर के कामकाज के साथ नैपकिन के उद्योग में भी काम कर रही हैं।
अंकिता मरावी, जिला प्रबंधक लघु उद्योग उद्यमिता विकास।

जिले की महिलाओं को स्वालंबी बनाने के लिए जिले में यह प्रयास शुरू किया गया है। इस उपक्रम से ज्यादा से ज्यादा गांव की महिलाएं समूहों के माध्यम से जुड़ें इस पर फोकस किया जा रहा है। इसका उद्देश्य महिलाओं को पैरों पर खड़ा करना है। महिलाएं जब आगे आकर स्वरोजगार से जुड़ेंगी तो उनके घर-परिवार का जीवन स्तर पर ऊपर उठेगा। सेनेटरी नैपकिन से महिलाओं को आय प्राप्त हो रही है वहीं सुरक्षा भी।
शबाना बेगम, जिला प्रबंधक एनआरएलएम।

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