
is tarah ho gaya kuwa
पटाजन. कभी गांव एवं कस्बे में मुख्य पेयजल का मुख्य स्रोत रही बावडिय़ां कचरा पात्र में तब्दील हो रही हैं। प्रशासन की ओर से रखरखाव नहीं किए जाने से भीषण पेयजल संकट में ग्रामवासियों को दूर-दूर से पानी लाना पड़ रहा है। कई जगह महंगे दाम पर टैंकरों से पानी मंगवाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। ये कुएं बावडिय़ां कभी ग्रामीणों की प्यास बुझाती थीं, लेकिन प्रशासनिक तौर पर रखरखाव नहीं किए जाने से अब खंडहर होने के कगार पर पहुंच गई हैं। कई जगह कुएं और बावडिय़ों में पानी दूषित हो गया है। इसे कस्बे के लोग उपयोग में नहीं ला हरे। ग्रामीणों का कहना है कि कई जगह कुएं और बावडिय़ों पर अतिक्रमण कर लिया गया है। आला अधिकारियों को इनके बारे में अवगत कराया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
रेाशनी गांव में करीब 500 घर हैं और करीब 4000 की जनसंख्या है। गांव पानी के लिए नलजल योजना है निर्भर है। पर पिछले कई दिनों से योजना बंद पड़ी हुई है। ग्रामीण निजी टैंकरों से पानी मंगाते हैं या किसानों के खेतों से कुओं से पानी लाना पड़ता है। पानी की पर्याप्त सुविधा नहीं होने से परेशानी का सामना करना पड़ता है।
पटाजन में जलस्रोत बोरिंग पर निर्भर
पटाजन में करीब 450 घर हैं और यहां की जनसंख्या 3200 है। गांव में गर्मी के मौसम में पानी की समस्या गड़बड़ा जाती है। ग्रामीणों को करीब 2 कि मी दूर दूसरे गांव के हैंडपंप या खेत व बोरिंग पर निर्भर रहना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत में गांव के 3 कुओंं या बावडिय़ों की साफ-सफाई करवा कर गहरी खुदाई कर दे तो इनमें पानी की अच्छी आवक हो सकती है। कुआं बावड़ी की स्थिति काफी खराब है, इस पर अभी भी ध्यान नहीं दिया तो आने वाले दिनों में समस्या और गंभीर हो सकती है।
Published on:
21 Jun 2019 10:49 pm
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