
मुखबिरी के शक में नक्सलियों ने कर ग्रामीण की हत्या, पर्ची लिखकर दी चेतावनी
कवर्धा .छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में नक्सलियों ने पुलिस मुखबिरी के शक में ग्रामीण की गोली मारकर हत्या कर दी। वहीं पर्चा फेंककर नक्सलियों ने इस घटना का जिक्र भी किया है।
झलमला थाना अंतर्गत ग्राम बोल्दा में नक्सलियों ने एक ग्रामीण की गोली मारकर बेरहमी से हत्या कर दी। जानकारी के अनुसार घटना शनिवार रात करीब 11 बजे की है। 10 से 12 हथियारबंद नक्सली गांव के बाहर पहुंचे। वहां से दो ग्रामीण को गांव के ही हेमप्रसाद पिता सुखदेव शर्मा (50) को बुलाने के लिए कहा। ग्रामीण किराना दुकान चलाने वाले हेमप्रसाद को बुलाकर ले गए। नक्सली हेमप्रसाद को गांव से बाहर स्टॉपडेम के पास ले गए। वहां पर सिर के पीछे गोली मारकर बेरहमी से हत्या कर दी। इसकी जानकारी सुबह ग्रामीणों को होने पर पुलिस को सूचना दी।
झलमला पुलिस टीम रविवार सुबह पहुंची और इसकी जानकारी आला अफसरों को भी दी। पुलिस अधिकारी गांव पहुंचे और घटना स्थल का मुआयना किया। ग्रामीणों से बयान लिए। ग्रामीण दहशत में हैं। शव को पोस्ट मार्डम के लिए ट्रैक्टर से बोड़ला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भिजवाया गया। वहीं झलमला का एसटीएफ, रेंगाखार, चिल्फी, बोड़ला और कवर्धा थाने की डीआरजी व पुलिस टीम सर्चिंग में जुटी हुई है।
नक्सलियों ने हत्या के बाद पुलिस के लिए एक पर्चा भी छोड़ा। पुलिस को मिले नक्सली पर्चे में जीआरबी डिवीजन का उल्लेख है। पर्चा में लिखा है कि पंडित महाराज का संबंध रेंगाखार-झलमला थाना के पुलिस से था। नक्सली पार्टी और जनआंदोलन को खतम करने के लिए पुलिस का मुखबिरी करता था। गांव-गांव पोस्टर चस्पाकर प्रचार किया। कवर्धा जिला के जनआंदोलन को कुचलने रमन सिंह का भाजपा सरकार ने जगह-जगह मुखबिरी का जाल बुना है। मुखबिर जनविरोधी-पार्टी विरोधी काम कर रहे हैं। उसकी में एक बोल्दा का पंडित महराज था। इसलिए इस मौत का जिम्मेदार रमन सिंह का भाजपा सरकार ही है। अंत में लिखा है कि जनविरोधी काम करेगा उन्हें पार्टी-जनता कभी भी माफ नहीं करेगी।
माओवादी जिला घोषित होते ही जिले में नक्सलियों की आवाजाही तेजी से बढ़ी है। पूर्व में रेंगाखार थाना अंतर्गत 61 गांव, चिल्फी के 36 और सहसपुर लोहारा थाना अंतर्गत 27 गांव ही नक्सली चिन्हांकित ग्राम थे, जहां पर केवल नक्सलियों की चहलकदमी होने की बातें सुनाई देती थी। नक्सली राजनांदगांव और बालाघाट के बीच इसे गलियारे के रूप में आवाजाही के लिए उपयोग करते थे, लेकिन अब जिले के सभी गांव व नगरीय क्षेत्र नक्सली चिन्हांकित हो चुके हैं।
31 मई 2018 ग्राम धूमाछापर में एक माओवादी की मुठभेड़ में मौत।
85 दिन पूर्व 31 मई की शाम को तरेगांव जंगल थाना अंतर्गत ग्राम धूमाछापर में पुलिस व नक्सलियों के बीच पहली मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में एसटीएफ ने विस्तार प्लाटून-३ के सक्रिय सदस्य मंगू उर्फ सुनील को मार गिराया। सुनील तीन लाख का ईनाम नक्सली था। वहीं कुछ दिन पूर्व नक्सली संगठन के एमएमसी सचिव पहाड़ सिंह ने आत्मसमर्पण कर दिया। कबीरधाम जिले की जिम्मेदारी पहाड़ सिंह पर ही था। ऐसा माना जा रहा है कि इन दोनों घटनाओं की बौखलाहट के चलते ही नक्सलियों ने इस घटना को अंजाम दिया।
कबीरधाम के पुलिस अधीक्षक,डॉ.लालउमेंद सिंह ने बताया ग्रामीण की मुखबीर के शक पर हत्या की है। नक्सली क्षेत्र में दहशत फैलाने के लिए इस घटना को अंजाम दिए हैं। गांव के बाहर विस्तार प्लाटून 2-3 के कुछ नक्सली पहुंचे और ग्रामीणों से हेमप्रसाद को बुलवाया। गांव से बाहर ले जाकर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी।
Published on:
27 Aug 2018 11:09 am
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