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लोकतंत्र के पर्व पर गांवों में छाया सन्नाटा, मतदान को लेकर जागरुकता की कमी

विधानसभा चुनाव के पहले चरण में राजनांदगांव और बस्तर जिले में मतदान हुए। मतदान औसतन कम ही रहा।

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लोकतंत्र के पर्व पर गांवों में छाया सन्नाटा, मतदान को लेकर जागरुकता की कमी

कवर्धा. विधानसभा चुनाव के पहले चरण में राजनांदगांव और बस्तर जिले में मतदान हुए। मतदान औसतन कम ही रहा। इसके चलते अब कवर्धा और पंडरिया विधानसभा में मतदान को लेकर आंकलन लगाया जा रहा है।

हर बार चुनाव के लिए समय गांव-गांव शोर-गुल होता। जगह-जगह झंडा, बैनर, पोस्टर सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता डोर टू डोर नारे लगते हुए घूमते, लेकिन इस बार ऐसा दिखाई नहीं दे रहा। लोकतंत्र के पर्व में खुशी का माहौल नहीं दिखाई दे रहा है। गांवों में अब तक चुनाव को लेकर दमदार माहौल नहीं बना है, इसके चलते मतदाताओं में थोड़ा रूझान कम है। शायद यही कारण हो सकता है राजनांदगांव और बस्तर में कम मतदान होने का।

राजनांदगांव की तरह कवर्धा और पंडरिया में न हो। पार्टी कार्यकर्ता धीरे-धीरे ग्रामीणों के पास पहुंच रहे हैं, इससे रूझान बढ़ सकता है, लेकिन मतदान के लिए मतदाताओं को जागरुक करने की आवश्यकता है। इसमें राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ताओं को मेहनत करना होगा। गांव के कार्यकर्ता ही इस माहौल को बना सकते हैं।

निर्वाचन आयोग की सख्ती के कारण इस बार प्रत्याशी और राजनीतिक पार्टी द्वारा बैनर, पोस्टर, झंडा अधिक संख्या में नहीं लगाए जा रहे हैं। दूसरी ओर निर्वाचन आयोग द्वारा स्वीप के तहत जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए गए, ताकि लोगों में जागरुकता आए और शत् प्रतिशत मतदान हो सके। कबीरधाम में अधिकतर कार्यक्रम मैदानी व शहरी क्षेत्र में हुए। इसके लिए लाखों रुपए खर्च भी किए गए। शहरी क्षेत्र के अलावा प्रत्येक गांव में भी जागरुकता कार्यक्रम होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसके चलते आज भी मतदाताओं में जागरुकता की कमी देखने को मिल रहा है। पंडरिया और बोड़ला ब्लॉक के वनांचल क्षेत्रों में स्थिति और भी कमजोर नजर आ रही है।

वर्ष 2013 में विधानसभा में कुल 80 प्रतिशत मतदान हुए थे। पंडरिया विधानसभा में 78.51 प्रतिशत और कवर्धा विधानसभा में 81.68 प्रतिशत मतदान हुए। जबकि वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में कुल 74.84 प्रतिशत मतदान हुए। पंडरिया विधानसभा में 73.44 और कवर्धा विधानसभा में 74.84 फीसदी मतदान हुए।