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मजदूर दिवस-सालभर का हो जाता था जुगाड़, लॉक डाउन में फंसे तो रास्ते में ही खत्म हो गया अनाज, पैसा…

कछारगांव के मजदूर परिवार ने बताई व्यथा, गांव में भी नहीं मिल पा रहा रोजगार

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कटनी

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Mukesh Tiwari

Apr 30, 2020

Workers do not have work

जानकारी देते मजदूर।

कटनी. कोरोना के संक्रमण काल में दूसरे जिलों व प्रदेशों में मजदूरी करने गए मजदूरों की स्थिति खराब है। लॉक डाउन से पहले खेती से जुड़े काम करने बड़ी संख्या में गांवों से मजदूर दमोह, बीना, खुरई, विदिशा सहित अन्य जिलों को जाते हैं। लॉक डाउन में साधन न मिलने से पैदल चलकर किसी तरह घर पहुंचे तो काम करके जो पैसा या अनाज एकत्र किया था, वह रास्ते में लगभग समाप्त हो गया। ऐसी ही स्थिति बहोरीबंद की ग्राम पंचायत किवलरहा के कछारगांव की है। यहां पर एक सैकड़ा के लगभग मजदूर खेती संबंधी काम करने दमोह, सागर, बीना की ओर गए थे। लॉक डाउन में मजदूर फंस गए। कछारगांव निवासी तुलसी आदिवासी, अनमोल, अनिल आदिवासी, सिया बाई, ललिता बाई, हल्की बाई ने बताया कि हर साल रबी सीजन में चना, मसूर की कटाई करने वे लोग दमोह जिला जाते हैं। जहां पर एक माह के लगभग काम करने में मिलने वाले अनाज व पैसे से उनका सालभर राहत रहती है। इस साल भी लॉक डाउन से पहले गांव से एक सैकड़ा लोग दमोह जिला मजदूरी करने गए थे। काम खत्म होने के बाद लॉक डाउन लग गया और फंस गए। कुछ दिन वहीं रहे और जो अनाज मजदूरी से पाया था, उसी से पेट भरते रहे तो साधन न मिलने से पैदल ही घर को निकले। चार-पांच दिन के बाद घर पहुंचे तो जितना कमाया था, सब रास्ते में ही खत्म हो गया। अब उनके सामने सालभर परिवार को चलाने की समस्या है।

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गांव में भी नहीं कोई काम
मजदूरों ने बताया कि गांव में भी रबी सीजन का काम समाप्त हो गया है और रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है। आने के बाद से कई दिनों तक घरों में ही कैद रहे और रोजगार नहीं होने से समस्या बनी हुई है तो सालभर की चिंता भी सता रही है। गांव में पंचायत ने मनरेगा से काम प्रारंभ किया है लेकिन उसमें भी कुछ लोगों को ही एक-दो दिन से काम मिल पा रहा है।