
Eminent speaker and journalist Pushpendra Kulshrestha gave speech in Khandwa
खंडवा. हमारे देश में बड़ी-बड़ी समस्याओं को छिपा लिया जाता है और छोटे-छोटे मुद्दों पर हंगामा होता है। हमेशा गुलामी की याद दिलाई जाती है। हमारी वीरता की कहानियां नहीं बताई जाती। कभी उन विषयों पर नहीं बोला जाता, जिनसे हमारा सनातन जागृत हो। इन सत्ताधारियों ने सत्ता पाने के लिए राष्ट्र का ही सौदा कर दिया है। यह बातें गुरुवार को युवा जनमत संग्रह और शहीदों की याद में बड़ाबम चौक पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में प्रखर वक्ता पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहीं। उन्होंने कहा हमारे देश में ऐसी व्यवस्था है कि कलेक्टर या अन्य अधिकारी लोगों के दस्तावेजों का सत्यापन करते हैं। वह तय करते है कि हमारा पिता कौन है। कलेक्टर को कैसे पता कि उक्त व्यक्ति मेरा पिता है। यह अधिकार सिर्फ मां को है। ऐसी कई व्यवस्थाएं है जो गलत हैं। उनमें सुधार होना चाहिए। वहीं इस समय देशभर में गंगा-जमुना तहजीब और भाईचारे का फ्रॉड चल रहा है। हमने गंगा-जमुना तहजीब की बड़ी कीमत चुकाई है। लेकिन अब ये फ्रॉड नहीं चलेगा। क्योंकि यह 1947 नहीं वर्ष 2019 चल रहा है। ध्यान रखें। संबोधित में कुलश्रेष्ठ ने जेएनयू के घटनाक्रमों को भी आड़े हाथ लिया। कार्यक्रम में स्वामी जितेन्द्रानंद महाराज, स्वामी भावेशानंद महाराज, संरक्षक अशोक पालीवाल, कमलजीत बग्गा, कौशल मेहरा, अमित जैन, माधव झा, आदित्य अग्रवाल आदि उपस्थित थे।
वो चश्मा बापू के साथ चला गया
वक्ता कुलश्रेष्ठ ने कहा आजादी के बाद ही मजहब के नाम पर देश का विभाजन करा लिया गया। उस समय भाइचारा नहीं दिखा। विभाजन के समय पाकिस्तान में 29 फीसदी लोग वह थे, जो भारत नहीं आ सकते थे। लेकिन अब वह घटकर सिर्फ 1.5 फीसदी बचे हैं। इसलिए जिस चश्मे से देश को देख रहे हैं उसे उतार दें। क्योंकि वो चश्मा बापू के साथ चला गया है। उन्होंने कहा आज कुछ देश इस्लामिक आतंकवाद से जूझ रहे हैं। उन देशों के अखबार वह लोग कह रहे है कि इस आतंकवाद का सामना सिर्फ भारत ही कर सकता है। क्योंकि वह हमारा सनातन जानते हैं।
नदियों से जीवित रहती है सभ्यता
नदियों को हमारी संस्कृति में मां कहा जाता है। क्योंकि जहां नदी रहेगी, वहीं सभ्यता रहेगी। नदी खत्म होने के बाद उस जगह की सभ्यता भी खत्म हो जाएगी। इसके अलावा पीपल के पेड़ की पूजा करने की बात कही गई। क्योंकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हमारे ऋषि-मुनी वर्षों पहले इनका महत्व जानते थे। क्योंकि पीपल का पेड सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाला पेड होता है।
अगले साल से निकलेगा मसाल जुलूस
कार्यक्रम के दौरान कैंडल मार्च निकालने की बात पर वक्ता पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कैंडल मार्च हमारे यहां की सभ्यता नहीं है। यह यूरोप से शुरू हुआ है, जो आज हमने अपना लिया। इसलिए हमें दीप या मसाल जलाकर निकलना चाहिए। उनकी बात सुन कार्यक्रम के संरक्षक अशोक पालीवाल ने मंच से घोषणा कि अगले वर्ष से 28 नवंबर को शहीदों की याद में मसाल जुलूस निकाला जाएगा। साथ ही अपने किसी भी कार्यक्रम में कैंडल का उपयोग नहीं करने की बात कही।
Published on:
30 Nov 2019 01:21 am
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