तय समय से पहले पहुंच रही हैं इंदौर की बसें, परिवहन कार्यालय से टीपी में बढ़ा दिया समय, देशगांव से तीन जिलों की बसों में होती है भागम भाग
खंडवा. इंदौर- इच्छापुर हाइवे में हो रही बस दुर्घटनाओं के मद्देनजर इंदौर की बसों का समय कागजी तौर पर बढ़ा दिया गया है। लेकिन बसें अब भी अपनी पुरानी रफ्तार से सरपट चल रही हैं। इस हाइवे पर बसों के बीच ट्रकों की आवाजाही बढ़ने से हादसों की आशंका बनी रहती है। यह बात सामने आई है कि देशगांव में तीन जिलों की बसें इंदौर जाने के लिए मिलती हैं। यहीं टोल टैक्स से बचकर निकलने वाले ट्रकों की भरमार रहती है। ऐसे में सवारियों की होड़ में दौड़ लगाने वाली बसें कई बार यात्रियों के लिए घातक साबित हो जाती हैं।
टोल से बचने ट्रकों की एंट्री
बस ऑपरेटर बता रहे हैं कि खंडवा- इंदौर रोड पर टोल टैक्स नहीं लगता है। जबकि खलघाट रोड पर टोल लगा है। इसलिए महाराष्ट्र से आने वाले ट्रक खलघाट न होकर बुरहानपुर से खंडवा होकर इंदौर जाते हैं। सेंधवा से इन्दौर से बीच 3 टोल हैं। महाराष्ट्र से सिरपुर, सेंधवा, जुलवानिया, खलघाट होकर इंदौर पहुंचते हैं। लेकिन टोल टैक्स से बचने के लिए इच्छापुर से धुलिया, रावेर होकर बुरहानपुर फिर खंडवा होते हुए ट्रक इंदौर जा रहे हैं। इस रास्ते पर ट्रकों की आवाजाही अधिक हाेने से सड़क हादसे भी बढ़े हैं।
66 अस्थायी, 70 स्थायी परमिट
बस संचालक बता रहे हैं कि परिवहन कार्यालय इंदौर से खंडवा, बुरहानपुर, ओंकारेश्वर, सनावद के लिए 66 अस्थायी परमिट और लगभग 70 स्थायी परमिट जारी किए गए हैं। अस्थायी परमिट हर महीने टैक्स भरकर रिन्यू कराना होता है जबकि स्थायी परमिट पांच साल के लिए बन जाता है। परमिट की संख्या अधिक होने से प्रत्येक 10 मिनट में इंदौर के लिए बसों का आना जाना होता है।
देशगांव से भगाते हैं ड्राईवर
बुरहानपुर, खंडवा और खरगोन जिले का जंक्शन प्वाइंट देशगांव में है। तीनों जिलों से आकर बसें यहां मिलती हैं और फिर यहीं से सवारियों के लिए भागम भाग होती है। इस 115 किमी के रास्ते में सवारियां ज्यादा लेने की होड़ में बस ड्राइवर रफ्तार पर कोई कंट्रोल नहीं रखना चाहता। परिवहन कार्यालय ने तीनों जिलों को परमिट जारी करते समय यह ध्यान नहीं दिया कि रास्ते में एक समय पर ही तीनों जगह की बसें मिल रही हैं और यहीं से हादसों का खतरा बढ़ने लगता है।
सवारी कैसे करेगी इतना इंतजार
बस ऑपरेटर का कहना है कि साढ़े 3 से 4 घंटे में इंदौर पहुंचने वाली बसों में आखिर सवारी 5 से साढ़े 5 घंटे तक कैसे इंतजार करेगी। जबकि परिवहन विभाग ने 4 घंटे 50 मिनट से साढ़े 5 घंटे तक का समय खंडवा से इंदौर के बीच का दिया है। बस संचालक मांग कर रहे हैं कि 4 घंटे तक का समय मौजूदा समय में उचित है। हाइवे निर्माण होने के बाद समय में और कटौती किया जाना चाहिए।
वर्जन...
परिवहन विभाग भले ही समय बढ़ाने पर जोर दे रहा है, लेकिन अब भी पुरानी रफ्तार और समय पर ही बसें चल रही हैं। इसे कंट्रोल करने फ्रीक्वेंसी तय करना होगी। हाइवे निर्माणाधीन है, जाम लगता है और बसें भागती हैं। एक साथ तीन जिलों की बसें सवारियों के लिए दौड़ती हैं, इसलिए हादसे होते हैं।
- रूपचंद आर्या, बस संचालक
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सबसे पहले तो रफ्तार पर नियंत्रण होना जरूरी है। जब तक हाइवे निर्माणाधीन है तब तक तो ठीक, सड़क बनी तो 5 घंटे यात्री नहीं बैठेंगे। बसों का समय 5 से साढ़े 5 घंटे कर दिया है। फ्री पॉलिसी है परमिट के लिए इस पर रोक होना चाहिए। समय बढ़ने से एक घंटे ज्यादा इंजन चलने से प्रदूषण, खर्च सब बढ़ेगा।
- सौरभ गौर, बस संचालक