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प्रेम हैं राधा और भाव हैं श्री कृष्ण

भागवत कथा में प्रतिदिन बढ़ रही है भक्तों की संख्या

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खंडवा

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Rahul Singh

Oct 30, 2018

Bhagwat Story in khalwa

Bhagwat Story in khalwa

खंडवा. लोग समझते है कि राधा और कृष्ण अलग-अलग है किंतु वैद पुराणों के अनुसार इन्हें प्रेमी भक्त ही समझ सकते है। वास्तव में व्यक्ति के हृदय में जैसे-जैसे प्रेम बढ़ता है राधा का भाव जागृत होने लगता है और जैसे-जैसे व्यक्ति भावों में डूबता है तब उसका कृष्ण तत्व जागृत होने लगता है। इस गुत्थी को सिर्फ अनुभव करने वाला ही जान सकता है पर वह भी उसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाता लोग कहते है कि कृष्ण तो रसिक थे किन्तु यह उपरी स्तर की बात है उसे सिर्फ प्रेम और भावो में डूब कर ही पाया जा सकता है। उक्त उदगार खालवा के ग्राम गुलाईमाल में चल रही भागवत कथा के तृतीय दिवस श्री कृष्णप्रियाजी महाराज ने व्यक्त किए।
कथा प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि गुलाईमाल में आयोजित भागवत कथा को सुनने प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। आदिवासी अंचलों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा का श्रवण कर रहे हैं। कृष्णप्रिया ने बताया वैराग्य तीन प्रकार के होते है पहला-मरकट वैराग्य जो व्यक्ति को मानसिक तनाव देकर घर छोडऩे पर मजबूर कर देता है किन्तु कुछ दिनों बाद उसे घर परिवार का मोह वापस खींच लाता है। दूसरा- श्मशान का वैराग्य जब किसी मृत्यु हो जाती है तो दाह संस्कार के समय साथ जाने वाले लोगों के हृदय को स्पर्श करता है और यह भावना उत्पन्न करता है कि इस दुनिया में कुछ नहीं रखा है। एक दिन सबको जाना है इस लिए अच्छे कर्म करना चाहिए किन्तु घर वापस आकर व्यक्ति फिर उसी आपा धापी में लग जाता है यह भी असर कारक नहीं हुआ। तीसरे प्रकार का वैराग्य ही सच्चा वैराग्य कहलाता है जो व्यक्ति को हरि जपने को मजबूर करता है और परमात्मा की रट उसके अन्दर उत्पन्न कर देता है और यह उसकी आखरी सांसों तक उसे भगवान के दरबार तक ले जाता है।

कृष्णाप्रिया के स्वागत के लिए उमड़े आदिवासी
खंडवा. आदिवासी क्षेत्र लोग धर्म से जुड़े रहे और धर्म परिवर्तन की ओर अपने कदम न बढ़ाए के लिए युवा संत कृष्णप्रिया का मानना है कि ऐसे स्थानों पर कथा कर आदिवासियों को धर्म और संस्कृति से जोड़े रखे। कथा भगवान का स्वरूप होती है और कथा के माध्यम से ही हम व्यक्ति में परिवर्तन ला सकते हैं। यह बात आदिवासी क्षेत्र ग्राम गुलाईमाल में भागवत कथा का श्रवण कराने खंडवा पहुंची वृंदावन कथा वाचन कृष्णप्रिया ने पार्वतीबाई बाई धर्मशाला में उनके स्वागत के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं से कही।
दीदी ने कहा कि धर्म और संस्कृति से जुड़े रहने का सशक्त माध्यम भागवत कथा होती है और मैं अधिकांश आदिवासी क्षेत्र में ही जाकर कथा श्रवण करती हूं। देश के सभी बड़े तीर्थों में प्रभु के समीप पहुंचकर कथा का श्रवण कराने का संकल्प चल रहा है जिसके अंतर्गत जगन्नाथपुरी, द्वारका, बद्रीनाथ तीर्थों के साथ ही अन्य तीर्थों पर भागवत कथा आयोजन संपन्न हो चुका है। शीघ्र ही रामेश्वर एवं बारह ज्योतिर्लिंगों के साथ शक्ति पीठों पर भी जाकर प्रभु की भागवत को प्रभु के चरणों में पेश करूंगीं। कथा प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि कथाकार कृष्णप्रिया गुरुवार को सुबह 11 बजे कर्नाटक एक्सप्रेस से खंडवा पहुंची। उनके स्वागत के लिए सैकड़ों भक्त रेलवे स्टेशन पहुंचें।
वे खालवा के आदिवासी ग्राम गुलाईमाल में 26 अक्टूबर से भागवत कथा करेंगी। स्टेशन से दीदी पार्वतीबाई धर्मशाला पहुंची जहां समिति के सदस्यों से चर्चा की। दीदी का रेलवे स्टेशन पर चैनबिहारीलाल सेवा समिति खालवा के सदस्यों व ग्रामीणों ने पहुंचकर पुष्पमाला से स्वागत किया। यहां से निजी वाहनों द्वारा दीदी का काफिला जसवाड़ी, सिंगोट, जलकुआं, राजनी, भगवानपुरा, बखार, खार, सकुवी एवं संदलपुर होते हुए खालवा पहुंचा।